हाइलाइट्स
- Diabetes Patients के लिए ये खास दाल बन सकती है जानलेवा, वैज्ञानिकों ने दी चेतावनी
- इस दाल में पाए जाने वाले कुछ तत्व रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ा सकते हैं
- कई राज्यों में यह दाल रोज़ाना के भोजन का हिस्सा है, लेकिन Diabetes Patients के लिए खतरे की घंटी
- जानिए इस दाल का शरीर पर क्या असर होता है और इसके सेवन से कैसे बचा जा सकता है
- Diabetes Patients को सलाह: इस दाल को खाने से पहले डॉक्टर से ज़रूर लें परामर्श
डायबिटीज और खानपान का गहरा संबंध
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें खानपान का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। Diabetes Patients को अपने भोजन में कार्बोहाइड्रेट, शुगर और हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है। लेकिन भारत में एक आम दाल है, जिसे अधिकतर लोग प्रोटीन का अच्छा स्रोत मानते हैं, वही दाल Diabetes Patients के लिए ज़हर बन सकती है।
कौन सी है वह दाल जो बन सकती है ज़हरीली?
मसूर दाल: फायदे कम, नुकसान ज़्यादा
भारत में मसूर दाल को एक पौष्टिक आहार के रूप में देखा जाता है। इसमें प्रोटीन, फाइबर और कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, Diabetes Patients के लिए यह दाल जानलेवा साबित हो सकती है।
मसूर दाल में उच्च मात्रा में lectins और oxalates होते हैं, जो Diabetes Patients के शरीर में इंसुलिन की प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं। इसके अलावा, इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी मध्यम से ऊँचा होता है, जो रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ाने में सक्षम है।
वैज्ञानिक क्या कहते हैं?
नयी रिसर्च ने खोली आंखें
हाल ही में भारतीय पोषण संस्थान (NIN) की एक रिपोर्ट में बताया गया कि मसूर दाल में मौजूद कुछ यौगिक शरीर में सूजन और शर्करा असंतुलन को बढ़ावा दे सकते हैं, विशेषकर Diabetes Patients में।
डॉ. राकेश मेहता, जो एंडोक्रिनोलॉजी के वरिष्ठ विशेषज्ञ हैं, कहते हैं –
“मसूर दाल को यदि अधिक मात्रा में और नियमित रूप से खाया जाए, तो यह टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है। इसमें मौजूद लेक्टिन्स और फाइटेट्स न केवल इंसुलिन की कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं, बल्कि आंतों की परत को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
मसूर दाल शरीर में कैसे बनती है विष?
जैविक प्रतिक्रियाओं का असर
मसूर दाल में मौजूद phytic acid, शरीर में आवश्यक खनिजों जैसे कि जिंक, आयरन और कैल्शियम के अवशोषण को कम कर देता है। Diabetes Patients के लिए यह स्थिति और गंभीर हो जाती है क्योंकि उनका मेटाबॉलिज्म पहले से ही कमजोर होता है।
इसके अलावा, जब मसूर दाल का सेवन बार-बार होता है, तो यह शरीर में एसिडिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है, जो पैंक्रियास को प्रभावित करती है और इंसुलिन के उत्पादन में बाधा उत्पन्न करती है।
किन दालों को खा सकते हैं Diabetes Patients?
सुरक्षित विकल्प
- चना दाल – फाइबर से भरपूर और ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है
- मूंग दाल – हल्की और आसानी से पचने योग्य
- अरहर दाल – संतुलित प्रोटीन और फाइबर
इन दालों को सीमित मात्रा में और बिना घी-तेल के प्रयोग के सेवन किया जाए तो यह Diabetes Patients के लिए लाभकारी हो सकती हैं।
मसूर दाल का सेवन करना है तो रखें ये सावधानियां
हेल्थ एक्सपर्ट्स की सलाह
- मसूर दाल को भिगो कर पकाएं – इससे फाइटिक एसिड की मात्रा कम हो जाती है
- सप्ताह में सिर्फ एक बार सेवन करें
- खाने में हरी सब्जियों के साथ संतुलन रखें
- भारी मसालों से बचें, खासकर गरम मसाले
- खाने के 2 घंटे बाद ब्लड शुगर की जांच अवश्य करें
घरेलू अनुभव और लोकज्ञान की पुष्टि
कई बुजुर्ग और ग्रामीण महिलाएं लंबे समय से यह मानती रही हैं कि मसूर दाल ‘गरम तासीर’ की होती है और इसे बीमार या डायबिटीज वाले मरीजों को नहीं दिया जाता। अब वैज्ञानिक शोध भी इस लोकज्ञान की पुष्टि कर रहे हैं।
सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की भूमिका
स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय को इस विषय पर विशेष दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए ताकि Diabetes Patients को सही जानकारी मिल सके। साथ ही, स्कूलों और आंगनवाड़ियों में दी जाने वाली खुराक में भी इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए।
सोच-समझकर करें भोजन का चयन
Diabetes Patients को अपने भोजन को केवल स्वाद के आधार पर नहीं, बल्कि शरीर की ज़रूरतों और रिसर्च के आधार पर चुनना चाहिए। मसूर दाल भले ही स्वादिष्ट और प्रोटीन से भरपूर हो, लेकिन यह उनकी सेहत के लिए ज़हरीली भी बन सकती है। सही जानकारी, डॉक्टर की सलाह और जागरूकता ही बेहतर जीवन की कुंजी है।