हाइलाइट्स
- Monitor Lizard के जननांग बेचने के आरोप में ज्योतिषी यज्ञ दत्त की गिरफ्तारी
- हरियाणा वन विभाग‑पुलिस की संयुक्त छापेमारी में Monitor Lizard के तीन अंग और पाँच सॉफ्ट कोरल बरामद
- Wildlife Protection Act‑1972 की Schedule‑I सूची में शामिल Monitor Lizard, अवैध व्यापार पर 3‑7 साल की जेल का प्रावधान
- आरोपी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के जरिये Monitor Lizard उत्पाद बेचकर “आध्यात्मिक उपचार” का दावा करता था
- विशेषज्ञों का कहना: Monitor Lizard तस्करी रोकने के लिए डिजिटल निगरानी और कड़ी सज़ा ज़रूरी
घटना का खुलासा
फरीदाबाद के सेक्टर‑8 में स्थित एक ज्योतिष कार्यालय में मंगलवार देर शाम अचानक हलचल मच गई। हरियाणा वन विभाग, हरियाणा पुलिस, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो और भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट की संयुक्त टीम ने गोपनीय सूचना पर धावा बोला। तलाशी के दौरान अलमारी के गुप्त खाने से Monitor Lizard के जननांग—लोक‑भाषा में “हंसा” कहे जाने वाले—तीन सूखे टुकड़े तथा पाँच सॉफ्ट कोरल ज़ब्त किए गए। गिरफ्तार आरोपी यज्ञ दत्त (38) स्वयं को “कर्म सुधार विशेषज्ञ” बताता है और पिछले कुछ वर्षों से कथित आध्यात्मिक उपायों के नाम पर Monitor Lizard उत्पाद बेच रहा था। टीम ने मौके से लैपटॉप, दो स्मार्ट‑फ़ोन और ग्राहक‑डेटाबेस वाली डायरी भी जब्त की, जिनमें Monitor Lizard अंगों की ऑनलाइन मांग और कीमत—एक टुकड़ा 25‑30 हज़ार रुपये—का पूरा ब्योरा दर्ज मिला। इससे स्पष्ट है कि Monitor Lizard अवयवों का अवैध बाज़ार लगातार पनप रहा है।
क्यों निशाने पर है Monitor Lizard
आयुर्वेद‑तांत्रिक मिथक
कई अवैज्ञानिक तांत्रिक ग्रंथों में Monitor Lizard के जननांग को “भूत‑प्रेत नाशक” या “कुंडलिनी जागरण” का साधन कहा गया है। झोलाछाप ओझा‑गुणी इसे यौन‑शक्ति बढ़ाने वाली “जड़ी” बताकर मुहमाँगे दाम वसूलते हैं। इसी अंध‑विश्वास का लाभ यज्ञ दत्त भी उठा रहा था।
अंतरराष्ट्रीय माँग
Wildlife Crime Control Bureau के मुताबिक, दक्षिण‑एशिया से तस्करी हुआ Monitor Lizard अंग चीन, मलेशिया और थाईलैंड में पारंपरिक दवाओं और काली‑जादू की रस्मों में काम आता है। यद्यपि वैज्ञानिक शोध से ऐसी किसी औषधीय गुण की पुष्टि नहीं हुई, मगर काला बाज़ार इससे अरबों का व्यापार खड़ा कर चुका है।
संरक्षण‑स्थितियाँ
Monitor Lizard (Varanus bengalensis) भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम‑1972 की Schedule‑I में सूचीबद्ध है, यानी बाघ‑हाथी जितना संवेदनशील। IUCN की रेड लिस्ट में भी प्रजाति “Near Threatened” दर्ज है। लगातार शिकार ने जैव‑विविधता को सीधा खतरा पैदा कर दिया है, और हर एक Monitor Lizard का नुकसान पारिस्थितिकी तंत्र पर भारी पड़ता है।
कानूनी प्रावधान और संभावित सज़ा
हरियाणा के प्रभागीय वन अधिकारी आर. के. जांगड़ा के अनुसार, Monitor Lizard अंग की खरीद‑फरोख्त धारा 9, 39, 40 व 51 (1‑A) के तहत दंडनीय अपराध है। दोष सिद्ध होने पर 3 से 7 साल तक कठोर कारावास और न्यूनतम 10,000 रुपये जुर्माना अनिवार्य है। अदालत चाहे तो अपराध की गंभीरता देखते हुए जुर्माना बढ़ा सकती है। फ़ोरेंसिक टीम ने यज्ञ दत्त के मोबाइल से मिले 200 से अधिक चैट‑लॉग, क्रिप्टो भुगतान रसीद और विदेशी नंबरों से हुई बातचीत को इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के रूप में सुरक्षित किया है। ये दस्तावेज़ Monitor Lizard अंतरराज्यीय गिरोह की परतें उधेड़ सकते हैं।
सज़ा के उदाहरण
- 2023 में मध्य‑प्रदेश की एक अदालत ने Monitor Lizard की ट्रैफिकिंग पर आरोपी को पाँच साल की सज़ा सुनाई थी।
- 2024 में ओडिशा के बालासोर में Monitor Lizard चमड़ा बेचते पकड़े दो व्यक्तियों को चार‑चार साल की कैद हुई।
इन उदाहरणों से संकेत मिलता है कि अदालतें अब वन्यजीव अपराध को “सफेदपोश अपराध” मानते हुए कठोर सज़ा देने की ओर बढ़ रही हैं।
डिजिटल युग में बढ़ता वन्यजीव अपराध
ऑनलाइन बाज़ार का अंधेरा
COVID‑19 के बाद से तांत्रिक‑औषधि बाज़ार तेजी से ऑनलाइन शिफ्ट हुआ है। Telegram चैनल, Dark‑Web मार्केटप्लेस और बंद Facebook ग्रुप पर Monitor Lizard अंग, टाइगर नाखून, सीहॉर्स, सिवेट कॉफी जैसे प्रतिबंधित उत्पाद खुलेआम बिकते हैं। यज्ञ दत्त ने भी Instagram Reels में “राहु‑केतु दोष शांति” के नाम पर Monitor Lizard हंसा के फ़ायदे बताए और ग्राहकों को Signal ऐप पर जोड़कर डिलीवरी की पेशकश की।
ट्रैकिंग की चुनौतियाँ
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि एन्ड‑टू‑एन्ड एन्क्रिप्शन वाले प्लेटफ़ॉर्म पर Monitor Lizard सौदे ट्रेस करना मुश्किल है। वहीं भुगतान अब क्रिप्टोकरेंसी या गिफ्ट‑कार्ड के ज़रिये होता है, जिससे मनी ट्रेल गुम हो जाती है। Wildlife Trust of India के डेटा ऐनालिस्ट राहुल सिंह बताते हैं, “हर महीने लगभग 50 नई लिस्टिंग सिर्फ Monitor Lizard कुच्छा (genital) की Detect होती हैं, जिनमें से 70% एक हफ़्ते के भीतर डिलीट हो जाती हैं।”
समाधान के रास्ते
- सोशल मीडिया कंपनियों को Wildlife Crime टैक्सोनॉमी फ़िल्टर तैयार कर संदिग्ध शब्द जैसे “Monitor Lizard Hatha Jori” को स्वतः ब्लॉक करना चाहिए।
- वन विभाग की Cyber‑Cell को बिटकॉइन मिक्सर सर्विसेज़ पर नज़र रखनी होगी।
- आम जनता में जागरूकता—“तांत्रिक उपाय में Monitor Lizard इस्तेमाल अवैध है”—फैलाना ज़रूरी है।
आगे की जाँच और विशेषज्ञ प्रतिक्रिया
वन विभाग ने यज्ञ दत्त के क्लाइंट‑लिस्ट में दर्ज 42 नामों को नोटिस भेजा है, जिनमें दिल्ली‑NCR के कॉरपोरेट पेशेवर और दो विदेशी नागरिक शामिल हैं। Wildlife Crime Control Bureau की टीम इंटरपोल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग माँग रही है ताकि Monitor Lizard अंग का सप्लाई‑चेन तोड़ा जा सके।
भूतपूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन डॉ. सतीश चन्द्र का मानना है, “सिर्फ एक गिरफ्तारी समस्या का अंत नहीं है। जब तक समाज में Monitor Lizard को चमत्कारी मानने वाली धारणाएँ रहेगी, मांग बनी रहेगी। इसके लिए स्कूल पाठ्यक्रम में जैव‑विविधता शिक्षा अनिवार्य करनी चाहिए।”
इसी बीच, पर्यावरण मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि Monitor Lizard तस्करी के मामलों में त्वरित Fast‑Track कोर्ट की व्यवस्था पर विचार चल रहा है। इससे पीड़ित प्रजाति को न्याय और अवैध कारोबारियों को कड़ा संदेश मिलेगा।
फरीदाबाद में हुआ यह मामला संकेत देता है कि वन्यजीव अपराध केवल दूर‑दराज़ के जंगलों तक सीमित नहीं, महानगरों के बीच‑बीच में फल‑फूल रहा है। एक पढ़ा‑लिखा ज्योतिषी जब Monitor Lizard अंग के सहारे अंध‑विश्वास बेच सकता है तो यह सामाजिक‑सांस्कृतिक विफलता का आईना भी है। कानून अपना काम करेगा, मगर असली बदलाव तब आएगा जब नागरिक विज्ञान, डिजिटल सतर्कता और पर्यावरणीय नैतिकता साथ मिलेंगे। तब शायद Monitor Lizard और अन्य संरक्षित प्रजातियाँ हमारे जंगलों में सुरक्षित साँस ले पाएँगी।