हाइलाइट्स
- सेक्स लाइफ पर भारतीयों की संतुष्टि दर मात्र 57%
- 30 देशों के सर्वे में सामने आई भारत की चिंताजनक तस्वीर
- हाई इनकम वाले लोग ज्यादा खुश पाए गए अपनी लव-सेक्स लाइफ से
- भारतीयों ने ज्वाइंट फैमिली, करियर और सोसाइटी प्रेशर को बताया मुख्य कारण
- कोलंबिया, थाईलैंड और मैक्सिको के लोग सबसे ज्यादा संतुष्ट अपनी सेक्स लाइफ से
30 देशों का सर्वे और भारत की तस्वीर
भारत भले ही तकनीक, शिक्षा और अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊँचाइयाँ छू रहा हो, लेकिन निजी रिश्तों और सेक्स लाइफ को लेकर स्थिति संतोषजनक नहीं है। हाल ही में पोलिंग कंपनी इप्सोस (Ipsos) ने “Love Life Satisfaction 2025” नाम से एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे किया। इसमें 30 देशों के 23,765 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से 2,000 से ज्यादा प्रतिभागी भारत से थे।
इस सर्वे में यह साफ हुआ कि जहां कोलंबिया (82%), थाईलैंड (81%) और मैक्सिको (81%) जैसे देश अपनी लव और सेक्स लाइफ को लेकर सबसे ज्यादा संतुष्ट हैं, वहीं भारत का आंकड़ा काफी पीछे है। केवल 57% भारतीय ही मानते हैं कि वे अपनी रोमांटिक और सेक्स लाइफ से खुश हैं।
भारतीयों की भावनाएँ और रिश्ते
सर्वे रिपोर्ट में एक और दिलचस्प पहलू सामने आया। लगभग 64% भारतीयों का मानना है कि उन्हें प्यार मिल रहा है, जबकि 67% लोग अपने पार्टनर के साथ रिश्ते को लेकर संतुष्ट हैं। लेकिन जब सेक्स लाइफ की बात आती है, तो यह आंकड़ा घटकर केवल 57% रह जाता है।
यह अंतर बताता है कि भारतीय समाज में रिश्ते और भावनाओं का महत्व तो है, लेकिन खुलकर सेक्स लाइफ के बारे में बात करने की झिझक अब भी गहरी है।
सेक्स लाइफ से जुड़ी संतुष्टि और आय स्तर
सर्वे के अनुसार, आय का स्तर किसी व्यक्ति की सेक्स लाइफ पर बड़ा असर डालता है।
- उच्च आय वाले 83% लोग अपनी सेक्स लाइफ से खुश हैं।
- मध्यम आय वर्ग में यह आंकड़ा 76% है।
- वहीं, कम आय वाले केवल 69% लोग अपनी सेक्स लाइफ को लेकर संतुष्ट पाए गए।
यह आँकड़े बताते हैं कि आर्थिक स्थिरता रिश्तों और सेक्स लाइफ दोनों में अहम भूमिका निभाती है।
भारतीय समाज में बाधाएँ
भारत में केवल आय ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक ढांचे का असर भी सेक्स लाइफ पर पड़ता है।
ज्वाइंट फैमिली का दबाव
भारत में अब भी बड़ी संख्या में लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं। ऐसे माहौल में प्राइवेसी की कमी स्वाभाविक है, जो संतोषजनक सेक्स लाइफ के लिए सबसे बड़ी बाधा बनती है।
वर्क प्रेशर और करियर की दौड़
बढ़ते वर्कलोड और करियर की चिंता ने भी भारतीयों की सेक्स लाइफ पर असर डाला है। लोग थकान, तनाव और मानसिक दबाव में रिश्तों को उतना समय नहीं दे पाते।
सामाजिक टैबू
भारतीय समाज में आज भी सेक्स लाइफ को खुलकर चर्चा करने योग्य विषय नहीं माना जाता। इसे अक्सर संस्कृति और परंपरा से जोड़कर देखा जाता है, जिससे लोग अपनी असली जरूरतों और समस्याओं पर खुलकर बात नहीं कर पाते।
अन्य देशों से तुलना
जब हम भारत की तुलना कोलंबिया, थाईलैंड और मैक्सिको जैसे देशों से करते हैं, तो यह फर्क और भी स्पष्ट हो जाता है। वहां के लोग अपनी सेक्स लाइफ के बारे में खुलकर बात करते हैं और इसे जीवन का सामान्य हिस्सा मानते हैं।
दूसरी ओर, जापान (56%) और साउथ कोरिया (59%) जैसे विकसित देशों में भी स्थिति भारत से बहुत बेहतर नहीं है। इसका मतलब यह है कि केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक सोच भी सेक्स लाइफ की संतुष्टि को प्रभावित करती है।
क्या बदलना होगा भारत में?
शिक्षा और जागरूकता
स्कूल और कॉलेज स्तर पर सेक्स लाइफ और रिलेशनशिप से जुड़ी शिक्षा को शामिल करना जरूरी है। इससे नई पीढ़ी खुलकर बातचीत कर पाएगी।
प्राइवेसी और रिश्तों को समय
संयुक्त परिवार से निकलकर या परिवार के भीतर ही कपल्स को पर्याप्त प्राइवेसी देना जरूरी है। साथ ही करियर और काम की भागदौड़ से समय निकालकर रिश्तों को प्राथमिकता देनी होगी।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान
तनाव और अवसाद सीधे तौर पर सेक्स लाइफ को प्रभावित करते हैं। इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और काउंसलिंग को बढ़ावा देना होगा।
भारत में सेक्स लाइफ को लेकर स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि केवल 57% लोग ही इससे संतुष्ट हैं। जबकि प्यार और रिश्तों के मामले में भारतीय खुद को बेहतर महसूस करते हैं। इसका सीधा मतलब है कि समस्या भावनाओं में नहीं, बल्कि व्यवहार, सामाजिक सोच और प्राइवेसी की कमी में है।
अगर भारतीय समाज में इस विषय पर खुलापन बढ़े और लोगों को बेहतर माहौल मिले, तो आने वाले वर्षों में सेक्स लाइफ की संतुष्टि का स्तर निश्चित रूप से सुधरेगा।