हाइलाइट्स
- अब्दुल्ला रेजीडेंसी में अवैध निर्माण और हिंदुओं की एंट्री पर प्रतिबंध का मामला गरमाया
- 300 मीटर अवैध निर्माण प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया
- ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर की थी जाँच की माँग
- गैंगस्टर शारिक की जमीन पर कॉलोनी बनने का दावा, मस्जिद निर्माण पर भी सवाल
- कॉलोनी में 90% प्लॉट मुस्लिमों को, केवल 4 प्लॉट हिंदुओं के नाम पर दर्ज
उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में अब्दुल्ला रेजीडेंसी एक बार फिर सुर्खियों में है। इस कॉलोनी पर न केवल अवैध निर्माण का आरोप लगा है, बल्कि यहां हिंदुओं की एंट्री पर प्रतिबंध जैसी गंभीर बात सामने आई है। प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 300 मीटर अतिरिक्त कब्जे को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद इलाके में राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज हो गई है।
अवैध निर्माण पर बुलडोजर
प्रशासन की बड़ी कार्रवाई
9 सितंबर 2025 को मेरठ प्रशासन ने अब्दुल्ला रेजीडेंसी में अवैध निर्माण पर कार्रवाई की। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम सदर डॉ. दीक्षा जोशी की अध्यक्षता में गठित टीम ने 300 मीटर जमीन पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त किया।
शिकायत के बाद हुई जाँच
ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इस कॉलोनी की जाँच की माँग की थी। इसके बाद तीन सदस्यीय जाँच समिति बनाई गई। समिति ने जब कॉलोनी का निरीक्षण किया तो पाया कि स्वीकृत 22,000 वर्ग मीटर के मानचित्र के बाहर अतिरिक्त 300 मीटर पर निर्माण किया गया है। इसी कब्जे पर बुलडोजर चलाया गया।
हिंदुओं की एंट्री पर प्रतिबंध का विवाद
धार्मिक आधार पर बसावट के आरोप
अब्दुल्ला रेजीडेंसी पर सबसे गंभीर आरोप यह है कि यहां हिंदुओं की एंट्री पर रोक है। रिपोर्ट्स के अनुसार कॉलोनी में 75 प्लॉट हैं, जिनमें 90 प्रतिशत मुस्लिमों को बेचे गए हैं। केवल 4 प्लॉट हिंदुओं के हिस्से में आए हैं।
मंत्री का बयान
मंत्री सोमेंद्र तोमर ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि धार्मिक आधार पर बसावट का प्रयास कभी सफल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कॉलोनी में बनी मस्जिद का नक्शा वैध है या नहीं, इसकी भी गहराई से जाँच होगी।
गैंगस्टर शारिक का कनेक्शन
विवादित जमीन पर कॉलोनी
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अब्दुल्ला रेजीडेंसी का निर्माण जेल में बंद गैंगस्टर शारिक की जमीन पर हुआ है। कॉलोनी में एक मस्जिद का निर्माण भी कराया गया, जिस पर वैधता के सवाल खड़े हो रहे हैं।
प्रशासन का रुख
जाँच समिति में सीओ सिविल लाइन अभिषेक तिवारी और आवास विकास के एसई राजीव कुमार भी शामिल थे। अधिकारियों का कहना है कि पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही जमीन और मस्जिद से जुड़े तथ्य सार्वजनिक किए जाएंगे।
अब्दुल्ला रेजीडेंसी विवाद की जाँच
8 बिंदुओं पर जांच
प्रशासन की टीम ने अब्दुल्ला रेजीडेंसी से जुड़े 8 बिंदुओं पर जाँच की। इसमें जमीन की प्रकृति, कब्जा, मानचित्र और स्वीकृति जैसे पहलू शामिल थे। टीम की प्राथमिक रिपोर्ट में पाया गया कि अतिरिक्त 300 मीटर पर अवैध कब्जा किया गया था।
बिल्डर पर सवाल
बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के दो पार्टनर हैं – मेजर जनरल जावेद इकबाल और महेंद्र गुप्ता। प्रशासन यह भी देख रहा है कि कब्जा किसकी जिम्मेदारी में हुआ और क्या दोनों भागीदारों की इसमें समान भूमिका है।
अब्दुल्ला रेजीडेंसी में तनाव
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
कॉलोनी में हिंदुओं की एंट्री पर रोक की खबर ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है। स्थानीय लोग इसे धार्मिक भेदभाव से जोड़कर देख रहे हैं। कई संगठनों ने भी प्रशासन से निष्पक्ष जाँच और कार्रवाई की माँग की है।
राजनीतिक हलचल
इस विवाद ने राजनीति को भी गर्मा दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा है कि आखिर 10 सालों से विकसित हो रही कॉलोनी पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई। वहीं सरकार का कहना है कि किसी भी अवैध कब्जे और धार्मिक आधार पर भेदभाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आगे की राह
प्रशासन की तैयारी
मेरठ प्रशासन अब इस पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है। अगर अब्दुल्ला रेजीडेंसी में गैंगस्टर की जमीन या धार्मिक आधार पर भेदभाव का तथ्य पुष्ट होता है, तो बड़ी कार्रवाई की संभावना है।
बड़ा सवाल
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कॉलोनी का विकास सचमुच एक विशेष समुदाय को ध्यान में रखकर किया गया था, या यह केवल सियासी विवाद है। आने वाले दिनों में जाँच रिपोर्ट से इस पर तस्वीर साफ होगी।
अब्दुल्ला रेजीडेंसी विवाद केवल अवैध निर्माण का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह धार्मिक और सामाजिक तनाव से भी जुड़ गया है। बुलडोजर कार्रवाई के बाद अब सबकी नजर प्रशासनिक रिपोर्ट और सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई है।