निप्पल से मवाद निकलने की जांच में डॉक्टर हुए सन्न, एक्सरे में छाती से निकला चाकू का ब्लेड

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हाइलाइट्स

  • तंजानिया में निप्पल के नीचे मवाद निकलने की वजह बना छाती में धंसा चाकू का ब्लेड
  • 8 साल पुरानी मारपीट की घटना का निकला चौंकाने वाला सच
  • जर्नल ऑफ सर्जिकल केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई अनोखी मेडिकल स्टडी
  • डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन कर ब्लेड को शरीर से निकाला
  • ब्लेड हटने के बाद रोगी की सेहत में हुआ सुधार

तंजानिया का हैरान कर देने वाला मामला

तंजानिया में एक व्यक्ति तब स्तब्ध रह गया जब उसके निप्पल के नीचे लगातार मवाद निकलने की शिकायत पर डॉक्टर ने जांच की और पता चला कि उसकी छाती में चाकू का ब्लेड धंसा हुआ है। यह ब्लेड उसके शरीर में पिछले आठ वर्षों से फंसा हुआ था और अब जाकर डॉक्टरों ने इसका राज खोला।

यह चौंकाने वाला मामला सामने आने के बाद मेडिकल जगत में चर्चा का विषय बन गया है। छाती में चाकू का ब्लेड होने के बावजूद मरीज को न तो सांस लेने में तकलीफ थी और न ही सीने में कोई बड़ा दर्द महसूस हुआ। केवल निप्पल से मवाद निकलना ही उसकी एकमात्र समस्या थी, जिसके कारण उसने डॉक्टर का रुख किया।

जांच में कैसे सामने आया सच

डॉक्टरों के अनुसार, जब रोगी दार एस सलाम के मुहिमबिली नेशनल हॉस्पिटल पहुंचा, तो प्रारंभिक जांच के बाद उसे एक्स-रे और स्कैनिंग के लिए भेजा गया। तभी यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि उसकी छाती में चाकू का ब्लेड धंसा हुआ है।

चिकित्सकों ने बताया कि ब्लेड उसके दाहिने कंधे की हड्डी से टकराकर वहीं फंस गया था और लंबे समय से धीरे-धीरे उसके ऊतकों में स्थिर हो गया। यही कारण था कि रोगी को कोई तीव्र लक्षण महसूस नहीं हुए, लेकिन संक्रमण के कारण निप्पल के नीचे से मवाद निकलने लगा।

8 साल पुरानी मारपीट का नतीजा

रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 8 साल पुरानी मारपीट से जुड़ी हुई है। पीड़ित ने बताया कि उस दौरान उसके चेहरे, पीठ, छाती और पेट पर कई बार वार किए गए थे। चोट लगने के बाद उसे नजदीकी क्लिनिक में प्राथमिक उपचार मिला और घावों पर टांके लगाए गए। लेकिन संसाधनों की कमी के कारण न तो एक्स-रे हुआ और न ही कोई गहन जांच।

यही लापरवाही उसकी जिंदगी पर भारी पड़ सकती थी। अगर समय रहते जांच होती, तो उस समय ही छाती में चाकू का ब्लेड पकड़ में आ जाता।

सफल सर्जरी से मिली राहत

डॉक्टरों ने सावधानीपूर्वक ऑपरेशन कर ब्लेड को बाहर निकाला। सर्जरी के बाद रोगी की हालत में तेजी से सुधार हुआ और करीब 10 दिन में उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि छाती में चाकू का ब्लेड लंबे समय तक फंसा रहना घातक साबित हो सकता था, क्योंकि किसी भी समय यह फेफड़ों या दिल जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकता था।

मेडिकल रिपोर्ट ने खोला नया पहलू

जर्नल ऑफ सर्जिकल केस रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस केस स्टडी ने दुनिया भर के डॉक्टरों का ध्यान आकर्षित किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मामलों में प्राथमिक उपचार के बाद भी गहन जांच बेहद जरूरी है। एक्स-रे या सीटी स्कैन जैसे परीक्षण से यह साफ हो सकता है कि शरीर में कोई बाहरी वस्तु फंसी है या नहीं।

विशेषज्ञों का कहना है कि छाती में चाकू का ब्लेड जैसी स्थिति दुर्लभ है, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि अनदेखी करने से मरीज की जान को बड़ा खतरा हो सकता है।

मरीज ने क्या कहा

मरीज का कहना है कि उसे कभी अंदाजा भी नहीं था कि उसके शरीर में इतने वर्षों तक ब्लेड फंसा रहा। उसने बताया कि उसे कभी भी सांस लेने, खांसी या तेज बुखार जैसी समस्या नहीं हुई। केवल निप्पल से मवाद निकलने की वजह से ही उसने डॉक्टर को दिखाया।

उसका मानना है कि अगर उसने थोड़ी और देर कर दी होती, तो शायद मामला उसकी जान तक ले सकता था।

विशेषज्ञों की राय

डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे मामलों में सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि छाती में चाकू का ब्लेड शरीर के किस हिस्से में फंसा है और आसपास के अंगों पर कितना असर डाल रहा है। सर्जरी के दौरान जरा-सी चूक घातक साबित हो सकती थी।

मेडिकल विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यह मामला उन सभी के लिए सीख है जो किसी हिंसक हमले या गंभीर दुर्घटना के बाद केवल बाहरी चोटों के आधार पर उपचार कराते हैं। आंतरिक जांच के बिना गंभीर खतरे छिपे रह सकते हैं।

निप्पल से मवाद निकलने जैसी समस्या को न करें नजरअंदाज

डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि निप्पल से मवाद निकलना हमेशा सामान्य संक्रमण का संकेत नहीं होता। कई बार इसके पीछे कोई गंभीर कारण छिपा हो सकता है, जैसा कि इस मामले में हुआ।
विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसी स्थिति में तुरंत चिकित्सा जांच करानी चाहिए और यदि जरूरी हो तो एक्स-रे या सीटी स्कैन भी करवाना चाहिए।

नतीजा

तंजानिया का यह मामला मेडिकल इतिहास में दर्ज हो गया है। 8 साल पुराने हमले के बावजूद व्यक्ति की छाती में चाकू का ब्लेड छिपा रहा और केवल एक साधारण लक्षण से उसकी असलियत सामने आई। यह घटना न केवल चिकित्सा जगत के लिए सीख है बल्कि आम जनता के लिए भी एक चेतावनी है कि किसी भी स्वास्थ्य समस्या को हल्के में न लें।

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