यूपी के 434 प्राइमरी स्कूलों में अचानक रोकी गई सैलरी, वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे

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हाइलाइट्स

  • यूपी के बरेली में 434 प्राइमरी स्कूलों की सैलरी रोकने का आदेश
  • यू-डायस पोर्टल पर स्कूल प्रोफाइल, अध्यापक प्रोफाइल और छात्र मॉड्यूल का डेटा समय पर अपलोड नहीं हुआ
  • बीएसए संजय सिंह ने 19 ब्लॉकों के स्कूलों के सभी स्टाफ का अगस्त वेतन रोका
  • कक्षा एक में प्रवेशित 5480 छात्रों और ड्रॉपबॉक्स के 10445 मामलों का डेटा अपलोड अधूरा
  • शिक्षकों का कहना – पलायन और टीसी वाले बच्चों को दोबारा इंपोर्ट करना नियमविरुद्ध

आदेश ने मचाया हड़कंप

यूपी के बरेली में 434 प्राइमरी स्कूलों की सैलरी रोकने का आदेश बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किया गया है। यह निर्णय सीधे तौर पर उन स्कूलों और उनके शिक्षकों की लापरवाही से जुड़ा है, जिन्होंने निर्धारित समय पर यू-डायस पोर्टल पर आवश्यक डेटा अपलोड नहीं किया। आदेश जारी होने के बाद पूरे जिले के शिक्षा जगत में हड़कंप मच गया है।

क्या है पूरा मामला?

यू-डायस पोर्टल और डेटा अपडेट की प्रक्रिया

शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए यू-डायस पोर्टल पर स्कूल प्रोफाइल, अध्यापक प्रोफाइल और छात्र मॉड्यूल को अपडेट करने की प्रक्रिया 25 जून से शुरू हुई थी। सभी स्कूलों को 15 दिनों के भीतर यह कार्य पूरा करने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद, 23 अगस्त तक भी जिले के कई स्कूलों ने यह कार्य पूरा नहीं किया।

बीएसए का सख्त रुख

बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) संजय सिंह ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि यू-डायस पोर्टल पर सभी आवश्यक सूचनाएं अपलोड करना प्राथमिक जिम्मेदारी है। जब कई बार निर्देश देने के बावजूद स्कूलों ने लापरवाही दिखाई, तो बीएसए ने 19 ब्लॉकों के 434 विद्यालयों के सभी स्टाफ का अगस्त माह का वेतन रोकने का आदेश जारी कर दिया।

किन आंकड़ों की कमी रही?

अधूरा छात्र डेटा

बीएसए के अनुसार, 434 विद्यालयों ने अभी तक ड्रॉपबॉक्स 2025-26 के 10445 मामलों का डेटा और कक्षा एक में प्रवेशित 5480 छात्रों का विवरण पोर्टल पर अपलोड नहीं किया।

महत्वपूर्ण सूचनाओं की अनदेखी

  • स्कूल प्रोफाइल अपडेट अधूरी रही
  • अध्यापक प्रोफाइल का डेटा सही तरीके से दर्ज नहीं हुआ
  • छात्र नामांकन और गैप का विवरण अधूरा छोड़ा गया
  • ड्रॉपबॉक्स में बच्चों के नाम कटने, टीसी ट्रांसफर और पलायन से संबंधित जानकारी दर्ज नहीं हुई

शिक्षकों की दलीलें

पलायन और टीसी का मुद्दा

शिक्षकों का कहना है कि जिन बच्चों ने टीसी ले ली है या जिनके अभिभावक पलायन कर गए हैं, उनका डेटा दोबारा इंपोर्ट करना नियमविरुद्ध है। कई बार बच्चों के नामांकन या नाम कटवाने की स्थिति में वास्तविक डेटा और पोर्टल पर दर्ज डेटा में असंगति आ जाती है।

समय की कमी का तर्क

कई शिक्षकों ने यह भी कहा कि निर्धारित 15 दिन की समय-सीमा बहुत कम थी। इतने बड़े स्तर पर डेटा को इकट्ठा करना और सही ढंग से अपलोड करना समय लेने वाली प्रक्रिया है।

आदेश के संभावित प्रभाव

स्कूलों में असंतोष

यूपी के बरेली में 434 प्राइमरी स्कूलों की सैलरी रोकने का आदेश शिक्षकों के बीच असंतोष का कारण बना है। कई शिक्षक इसे अनुचित कार्रवाई मान रहे हैं। उनका कहना है कि बिना उनकी बात सुने और वास्तविक स्थिति को समझे एकतरफा निर्णय लेना मनोबल गिराने वाला कदम है।

शिक्षा व्यवस्था पर असर

अगर यह स्थिति लंबी चली तो शिक्षकों का ध्यान पढ़ाई से हटकर वेतन बहाली की लड़ाई में उलझ सकता है। इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ सकता है।

बीएसए की सख्त चेतावनी

आगे भी हो सकती है कार्रवाई

बीएसए संजय सिंह ने स्पष्ट किया है कि यदि आगे भी यू-डायस पोर्टल पर डेटा अपडेट समय पर पूरा नहीं हुआ, तो न केवल वेतन रोका जाएगा बल्कि भविष्य में वेतन वृद्धि पर भी रोक लगाई जाएगी।

जिम्मेदारी तय होगी

उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देशित किया है कि अपने-अपने ब्लॉकों के स्कूलों में डेटा अपडेट का कार्य तत्काल पूरा कराएं। अन्यथा, अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय होगी।

यूपी के बरेली में 434 प्राइमरी स्कूलों की सैलरी रोकने का आदेश सिर्फ एक प्रशासनिक कार्यवाही नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गंभीर समस्या को उजागर करता है। डेटा प्रबंधन में लापरवाही, समय-सीमा का पालन न करना और संवादहीनता जैसी समस्याएं मिलकर बड़ी चुनौती बन गई हैं।

अब सवाल यह है कि क्या यह सख्त कार्रवाई शिक्षकों को जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करेगी या फिर यह शिक्षा व्यवस्था में और असंतोष को जन्म देगी? आने वाले दिनों में इसका असर जिले के शैक्षिक माहौल पर साफ दिखाई देगा।

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