चाय पीते हैं रोज़? ये एक आदत चुपचाप बढ़ा रही है Cancer का खतरा, आखिरी स्टेज में मिलते हैं सिर्फ 3 संकेत

Health

हाइलाइट्स

  • खाने की नली का कैंसर गरम चाय पीने की आदत से जुड़ा बड़ा खतरा
  • 65°C से ज्यादा गरम पेय पीना शरीर के लिए कैंसरकारी साबित हो सकता है
  • WHO ने बहुत गरम पेय पदार्थों को मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना है
  • शुरुआती लक्षण देर से सामने आते हैं, ज्यादातर मामलों में कैंसर आखिरी स्टेज पर पकड़ा जाता है
  • सावधानी ही बचाव है, चाय या कॉफी को पीने से पहले ठंडा करना जरूरी

भारत में चाय सिर्फ एक पेय नहीं बल्कि जीवनशैली का हिस्सा है। सुबह की शुरुआत से लेकर दिनभर की थकान मिटाने तक, चाय हर घर में मौजूद रहती है। लेकिन वैज्ञानिक शोध अब चेतावनी दे रहे हैं कि यही चाय अगर बहुत गरम पी जाए तो यह गंभीर स्वास्थ्य खतरे का कारण बन सकती है। हालिया शोधों और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि 65°C (149°F) से ज्यादा गरम पेय पदार्थ पीना सीधे तौर पर खाने की नली का कैंसर (Esophageal Cancer) पैदा कर सकता है।

खाने की नली का कैंसर क्या है?

खाने की नली का कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें भोजन नली की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। यह बीमारी दुनिया में आठवें स्थान पर सबसे आम कैंसर मानी जाती है। खास बात यह है कि इसके लक्षण देर से सामने आते हैं और मरीज अक्सर तब अस्पताल पहुंचते हैं जब कैंसर आखिरी स्टेज पर पहुंच चुका होता है।

गरम चाय और खाने की नली का कैंसर: वैज्ञानिक अध्ययन

रिसर्च क्या कहती है?

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, 65°C से ज्यादा गरम चाय पीने से भोजन नली की परत जलने लगती है। बार-बार यह नुकसान सूजन और कोशिकाओं में बदलाव लाता है, जो समय के साथ खाने की नली का कैंसर का रूप ले सकता है।

WHO की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि बहुत गरम पेय पदार्थ इंसानों के लिए कैंसरकारी हैं। यानी यह सिर्फ चाय ही नहीं बल्कि कॉफी, सूप और यहां तक कि गरम पानी पर भी लागू होता है।

कैसे बढ़ता है खतरा?

गरम पेय का असर

जब कोई व्यक्ति बहुत गरम पेय पीता है, तो भोजन नली की परत बार-बार जलती है। यह लगातार नुकसान न केवल सूजन बल्कि कोशिकाओं के डीएनए में स्थायी परिवर्तन कर देता है। यही स्थिति लंबे समय में खाने की नली का कैंसर की वजह बनती है।

किस तरह का कैंसर होता है?

  • एसोफेजियल स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा: यह कैंसर अधिकतर भोजन नली के ऊपरी और बीच के हिस्से में होता है और गरम पेय पीने से जुड़ा है।
  • एसोफेजियल एडेनोकार्सिनोमा: यह निचले हिस्से में होता है और ज्यादातर एसिडिटी और मोटापे से जुड़ा होता है।

शुरुआती लक्षण जिन्हें नजरअंदाज न करें

  • खाना निगलने में कठिनाई
  • लगातार गले में खराश या दर्द
  • बिना वजह वजन कम होना
  • खाने-पीने के दौरान छाती में जलन या तकलीफ
  • बार-बार उल्टी या खांसी

अक्सर ये लक्षण सामान्य बीमारियों जैसे एसिडिटी या गले की खराश समझ लिए जाते हैं। लेकिन यह अनदेखी खाने की नली का कैंसर को पकड़ने में देरी कर देती है।

भारत और गरम चाय की आदत

भारत चाय पीने के लिए दुनिया में सबसे आगे है। यहां के करोड़ों लोग दिन की शुरुआत गरमा-गरम चाय के साथ करते हैं। कई लोग तो 70°C से 85°C तक गरम पेय पीते हैं, जो बेहद खतरनाक है। यही कारण है कि भारत में खाने की नली का कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

सावधानी ही है बचाव

सुरक्षित तरीके

  • कभी भी 65°C से ज्यादा गरम पेय न पिएं
  • चाय या कॉफी को कम से कम 4-5 मिनट ठंडा होने दें
  • पेय को पीने से पहले चम्मच से हिलाएं या हल्की फूंक मारें
  • तापमान कम करने के लिए दूध या ठंडा पानी मिला सकते हैं

जीवनशैली में बदलाव

  • धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएँ
  • मसालेदार और बहुत गरम भोजन से परहेज करें
  • नियमित हेल्थ चेकअप कराएं
  • संतुलित आहार और व्यायाम अपनाएं

खाने की नली का कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसे शुरुआत में पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन वैज्ञानिक चेतावनी साफ है—गरम चाय या अन्य गरम पेय का सेवन इस खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। भारत जैसे देश, जहां चाय संस्कृति का हिस्सा है, वहां जागरूकता बेहद जरूरी है।

अगर लोग सिर्फ यह आदत बदल लें कि चाय को ठंडा करके पिएं, तो खाने की नली का कैंसर के हजारों मामले रोके जा सकते हैं।

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