बिहार में शुरू हुआ राजस्व महाअभियान! अब घर बैठे बदल जाएगी आपकी जमीन की किस्मत, जानें कैसे…

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हाइलाइट्स

  • राजस्व महाअभियान के तहत बिहार में जमीन से जुड़े सभी मामलों का होगा त्वरित समाधान
  • घर-घर जाकर ली जाएगी आवेदन और दी जाएगी जमाबंदी की प्रति
  • मृतक पूर्वजों की जमीन आसानी से वारिसों के नाम होगी दर्ज
  • भूमि अभिलेखों की सभी त्रुटियाँ होंगी दुरुस्त, नाम और खेसरा से लेकर क्षेत्रफल तक
  • किसानों को सरकारी योजनाओं, ऋण और मुआवजे में मिलेगा सीधा लाभ

राजस्व महाअभियान का उद्देश्य

बिहार सरकार के राजस्व महाअभियान की घोषणा ने राज्य भर के किसानों और जमीन मालिकों के बीच उम्मीद की नई किरण जगाई है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य भूमि अभिलेखों को पूरी तरह डिजिटल, त्रुटिरहित और पारदर्शी बनाना है। लंबे समय से जमीन से जुड़े मामलों में आम लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे, जिससे न केवल समय और धन की बर्बादी होती थी, बल्कि भ्रष्टाचार की भी गुंजाइश बनी रहती थी।

राजस्व विभाग का दावा है कि इस राजस्व महाअभियान से न केवल इन समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि वारिसों को मृत पूर्वजों की जमीन अपने नाम कराने में भी सुविधा मिलेगी।

आवेदन प्रक्रिया और नई व्यवस्था

घर-घर से लिए जाएंगे आवेदन

इस राजस्व महाअभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अब रैयतों को सरकारी कार्यालयों में बार-बार जाने की जरूरत नहीं होगी। विभाग की टीम सीधे घरों तक जाएगी और वहीं से आवेदन लेकर प्रक्रिया पूरी करेगी।

घर तक पहुँचेगी जमाबंदी की प्रति

एक और बड़ा बदलाव यह है कि अब रैयतों को जमाबंदी की प्रति भी उनके घर तक उपलब्ध कराई जाएगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों और भूमिधारकों को राहत मिलेगी।

मृतक रैयतों की जमीन पर वारिसों का अधिकार

नई जमाबंदी में वारिसों का नाम

अक्सर देखा गया है कि कई जमीनें अब भी मृतक पूर्वजों के नाम पर दर्ज हैं, जिसके चलते वारिसों को भारी परेशानी होती है। इस राजस्व महाअभियान में ऐसी जमीनों को वारिसों के नाम दर्ज करने के लिए नई जमाबंदी तैयार की जाएगी।

लगान भी कटेगा वारिसों के नाम से

एक बार वारिसों के नाम दर्ज हो जाने पर जमीन का लगान भी उनके नाम से कटेगा। इसका लाभ यह होगा कि वे लोग अब बैंक ऋण, सरकारी योजनाओं और मुआवजा जैसी सुविधाओं से वंचित नहीं रहेंगे।

भूमि अभिलेखों की त्रुटियों का समाधान

नाम, खाता और खेसरा की गलतियाँ होंगी दुरुस्त

राजस्व महाअभियान के अंतर्गत उन सभी प्रकार की त्रुटियों को ठीक किया जाएगा, जिनके कारण अब तक भूमि विवाद उत्पन्न होते रहे हैं। इनमें नाम, खाता संख्या, खेसरा और क्षेत्रफल संबंधी गलतियाँ शामिल हैं।

डिजिटल अभिलेखों की ओर कदम

इसके साथ ही, जिन जमाबंदियों को अभी तक ऑनलाइन नहीं किया गया है, उन्हें भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा। इससे अभिलेख न केवल सुरक्षित रहेंगे बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

किसानों को मिलेगा बड़ा लाभ

योजनाओं से जुड़ाव

इस राजस्व महाअभियान का सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा। अधूरी या गलत जमाबंदी की वजह से अब तक कई किसान सरकारी योजनाओं, बैंक लोन और मुआवजा पाने से वंचित रहे थे। लेकिन अब सही जमाबंदी के चलते उन्हें सीधे इन सुविधाओं का लाभ मिलेगा।

भूमि विवादों में कमी

भूमि विवाद बिहार में लंबे समय से बड़ी समस्या रहे हैं। लेकिन भूमि अभिलेखों की शुद्धता और पारदर्शिता आने से ऐसे विवादों में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है।

पारदर्शिता और सुशासन की दिशा में कदम

राजस्व विभाग का यह कदम केवल जमीन सुधार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिहार में सुशासन और डिजिटलाइजेशन की दिशा में भी बड़ा कदम है। सरकारी प्रक्रियाओं को सरल और जनता के घर तक पहुँचाना इस बात का संकेत है कि राज्य प्रशासन अब “लोगों को दफ्तर बुलाने” की जगह “सेवा उनके घर पहुँचाने” की नीति पर काम कर रहा है।

राजस्व महाअभियान बिहार सरकार की एक ऐतिहासिक पहल साबित हो सकती है। यह न केवल जमीन मालिकों और किसानों को राहत देगा, बल्कि भूमि अभिलेखों को त्रुटिरहित और डिजिटल बनाकर पारदर्शी व्यवस्था की ओर ले जाएगा। अब सवाल यह है कि यह महत्वाकांक्षी योजना कितनी तेजी और कितनी प्रभावी ढंग से लागू होती है। अगर यह अभियान सही ढंग से संचालित हुआ तो बिहार भूमि विवादों और भ्रष्टाचार की समस्या से काफी हद तक मुक्त हो सकता है।

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