हाइलाइट्स
- अवैध कॉलोनी को लेकर लखनऊ के बिजनौर क्षेत्र में मचा हड़कंप, 25 घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई शुरू।
- बैंक लोन, रजिस्ट्री और शिफ्टिंग तक पूरी होने के बाद भी अचानक LDA ने घोषित की अवैध कॉलोनी।
- बिल्डर पर करोड़ों की वसूली का आरोप, शिकायत – निर्माण के समय LDA अफसरों ने आंख मूंद ली थी।
- परिवारों की आंखों में उजड़ने का डर, बच्चों की पढ़ाई और महिलाओं की सुरक्षा पर संकट।
- पीड़ित मकान मालिक बोले – अगर कॉलोनी अवैध थी तो बैंक और रजिस्ट्री विभाग ने क्यों दी मंजूरी?
अवैध कॉलोनी विवाद: घर बसने से पहले उजड़ने लगे सपने
लखनऊ के बिजनौर इलाके में अचानक अवैध कॉलोनी विवाद ने सैकड़ों परिवारों की नींद उड़ा दी है। खबर है कि इस कॉलोनी में बने करीब 25 घरों की रजिस्ट्री, बैंक लोन और शिफ्टिंग तक पूरी हो चुकी है। कई परिवार अपने बच्चों और बुजुर्गों के साथ यहां रहने लगे हैं। लेकिन अचानक जब लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की टीम बुलडोजर लेकर पहुंची और कॉलोनी को अवैध कॉलोनी बताकर तोड़फोड़ शुरू की, तो लोगों के सपने चकनाचूर हो गए।
कैसे हुई पूरी प्रक्रिया, फिर भी बनी अवैध कॉलोनी?
बैंक से लोन और रजिस्ट्री की प्रक्रिया
इस अवैध कॉलोनी में जिन परिवारों ने घर खरीदा, उन्होंने बाकायदा बैंक से लोन लिया। घरों की रजिस्ट्री सरकारी रजिस्ट्रार ऑफिस में हुई और खरीदारों ने विधिवत स्टाम्प ड्यूटी भी जमा की। यानी कानूनी नजर से सब कुछ वैध लग रहा था।
बिल्डर और LDA पर सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब अवैध कॉलोनी का निर्माण हो रहा था, तब LDA के अफसरों ने बिल्डर से मोटी रकम लेकर आंख मूंद ली। किसी भी स्तर पर न तो जांच हुई और न ही कोई नोटिस जारी किया गया। लेकिन अब जब कॉलोनी पूरी तरह से तैयार हो गई, लोग शिफ्ट हो गए, तो कार्रवाई का खेल शुरू हो गया।
पीड़ित परिवारों की बेबसी
बच्चों और महिलाओं पर असर
इस अवैध कॉलोनी में रहने वाले परिवार सबसे ज्यादा बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। अचानक उजड़ने के डर से बच्चे स्कूल जाने में हिचक रहे हैं और महिलाएं घर से बाहर निकलने से डर रही हैं।
खरीदारों का दर्द
एक पीड़ित गृहस्वामी का कहना है – “अगर यह अवैध कॉलोनी थी, तो बैंक ने हमें लोन क्यों दिया? रजिस्ट्री ऑफिस ने रजिस्ट्री क्यों की? अब जब हमने अपनी जीवनभर की कमाई लगा दी तो घर को गिराने की नौबत आ गई।”
क्या कहता है कानून?
अवैध कॉलोनी और रजिस्ट्री की कानूनी स्थिति
उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन कानून के मुताबिक, किसी भी कॉलोनी को विकसित करने से पहले संबंधित प्राधिकरण से नक्शा और अनुमति लेनी अनिवार्य है। लेकिन इस मामले में आरोप है कि बिना अनुमति के कॉलोनी विकसित की गई और बाद में उसे बेच दिया गया।
LDA का पक्ष
LDA अधिकारियों का कहना है कि यह अवैध कॉलोनी है और नियमों के तहत कार्रवाई जरूरी है। हालांकि, लोगों का आरोप है कि यह कार्रवाई केवल वसूली का नया तरीका है।
भ्रष्टाचार का खेल और सवाल
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है। लोग पूछ रहे हैं –
- अगर कॉलोनी अवैध कॉलोनी थी तो निर्माण के दौरान क्यों नहीं रोका गया?
- बैंक और रजिस्ट्री विभाग ने जांच क्यों नहीं की?
- क्या यह पूरा खेल बिल्डर और LDA अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है?
उजड़ते घर और टूटा भरोसा
सामाजिक और आर्थिक संकट
इन 25 परिवारों ने अपनी पूरी पूंजी इस कॉलोनी में लगा दी। अब उन्हें न घर मिल रहा है, न पैसा लौटने की उम्मीद है। बच्चों की पढ़ाई, बुजुर्गों की देखभाल और महिलाओं की सुरक्षा पर संकट मंडरा रहा है।
लोगों की मांग
लोगों की मांग है कि अगर कॉलोनी अवैध कॉलोनी है तो दोषी बिल्डर और लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई हो, लेकिन खरीदारों को न्याय मिले।
25 घर बनकर तैयार हो गए ! बैंक लोन हो गया ,रजिस्ट्री हो गई लोग परिवार समेत शिफ्ट भी हो गए ! अब LDA कालोनी को अवैध बता बुलडोजर लेकर पहुंच गया है !
जब अवैध कॉलोनी का निर्माण हो रहा था तब LDA के लोग बिल्डर से मोटी रकम लेकर आंखे बंद कर लिए ! अब जब इमारत तैयार हो गई तब फिर वसूली का… pic.twitter.com/gLcXR9UBOX— Tushar Srivastava (@TusharSrilive) August 18, 2025
सरकार और प्रशासन की भूमिका
यह मामला सिर्फ लखनऊ या बिजनौर तक सीमित नहीं है। यूपी के कई शहरों में ऐसी कॉलोनियां तेजी से विकसित हो रही हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार खरीदारों को सुरक्षा देने के लिए कोई ठोस नीति बनाएगी? या फिर हर जगह आम लोग ही इस भ्रष्ट सिस्टम की कीमत चुकाते रहेंगे।
बिजनौर की यह घटना आम लोगों के लिए बड़ा सबक है। घर खरीदने से पहले सिर्फ बिल्डर की बात या बैंक की स्वीकृति पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। अवैध कॉलोनी का जाल हर शहर में फैला हुआ है, और जब तक प्रशासन पारदर्शी और जवाबदेह नहीं होगा, तब तक लोगों के सपने इसी तरह उजड़ते रहेंगे।