लोकसभा में आज पेश होगा जन विश्वास विधेयक 2.0, छोटे अपराधों में सजा खत्म करने की तैयारी

Latest News

हाइलाइट्स

  • जन विश्वास विधेयक 2025 का उद्देश्य छोटे अपराधों में सजा का प्रविधान खत्म कर व्यापार और जीवन को सुगम बनाना है।
  • लोकसभा में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सोमवार को यह विधेयक पेश करेंगे।
  • 350 से अधिक प्रविधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है।
  • इससे पहले 2023 में 183 प्रविधानों को अपराधमुक्त किया गया था।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में अनावश्यक कानूनों को हटाने की घोषणा की थी।

जन विश्वास विधेयक 2025 क्या है?

जन विश्वास विधेयक 2025 केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका मकसद जन विश्वास विधेयक 2025 के माध्यम से व्यापार और जीवन को सरल बनाना है। इस विधेयक के जरिए 350 से अधिक प्रविधानों में संशोधन का प्रस्ताव है, ताकि छोटे अपराधों में सजा का प्रावधान खत्म किया जा सके और एक नागरिक-केंद्रित शासन प्रणाली को और मजबूत किया जा सके।

लोकसभा की कार्यसूची के मुताबिक, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सोमवार को यह विधेयक पेश करेंगे। सरकार का मानना है कि इससे न केवल कारोबारी माहौल बेहतर होगा बल्कि निवेशकों का भी विश्वास बढ़ेगा।

पहले भी उठाए गए कदम

जन विश्वास विधेयक 2025 से पहले सरकार ने 2023 में इसी तरह का एक बड़ा कदम उठाया था। उस समय जन विश्वास विधेयक 2023 के तहत 19 मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रविधानों को अपराधमुक्त किया गया था।

अपराधमुक्त करने का अर्थ है कि कुछ कार्यों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाए। इसका मतलब यह नहीं कि वह कार्य वैध हो गया है, बल्कि केवल आपराधिक दंड हटाकर उसे जुर्माने या दंडात्मक प्रावधान से जोड़ा गया। इससे व्यापारियों और नागरिकों पर बेवजह का दबाव कम हुआ और शासन प्रणाली अधिक सहज बनी।

जन विश्वास विधेयक 2025 का महत्व

नागरिकों के लिए

  • छोटे अपराधों पर जेल की सजा का भय खत्म होगा।
  • अनावश्यक कानूनी प्रक्रियाओं से राहत मिलेगी।
  • शासन में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा।

व्यापार जगत के लिए

  • व्यवसाय करना आसान होगा।
  • विदेशी और घरेलू निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
  • भारत की रैंकिंग ‘Ease of Doing Business’ में और मजबूत हो सकती है।

प्रधानमंत्री मोदी का विज़न

स्वतंत्रता दिवस 2025 के भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ संकेत दिए थे कि सरकार नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए अनावश्यक कानूनों को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा था, “हमारे देश में ऐसे कानून मौजूद हैं जो छोटी-छोटी बातों पर भी जेल की सजा का प्रविधान करते हैं। यह नागरिकों पर अनावश्यक बोझ डालते हैं और समय आ गया है कि इन्हें खत्म किया जाए।”

यही कारण है कि जन विश्वास विधेयक 2025 को जनता के सामने लाया जा रहा है।

सरकार की अब तक की पहलें

  • 40,000 से ज्यादा अनुपालनों को समाप्त किया गया।
  • 1,500 से अधिक अप्रचलित कानून खत्म किए गए।
  • दर्जनों पुराने कानूनों में संशोधन कर उन्हें सरल बनाया गया।

इन सुधारों के बाद अब जन विश्वास विधेयक 2025 इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

विशेषज्ञों की राय

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि जन विश्वास विधेयक 2025 भारत के न्यायिक ढांचे को और संतुलित बनाएगा।

  • सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है, “यह विधेयक नागरिकों को आपराधिक मुकदमों के बोझ से बचाएगा और शासन व्यवस्था में लचीलापन लाएगा।”
  • उद्योग जगत भी इसे एक क्रांतिकारी कदम बता रहा है। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने कहा है कि इससे कारोबारी गतिविधियों में तेजी आएगी और नौकरशाही का दबाव कम होगा।

विपक्ष की चिंताएँ

जहां सरकार जन विश्वास विधेयक 2025 को ऐतिहासिक बता रही है, वहीं विपक्ष ने भी कुछ सवाल उठाए हैं।

  • विपक्ष का कहना है कि अपराधमुक्त करने के नाम पर कहीं गंभीर अपराधों को नजरअंदाज न कर दिया जाए।
  • कुछ नेताओं का तर्क है कि कानूनों को सरल बनाना जरूरी है, लेकिन उसके साथ कड़ी निगरानी भी जरूरी है ताकि नियमों का दुरुपयोग न हो।

जन विश्वास विधेयक 2025 से संभावित बदलाव

 व्यापार के क्षेत्र में

  • पंजीकरण प्रक्रियाएँ तेज होंगी।
  • कंपनियों को कानूनी उलझनों से राहत मिलेगी।

नागरिकों के लिए

  • छोटी गलतियों पर जेल की सजा की जगह जुर्माने का विकल्प मिलेगा।
  • न्यायालयों का बोझ कम होगा।

शासन प्रणाली पर

  • पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • नागरिकों का सरकार पर विश्वास मजबूत होगा।

जन विश्वास विधेयक 2025 केवल एक कानूनी सुधार नहीं, बल्कि नागरिकों और व्यापार जगत के लिए नए युग की शुरुआत है। यह कदम भारत को एक ऐसा देश बनाने की दिशा में बढ़ेगा जहां कानून का उद्देश्य दंड देना नहीं बल्कि नागरिकों और व्यवसायों के लिए सहूलियतें प्रदान करना होगा।

सरकार का दावा है कि यह विधेयक विश्वास-आधारित शासन को मजबूती देगा, जबकि विपक्ष सतर्कता की मांग कर रहा है। अब देखना यह है कि संसद में इसकी राह कितनी आसान होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *