हाइलाइट्स
- कन्नौज पुलिस विवाद: करंट से युवक की मौत के बाद पुलिस द्वारा आक्रोशित महिलाओं पर बल प्रयोग का वीडियो वायरल।
- वीडियो में दारोगा महिलाओं को पकड़कर खींचते और लाठी चलाते हुए दिख रहे हैं।
- समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन और दंडात्मक कार्रवाई की मांग की।
- पीड़ित परिवार को 1 करोड़ की सहायता राशि दिए जाने की मांग उठी।
- हादसे की पुनरावृत्ति रोकने के लिए करंट लगने के कारण की जांच की मांग।
कन्नौज में करंट हादसा और पुलिस विवाद की कहानी
कन्नौज जिले के ठठिया थाना क्षेत्र अंतर्गत मुंगरा गांव में शुक्रवार को एक दुखद घटना सामने आई। बिजली पोल पर काम कर रहे युवक को अचानक करंट लगने से उसकी मौत हो गई। मृतक युवक की उम्र केवल 28 वर्ष बताई जा रही है। हादसे का कारण काम के दौरान बिजली सप्लाई चालू होना बताया गया।
इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने शव लेकर तिर्वा उपकेन्द्र के सामने सड़क जाम कर हंगामा शुरू कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन ग्रामीणों को समझाने का प्रयास असफल रहा। स्थिति जल्द ही तनावपूर्ण हो गई और झड़पें शुरू हो गईं।
आक्रोशित महिलाओं पर पुलिस का बल प्रयोग
इस बीच वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि कन्नौज पुलिस विवाद में पुरुष पुलिसकर्मी और दारोगा महिलाओं पर आपत्तिजनक तरीके से लाठी चला रहे हैं और उन्हें खींचकर धक्का दे रहे हैं।
- दारोगा ने कई महिलाओं का गला पकड़कर रोकने की कोशिश की।
- दो महिलाओं को पकड़कर जोर से धक्का दिया गया, जिससे वे गिर पड़ीं।
- विरोध कर रही महिलाओं पर सिपाही ने लाठी भी चलाई।
- महिला पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बावजूद दारोगा महिलाओं को रोकते और खींचते रहे।
इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर भारी वायरल होने के बाद कन्नौज पुलिस विवाद को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है।
अखिलेश यादव का कड़ा बयान
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि करंट से युवक की मृत्यु बेहद दुखद है, लेकिन पुलिस का संवेदनशील माहौल में महिलाओं और जनता के साथ व्यवहार “बेहद आपत्तिजनक” है।
अखिलेश ने निम्नलिखित मांगें उठाईं:
- दोषी पुलिसकर्मियों का तुरंत निलंबन।
- दंडात्मक कार्रवाई।
- पीड़ित परिवार को 1 करोड़ की सहायता राशि।
- करंट लगने का कारण जांच कर भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने की सख्त व्यवस्था।
उनका यह बयान कन्नौज पुलिस विवाद में राजनीतिक और सामाजिक दबाव बढ़ाने वाला साबित हुआ।
घटना के पीछे की पूरी सच्चाई
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, मृतक युवक बिजली पोल पर काम कर रहा था। अचानक विद्युत सप्लाई चालू हो गई और युवक करंट की चपेट में आ गया। ग्रामीणों ने तुरंत शव को सड़क पर रखकर विरोध शुरू कर दिया।
पुलिस ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन आक्रोशित ग्रामीणों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस झड़प में महिला सिपाही समेत कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए। इस पूरी घटना ने कन्नौज पुलिस विवाद को ज्वलंत मुद्दा बना दिया।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग किया गया। हालांकि, वीडियो में दिखाई गई महिलाओं के साथ आपत्तिजनक व्यवहार ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि संवेदनशील मामलों में पुलिस को अधिक सावधानी और संवेदनशीलता के साथ काम करना चाहिए। कन्नौज पुलिस विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासनिक कार्रवाई और प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता है।
समाज और राजनीति में प्रभाव
- सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद समाज में भारी आक्रोश फैल गया।
- राजनीतिक दलों ने प्रशासन और पुलिस की आलोचना की।
- अखिलेश यादव ने सरकार और पुलिस पर सीधे आरोप लगाए।
- भविष्य में ऐसे हादसों की रोकथाम के लिए नीति और निगरानी की आवश्यकता स्पष्ट हुई।
कन्नौज पुलिस विवाद ने यह दिखाया कि संवेदनशील परिस्थितियों में पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही कितनी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
कन्नौज में हुए इस हादसे और इसके बाद महिलाओं पर बल प्रयोग ने पूरे समाज को झकझोर दिया। मृतक के परिवार के लिए न्याय, भविष्य में सुरक्षा और संवेदनशील स्थिति में पुलिस की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना अब प्राथमिक आवश्यकता बन गया है।
कन्नौज पुलिस विवाद ने यह भी उजागर किया है कि संवेदनशील मामलों में मीडिया, राजनीतिक हस्तक्षेप और सामाजिक जागरूकता का कितना बड़ा रोल है।
