हाइलाइट्स
- जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया भारत में अरबों रुपये का कारोबारी साम्राज्य चला रहे हैं
- मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती बेटी ने भारत छोड़ने से किया था इनकार
- वाडिया समूह की शुरुआत 1736 में जहाज निर्माण से हुई थी
- ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज से लेकर बॉम्बे डाइंग तक फैला है वाडिया समूह का कारोबार
- गोएयर (अब गो फर्स्ट) के वित्तीय संकट ने दी चुनौतियों की दस्तक
जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया: भारत में खड़ा किया अरबों का कारोबार
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जब पूरा देश आज़ादी के नायकों को याद करता है, वहीं भारत के बंटवारे के जख्म भी ताज़ा हो जाते हैं। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के निर्माण के साथ ही इतिहास के पन्नों में मोहम्मद अली जिन्ना का नाम दर्ज हो गया—एक ऐसा नाम, जिसे भारत के विभाजन का खलनायक माना जाता है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया भारत में रहकर अरबों रुपये का कारोबार चला रहे हैं और देश के शीर्ष उद्योगपतियों में गिने जाते हैं।
जिन्ना के नाती कौन हैं?
वाडिया समूह के चेयरमैन जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया का नाम भारत के औद्योगिक इतिहास में एक अलग ही पहचान रखता है। वे मोहम्मद अली जिन्ना की इकलौती बेटी दीना वाडिया और उद्योगपति नेविल वाडिया के बेटे हैं। नुस्ली वाडिया ने न सिर्फ अपने पूर्वजों की विरासत को संभाला, बल्कि उसे कई गुना बढ़ाकर भारत के सबसे सफल कारोबारी समूहों में तब्दील कर दिया।
जिन्ना की बेटी का भारत में रहने का फैसला
जब 1947 में विभाजन हुआ, तो जिन्ना पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी बेटी दीना वाडिया ने भारत में रहने का निर्णय लिया। दीना ने 1938 में पारसी उद्योगपति नेविल वाडिया से विवाह किया था, जिसे जिन्ना ने स्वीकार नहीं किया था। पिता-पुत्री के रिश्ते में दरार आ गई, लेकिन दीना ने मुंबई को अपना स्थायी ठिकाना बनाया। उनका कहना था कि वे मुंबई से बेहद जुड़ी हुई हैं और इसे छोड़कर कहीं और नहीं जाएंगी।
वाडिया समूह की कमान संभालने की कहानी
जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया ने 1977 में वाडिया समूह की बागडोर संभाली। उनके नेतृत्व में समूह ने कपड़ा, रियल एस्टेट, एविएशन, और खाद्य उत्पादों के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की।
वाडिया समूह की प्रमुख कंपनियां
- बॉम्बे डाइंग – समूह की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित कंपनी, जो कपड़ा और रियल एस्टेट में अग्रणी है।
- ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज – भारत की प्रमुख बिस्किट और डेयरी उत्पाद निर्माता कंपनी।
- गोएयर (अब गो फर्स्ट) – एक समय सफल लो-कॉस्ट एयरलाइन, लेकिन हाल के वर्षों में वित्तीय संकट से जूझ रही है।
- अन्य क्षेत्र – रियल एस्टेट, रसायन और जहाज निर्माण के क्षेत्रों में भी सक्रिय उपस्थिति।
इतिहास में झांकते हुए
वाडिया समूह की शुरुआत 1736 में लवजी वाडिया ने की थी, जब उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जहाज निर्माण का कार्य शुरू किया। यह विरासत आज 21वीं सदी में भी मजबूती से कायम है और जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया इसके प्रमुख वारिस हैं।
जिन्ना परिवार का भारत में प्रभाव
दिलचस्प तथ्य यह है कि विभाजन के बाद भी जिन्ना के कई रिश्तेदार भारत में रहे। उनकी बहन मरियम और उनके वंशज मुंबई और कोलकाता में बस गए। नुस्ली वाडिया इस विरासत का सबसे प्रमुख चेहरा हैं, जिन्होंने न केवल व्यावसायिक सफलता पाई बल्कि समाजसेवा में भी योगदान दिया।
वाडिया समूह की चुनौतियां
हालांकि सफलता के साथ चुनौतियां भी आईं। गोएयर के वित्तीय संकट, बॉम्बे डाइंग के कपड़ा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और जिन्ना की संपत्ति से जुड़े विवाद ने समूह की यात्रा में कठिन मोड़ लाए। खासकर कराची में 1968 से 1984 तक चले कानूनी विवाद ने जिन्ना परिवार को चर्चा में बनाए रखा। नुस्ली वाडिया ने हालांकि इन विवादों से दूरी बनाए रखी और व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित किया।
नुस्ली वाडिया की संपत्ति और उपलब्धियां
फोर्ब्स के मुताबिक, 2025 तक नुस्ली वाडिया की कुल संपत्ति लगभग 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी जाती है। उनके नेतृत्व ने वाडिया समूह को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई है। वे न केवल व्यवसायिक दृष्टि से सक्षम माने जाते हैं, बल्कि भारतीय उद्योग जगत में एक प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में भी पहचाने जाते हैं।
भारत का इतिहास केवल स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन की कहानियों से नहीं बना, बल्कि उसमें ऐसे अनोखे अध्याय भी शामिल हैं, जहां दुश्मन माने जाने वाले व्यक्तित्वों के वंशज इस देश के आर्थिक विकास में योगदान दे रहे हैं। जिन्ना के नाती नुस्ली वाडिया इसका जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने अपने व्यवसाय से न सिर्फ भारत में रोज़गार और अवसर पैदा किए, बल्कि यह भी साबित किया कि इतिहास की कड़वाहट भविष्य की दिशा तय नहीं करती।