हाइलाइट्स
- वित्तीय जोखिम संकेतक के जरिए हर महीने 2,000 धोखाधड़ी वाले नंबरों की हो रही निगरानी
- Paytm, PhonePe और GPay ने करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन पर लगाई रोक
- जुलाई 2025 में RBI ने बैंकों को वित्तीय जोखिम संकेतक को सिस्टम में शामिल करने की दी सलाह
- 3 से 4 लाख सिम कार्ड्स ब्लैकलिस्ट, ठगी के लिए हो रहा था उपयोग
- AI आधारित हनीपोट्स से सोशल मीडिया पर धोखाधड़ी करने वालों की हो रही पहचान
डिजिटल लेनदेन के इस दौर में जैसे-जैसे तकनीक तेज़ हो रही है, वैसे-वैसे धोखाधड़ी के तरीके भी अधिक शातिर और हाईटेक होते जा रहे हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार का दूरसंचार विभाग (DoT) इस चुनौती से निपटने के लिए एक बेहद प्रभावी कदम उठा चुका है — वित्तीय जोखिम संकेतक यानी Financial Risk Indicator (FRI)। मई 2025 में शुरू हुई यह प्रणाली अब न केवल टेलीकॉम सेक्टर, बल्कि पूरे वित्तीय तंत्र को धोखाधड़ी से बचाने में अहम भूमिका निभा रही है।
क्या है वित्तीय जोखिम संकेतक?
धोखाधड़ी की पहचान में क्रांतिकारी प्रणाली
वित्तीय जोखिम संकेतक एक ऐसा डिजिटल इंटेलिजेंस सिस्टम है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग के जरिए संदिग्ध फोन नंबरों और लेनदेन की पहचान करता है। इसका मूल उद्देश्य है ऐसे मोबाइल नंबरों और सिम कार्ड्स को चिह्नित करना जिनका इस्तेमाल फर्जी नौकरी, निवेश या अन्य लालच देकर लोगों से ठगी करने में किया जा रहा है।
FRI कैसे करता है काम?
नेटवर्क पर सिम का पैटर्न मैचिंग
DoT के अनुसार, वित्तीय जोखिम संकेतक AI आधारित पैटर्न मैचिंग का उपयोग करता है। इससे नेटवर्क पर मौजूद अन्य संदिग्ध सिम कार्ड्स की पहचान करना आसान हो जाता है। इसके आधार पर टेलीकॉम कंपनियां ऐसे नंबरों को ब्लैकलिस्ट करती हैं और बैंकों को भी अलर्ट भेजा जाता है ताकि वह समय रहते संदिग्ध लेनदेन को रोक सकें।
तीन से चार लाख सिम कार्ड हुए ब्लैकलिस्ट
FRI की बढ़ती पकड़
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्तीय जोखिम संकेतक के माध्यम से अब तक करीब 3 से 4 लाख सिम कार्ड्स को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है। ये सभी सिम कार्ड्स किसी न किसी धोखाधड़ी गतिविधि से जुड़े पाए गए हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ इसकी उपयोगिता को दर्शाता है, बल्कि इस बात की पुष्टि भी करता है कि ठग किस पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने में जुटे हैं।
बैंक और UPI ऐप्स भी ले रहे हैं FRI की मदद
Paytm, GPay, PhonePe ने रोके संदिग्ध ट्रांजैक्शन
अब केवल टेलीकॉम कंपनियां ही नहीं, बल्कि Paytm, Google Pay और PhonePe जैसे UPI प्लेटफॉर्म भी वित्तीय जोखिम संकेतक की मदद ले रहे हैं। दूरसंचार विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इन प्लेटफॉर्म्स ने सिर्फ जुलाई 2025 में ही करोड़ों रुपये के संदिग्ध लेनदेन को रोकने में सफलता हासिल की है।
RBI की पहल: सभी बैंकों को दिया निर्देश
तेजी से हो रही है एकीकरण की प्रक्रिया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जुलाई 2025 में सभी बैंकों को निर्देश जारी किया कि वे वित्तीय जोखिम संकेतक को अपने सिस्टम में अनिवार्य रूप से शामिल करें। इसका उद्देश्य है कि बैंक संदिग्ध खातों पर तुरंत कार्रवाई कर सकें और ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचा सकें। पंजाब नेशनल बैंक, HDFC, ICICI, Paytm Payments Bank, और India Post Payments Bank जैसे प्रमुख बैंक इस दिशा में अग्रसर हो चुके हैं।
सोशल मीडिया पर AI हनीपोट्स की निगरानी
फर्जी प्रोफाइल्स की पहचान में नया तरीका
डिजिटल धोखाधड़ी रोकथाम कंपनी MFilterIt ने वित्तीय जोखिम संकेतक के मॉडल पर आधारित AI हनीपोट्स X, Facebook और Instagram जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लगाए हैं। ये बॉट्स रोज़ाना करीब 125 फर्जी अकाउंट्स को ट्रैक करते हैं और उनसे बातचीत के जरिए ठगी की मंशा को उजागर करते हैं। यह तरीका सोशल मीडिया से जुड़ी धोखाधड़ी को जड़ से खत्म करने में मददगार साबित हो रहा है।
ग्राहकों के लिए कैसे फायदेमंद है FRI?
अलर्ट सिस्टम से समय रहते चेतावनी
जब कोई लेनदेन संदिग्ध पाया जाता है तो वित्तीय जोखिम संकेतक संबंधित बैंक और टेलीकॉम ऑपरेटर को तुरंत अलर्ट भेजता है। इससे धोखाधड़ी रोकने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। अब जहां पहले एक संदिग्ध खाता या लेनदेन को चिह्नित करने में कई दिन लग जाते थे, वहीं अब यह समय कुछ घंटों में सिमट आया है।
DoT का डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म
सभी एजेंसियों के बीच डेटा साझा करने की पहल
वित्तीय जोखिम संकेतक दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म का हिस्सा है। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य है सभी सरकारी और वित्तीय संस्थाओं के बीच रियल टाइम डेटा साझा करना ताकि धोखाधड़ी के हर संकेत पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
भविष्य की साइबर सुरक्षा का स्तंभ बनेगा FRI
वित्तीय जोखिम संकेतक ने बहुत कम समय में साबित कर दिया है कि यह प्रणाली डिजिटल धोखाधड़ी रोकने में बेहद प्रभावी है। जहां एक ओर इससे बैंकों को करोड़ों के नुकसान से बचाव मिला है, वहीं आम उपभोक्ताओं को भी सुरक्षा का एक नया कवच मिला है। आने वाले समय में जब डिजिटल इंडिया का दायरा और बढ़ेगा, तब वित्तीय जोखिम संकेतक जैसे उपाय हमारी साइबर सुरक्षा की रीढ़ साबित होंगे।