हाइलाइट्स
- ‘पीएम-किसान सम्मान निधि’ योजना से 2,000 रुपये और ‘अन्नदाता सुखीभव’ योजना से 5,000 रुपये मिले
- प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी से 20वीं किस्त की 20,500 करोड़ की राशि ट्रांसफर की
- आंध्र प्रदेश में 47 लाख किसानों को मिला 7,000 रुपये का फायदा
- नायडू सरकार ने 2024 के चुनावी वादों में किया था 20,000 रुपये वार्षिक सहायता का ऐलान
- महिलाओं, बच्चों और गैस सिलेंडर को लेकर भी किए गए ‘सुपर सिक्स’ वादे
पीएम-किसान सम्मान निधि और राज्य की योजना से मिली डबल राहत
देश के किसानों के लिए 2 अगस्त का दिन ऐतिहासिक रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से पीएम-किसान सम्मान निधि योजना की 20वीं किस्त जारी की। इस दौरान देश भर के 9.70 करोड़ से अधिक किसानों को 20,500 करोड़ रुपये की राशि डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित की गई। वहीं आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए यह खुशी दोगुनी हो गई जब राज्य सरकार की ‘अन्नदाता सुखीभव’ योजना के तहत 5,000 रुपये अतिरिक्त ट्रांसफर किए गए।
आंध्र प्रदेश सरकार की बड़ी पहल
अन्नदाता सुखीभव योजना के तहत 5,000 रुपये की अतिरिक्त सहायता
एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य के 47 लाख किसानों को एकसाथ 7,000 रुपये की राहत दी। इसमें 2,000 रुपये केंद्र सरकार की पीएम-किसान सम्मान निधि योजना से और 5,000 रुपये राज्य की अपनी ‘अन्नदाता सुखीभव’ योजना के तहत दिए गए। यह योजना किसानों को वार्षिक 20,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा करती है।
चुनावी वादों की सुपर सिक्स योजना
नायडू सरकार ने 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले जिन ‘सुपर सिक्स’ योजनाओं का ऐलान किया था, उनमें से एक प्रमुख योजना ‘अन्नदाता सुखीभव’ है। इसके अलावा सरकार ने:
- हर महिला को ₹1,500 मासिक सहायता
- हर छात्र को ₹15,000 वार्षिक शिक्षा सहायता
- प्रत्येक परिवार को साल में 3 मुफ्त गैस सिलेंडर
- बेरोजगार युवाओं के लिए स्किल ट्रेनिंग
- किसानों के लिए ब्याजमुक्त ऋण
जैसे कई सामाजिक कल्याण वादे किए हैं।
पीएम-किसान सम्मान निधि: किसानों की रीढ़
योजना की शुरुआत और उद्देश्य
पीएम-किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2019 में की थी। इसका उद्देश्य था देश के भूमिधारक किसानों को प्रतिवर्ष ₹6,000 की वित्तीय सहायता देना। यह राशि तीन किस्तों में सीधे किसानों के आधार लिंक्ड बैंक खातों में ट्रांसफर की जाती है।
20वीं किस्त में 20,500 करोड़ का वितरण
2 अगस्त को जारी की गई 20वीं किस्त के तहत 9.70 करोड़ किसानों को सीधे 20,500 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए। यह रकम डीबीटी प्रणाली के तहत सीधे खातों में पहुंची, जिससे पारदर्शिता बनी रही।
किसानों की प्रतिक्रिया: डबल फंड से मिली राहत
“पहली बार ऐसा हुआ जब दो योजनाओं का लाभ एकसाथ मिला”
कृषक रामाराव, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से हैं, कहते हैं, “पहली बार ऐसा हुआ है कि एक ही दिन में केंद्र और राज्य दोनों की योजना का पैसा मिला। 7,000 रुपये से हमने खाद और बीज खरीद लिए हैं।”
“अब खेती का खर्च आसान हुआ”
एक और किसान, लक्ष्मी नायडू बताती हैं, “पहले हमें सिर्फ 2,000 रुपये मिलते थे। लेकिन अब राज्य सरकार ने भी मदद दी है तो खेती में थोड़ी राहत महसूस हो रही है।”
क्या यह लाभ सभी किसानों को मिलेगा?
पात्रता की सख्त जांच
पीएम-किसान सम्मान निधि के लाभ के लिए किसानों के पास भूमि का रिकॉर्ड होना चाहिए और आधार, बैंक खाता सही तरीके से लिंक होना चाहिए। वहीं आंध्र प्रदेश की ‘अन्नदाता सुखीभव’ योजना के तहत राज्य सरकार किसानों की पहचान अपने पोर्टल से करती है।
बोगस लाभार्थियों पर सख्त निगरानी
दोनों योजनाओं में यह सुनिश्चित किया गया है कि कोई भी अपात्र व्यक्ति लाभ ना उठा सके। सरकारें डिजिटल वेरिफिकेशन और फिजिकल सर्वे के माध्यम से पात्र किसानों की सूची अपडेट कर रही हैं।
राजनीति में योजनाओं की भूमिका
केंद्र और राज्य में होड़?
विश्लेषकों का मानना है कि पीएम-किसान सम्मान निधि और अन्नदाता सुखीभव जैसी योजनाएं न केवल किसानों को राहत देती हैं बल्कि चुनावी रणनीति का भी बड़ा हिस्सा बन चुकी हैं। चंद्रबाबू नायडू की योजना को चुनावी वादे की पूर्ति के रूप में देखा जा रहा है जबकि पीएम मोदी की योजना पहले से देशव्यापी है और इसका बड़ा असर लोकसभा चुनाव पर भी होता रहा है।
किसानों के लिए उम्मीद की किरण
किसानों को एकसाथ केंद्र और राज्य की ओर से मिला वित्तीय लाभ एक सकारात्मक संकेत है। जहां पीएम-किसान सम्मान निधि ने स्थायी राहत का मार्ग प्रशस्त किया, वहीं ‘अन्नदाता सुखीभव’ जैसी राज्यीय योजनाएं क्षेत्रीय किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं। यदि इन दोनों योजनाओं का कार्यान्वयन इसी पारदर्शिता और प्रतिबद्धता के साथ होता रहा, तो भविष्य में किसानों की स्थिति में बड़ा सुधार देखा जा सकता है।