हाइलाइट्स
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फ्रीज भ्रूण से जन्मा बच्चा बना दुनिया का सबसे ‘बुजुर्ग’ नवजात
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1994 में संरक्षित किया गया था भ्रूण, 2024 में हुआ प्रत्यारोपण
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जैविक बहन अब है 30 साल की और खुद एक बच्चे की मां
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लिंडा आर्चर्ड ने दिए थे 4 भ्रूण, तलाक के बाद लिया गोद देने का फैसला
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IVF तकनीक और क्रायोप्रिजर्वेशन ने रचा विज्ञान का चमत्कार
फ्रीज भ्रूण से जन्मे बच्चे ने रचा इतिहास
अमेरिका के ओहायो में हाल ही में मेडिकल साइंस ने एक ऐसा चमत्कार कर दिखाया है, जिसे सुनकर साइंस फिक्शन फिल्मों की याद आती है। फ्रीज भ्रूण से जन्मे एक स्वस्थ शिशु ने इतिहास रच दिया है। यह भ्रूण वर्ष 1994 में संरक्षित किया गया था और 30 साल बाद अब 2024 में एक महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर इससे एक जीवित बच्चे का जन्म हुआ।
यह बच्चा जैविक रूप से एक ऐसी महिला की संतान है, जो अब खुद 30 साल की है और एक 10 साल की बेटी की मां भी बन चुकी है। यह मामला न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए मील का पत्थर है बल्कि यह इंसानी भावनाओं, विज्ञान और समय के अनूठे मेल की भी मिसाल बन गया है।
1990 के दशक से शुरू हुई थी फ्रीज भ्रूण की कहानी
इस चौंकाने वाले फ्रीज भ्रूण की शुरुआत होती है 1990 के दशक की शुरुआत से, जब लिंडा आर्चर्ड और उनके पति ने संतान प्राप्ति में आ रही समस्याओं के चलते IVF प्रक्रिया का सहारा लिया। वर्ष 1994 में IVF के दौरान लिंडा से चार भ्रूण लिए गए, जिनमें से एक को उसी समय प्रत्यारोपित कर दिया गया और उससे उनकी बेटी का जन्म हुआ।
बाकी तीन फ्रीज भ्रूण को क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक की मदद से फ्रीजर में संरक्षित कर लिया गया। बाद में जब लिंडा का तलाक हुआ तो इन भ्रूणों की कानूनी कस्टडी उन्हें मिल गई।
भ्रूण गोद लेने की अनूठी प्रक्रिया
तलाक के बाद लिंडा आर्चर्ड ने उन भ्रूणों को किसी योग्य परिवार को देने का निर्णय लिया। वे चाहती थीं कि कोई श्वेत, विवाहित और ईसाई दंपती ही इन भ्रूणों को गोद लें। इसी दौरान उनकी मुलाकात हुई लिंडसे और टिम पियर्स से, जो ओहायो के निवासी हैं और संतान सुख की तलाश में थे।
पियर्स दंपती ने फ्रीज भ्रूण को कानूनी रूप से गोद लिया और IVF प्रक्रिया के जरिए इसे लिंडसे के गर्भाशय में नवंबर 2024 में प्रत्यारोपित किया गया।
26 जुलाई 2025 को हुआ नवजात का जन्म
गर्भावस्था सामान्य रही और अंततः 26 जुलाई 2025 को एक स्वस्थ शिशु का जन्म हुआ। दिलचस्प बात यह है कि इस नवजात की जैविक बहन अब 30 साल की हो चुकी है और उसकी खुद की 10 साल की एक बेटी भी है।
इस तरह फ्रीज भ्रूण से जन्म लेने वाला यह शिशु दुनिया का सबसे “बुजुर्ग” नवजात कहलाया, क्योंकि उसका भ्रूण 30 वर्षों तक फ्रीज अवस्था में रहा।
फ्रीज भ्रूण: विज्ञान की नई क्रांति
इस असाधारण घटना को मेडिकल साइंस की नई क्रांति के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि फ्रीज भ्रूण से जन्म लेना भले ही अब संभव हो गया हो, लेकिन इसमें कई वैज्ञानिक प्रक्रियाएं, नैतिक जटिलताएं और मेडिकल सावधानियां शामिल हैं।
क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक अब न सिर्फ निःसंतान दंपतियों के लिए आशा की किरण है, बल्कि यह आने वाले समय में कई ऐसे सवाल खड़े कर सकती है, जिनका जवाब समाज और विज्ञान दोनों को मिलकर खोजना होगा।
क्या होता है फ्रीज भ्रूण और कैसे करता है काम?
फ्रीज भ्रूण, जिसे वैज्ञानिक भाषा में क्रायोप्रिजर्व्ड एम्ब्रियो कहा जाता है, वह भ्रूण होता है जिसे IVF प्रक्रिया के बाद -196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर तरल नाइट्रोजन में संरक्षित कर दिया जाता है। यह दशकों तक बिना किसी नुकसान के सुरक्षित रह सकता है।
जब कोई महिला इसे गर्भ में धारण करना चाहती है, तो यह भ्रूण दोबारा डीफ्रॉस्ट कर प्रत्यारोपित किया जाता है।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर अमेरिका के कई प्रमुख वैज्ञानिक और स्त्री रोग विशेषज्ञ चकित हैं। MIT टेक्नोलॉजी रिव्यू, जिसने इस खबर को सबसे पहले प्रकाशित किया, के मुताबिक, यह मामला विज्ञान के इतिहास में अभूतपूर्व है।
डॉ. कैथरीन व्हाइट, जो एक प्रसिद्ध प्रजनन विशेषज्ञ हैं, कहती हैं, “यह दर्शाता है कि मेडिकल साइंस अब समय को भी मात देने की स्थिति में आ गया है।”
लिंडा आर्चर्ड: दो पीढ़ियों की मां
इस कहानी की सबसे रोचक बात यह है कि लिंडा आर्चर्ड अब 62 वर्ष की हैं और उनके दो जैविक बच्चे हैं, जो उम्र में 30 साल का अंतर लिए हुए हैं। एक बेटी 30 साल की, और दूसरा बच्चा अभी पैदा हुआ है।
लिंडा कहती हैं, “मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि मेरे उस समय दिए भ्रूण से अब एक और बच्चा जन्म लेगा। यह विज्ञान का चमत्कार है।”
नैतिक और सामाजिक सवाल भी खड़े
जहां फ्रीज भ्रूण से जन्म को एक क्रांतिकारी उपलब्धि माना जा रहा है, वहीं इससे जुड़े कुछ नैतिक और सामाजिक सवाल भी उठते हैं।
- क्या भ्रूण को इतनी लंबी अवधि तक संरक्षित रखना नैतिक रूप से उचित है?
- क्या भ्रूण गोद लेने की प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए?
- क्या आने वाले वर्षों में यह तकनीक आम लोगों की पहुंच में होगी?
इन सवालों पर चिकित्सा जगत, नीति निर्माताओं और समाजशास्त्रियों को एक साथ बैठकर विचार करना होगा।
30 साल पुराने फ्रीज भ्रूण से जन्मा यह नवजात मेडिकल साइंस की ताकत और समय के साथ उसकी जीत का प्रतीक है। इस घटना ने न केवल इंसानी संभावनाओं को नया विस्तार दिया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि वैज्ञानिक विकास अगर मानवीय भावना से जुड़े तो वह चमत्कार रच सकता है।