हाइलाइट्स
- धर्मांतरण रैकेट के मुद्दे ने देशभर में खलबली मचा दी है, जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की गिरफ्तारी ने इसे नया मोड़ दिया।
- सीएम योगी के राज्य में हजारों लड़कियों के जबरन धर्मांतरण की चौंकाने वाली कहानी सामने आई।
- बीजेपी नेता अमित मालवीय ने केरल को लेकर 20 साल में मुस्लिम राज्य बनने की आशंका जताई।
- पूर्व सीएम अच्युतानंदन और ओमान चांडी के पुराने बयान फिर से चर्चा में आए।
- ‘लव जिहाद’ और धर्मांतरण को लेकर सोशल मीडिया से लेकर संसद तक मचा है बवाल।
देश में धर्मांतरण रैकेट को लेकर बहस एक बार फिर तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से पकड़े गए जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा ने पूछताछ में जो खुलासे किए हैं, उसने पुलिस से लेकर सुरक्षा एजेंसियों तक की नींद उड़ा दी है। वहीं, बीजेपी नेता अमित मालवीय ने भी एक पुराने बयान के हवाले से दावा किया है कि केरल अगले 20 वर्षों में पूरी तरह से मुस्लिम बहुल राज्य बन सकता है। उन्होंने इसे एक सुनियोजित धर्मांतरण रैकेट का हिस्सा बताया है।
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा: मजबूरियों का सौदागर
छांगुर बाबा की गिरफ्तारी ने एक बहुत बड़े धर्मांतरण रैकेट की पोल खोल दी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, जलालुद्दीन ने हजारों लड़कियों को उनकी आर्थिक और सामाजिक मजबूरियों का फायदा उठाकर धर्मांतरण के लिए मजबूर किया।
कैसे फंसाता था मासूम लड़कियों को?
- पहले गरीब और बेसहारा लड़कियों की पहचान की जाती थी।
- फिर उन्हें नौकरी, शिक्षा या विवाह का झांसा देकर छांगुर बाबा के पास पहुंचाया जाता।
- बाबा उन्हें चमत्कार और भविष्यवाणी के नाम पर मानसिक रूप से नियंत्रित करता था।
- बाद में डर, दबाव और लालच के जरिए उनका धर्मांतरण कराया जाता।
अमित मालवीय का ट्वीट: 20 साल में मुस्लिम राज्य बन जाएगा केरल?
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस मुद्दे को और गहराते हुए एक ट्वीट किया। उन्होंने वामपंथी नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का 2009 में दिया गया बयान साझा किया, जिसमें कहा गया था:
“केरल को अगले 20 साल में मुस्लिम राज्य बनाने की साजिश चल रही है। युवाओं को बहकाया जा रहा है, पैसा दिया जा रहा है, और उन्हें हिंदू लड़कियों से शादी करने के लिए उकसाया जा रहा है।”
ओमान चांडी का भी पुराना बयान आया सामने
अमित मालवीय ने इस ट्वीट में यह भी बताया कि कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने 2006 से 2012 के बीच करीब 7000 लोगों के धर्मांतरण की बात विधानसभा में मानी थी।
क्या ‘लव जिहाद’ सिर्फ एक शब्द है या एक सुनियोजित रणनीति?
अमित मालवीय का कहना है कि लव जिहाद कोई कल्पना नहीं बल्कि एक “खतरनाक वास्तविकता” है। उनका आरोप है कि:
- लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर उनका धर्म बदला जाता है।
- फिर उन्हें कट्टरपंथी संगठनों से जोड़ दिया जाता है।
- कई मामलों में इन युवतियों को आतंकवादियों की बीवियों के रूप में सीरिया और अफगानिस्तान तक भेजा गया है।
उन्होंने फिल्म द केरल स्टोरी का उदाहरण देते हुए इसे “एक भयावह रिमाइंडर” बताया कि अगर अभी नहीं चेते, तो भविष्य और भी भयानक हो सकता है।
धर्मांतरण रैकेट के पीछे कौन?
पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि छांगुर बाबा जैसे लोग केवल मोहरा हैं। असली मास्टरमाइंड पर्दे के पीछे से इस धर्मांतरण रैकेट को चला रहे हैं। इनका नेटवर्क–
- अलग-अलग राज्यों तक फैला हुआ है
- NGO, धार्मिक ट्रस्ट और मदरसे के नाम पर धन एकत्र किया जाता है
- विदेशी फंडिंग और हवाला चैनल्स के जरिए भी फंड भेजे जाते हैं
क्या कहती हैं सुरक्षा एजेंसियां?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और खुफिया विभाग भी इस धर्मांतरण रैकेट की जांच में जुट गए हैं। गृह मंत्रालय ने भी यूपी और केरल से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों के अनुसार:
- पिछले 5 वर्षों में करीब 32,000 धर्मांतरण के केस सामने आए हैं
- इनमें से 64% मामले महिलाओं और लड़कियों के हैं
- ज्यादातर मामलों में पहले प्रेम, फिर शादी और अंत में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया अपनाई गई है
विपक्ष की प्रतिक्रिया: “मुद्दे से भटकाने की साजिश”
जहां एक ओर भाजपा इसे धर्मांतरण रैकेट और राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बता रही है, वहीं विपक्षी दल इसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार दे रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा:
“ये सब मुद्दों से भटकाने की चाल है। युवाओं को रोजगार दो, शिक्षा दो। धर्म के नाम पर डर मत फैलाओ।”
हालांकि बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि “धर्मांतरण को नजरअंदाज करना खतरनाक होगा, क्योंकि यह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को तोड़ने की एक गहरी साजिश है।”
अब भी नहीं चेते तो देर हो जाएगी
धर्मांतरण रैकेट को लेकर जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे सिर्फ एक राज्य या धर्म की बात नहीं कर रहे। यह भारत की विविधता और एकता को खतरे में डालने वाला एक संगठित प्रयास है। अमित मालवीय के दावे हों या छांगुर बाबा की गिरफ्तारी—इन सभी घटनाओं को केवल राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता।
यदि यह वाकई एक गहरी साजिश है, तो उस पर समय रहते कठोर कदम उठाना जरूरी है। और अगर यह सिर्फ एक राजनीतिक विमर्श है, तब भी इसकी जड़ में जाकर सच्चाई सामने लानी ही होगी।