इज़रायल में जन्मा खून जैसा लाल बछिया, क्या सच में शुरू हो चुका है दुनिया के अंत का काउंटडाउन?

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हाइलाइट्स

  • लाल बछिया का जन्म: इज़रायल में जन्मी रहस्यमयी लाल बछिया को दुनिया के अंत का संकेत बताया जा रहा है।
  • 2000 साल में पहली बार जन्मी है पूर्णतः लाल रंग की बछिया, मच गया वैश्विक हड़कंप।
  • बाइबिल और यहूदी ग्रंथों के अनुसार, लाल बछिया का आना है सर्वनाश की भविष्यवाणी।
  • टेम्पल इंस्टिट्यूट कर रहा है बछिया का गहन परीक्षण, यूट्यूब पर की गई घोषणा।
  • सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो से फैला डर, लोग मान रहे हैं यह दुनिया के अंत की शुरुआत।

 इज़रायल में जन्मी लाल बछिया: क्या यह है दुनिया के अंत की शुरुआत?

इज़रायल में हाल ही में जन्मी एक रहस्यमयी लाल बछिया ने पूरी दुनिया में सनसनी फैला दी है। यह कोई सामान्य घटना नहीं मानी जा रही है, बल्कि इसे धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दुनिया के अंत का संकेत बताया जा रहा है। बाइबिल और यहूदी धर्मग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जब एक पूर्ण रूप से लाल बछिया इस पृथ्वी पर जन्म लेगी, तभी से दुनिया का अंत आरंभ हो जाएगा।

 क्या कहती हैं धार्मिक भविष्यवाणियाँ?

यह घटना न सिर्फ एक जैविक चमत्कार मानी जा रही है, बल्कि इससे कई धर्मों की भविष्यवाणियाँ भी जुड़ी हैं। यहूदी परंपराओं और बाइबिल के पुराने नियम के अनुसार, पूरी तरह लाल रंग की बछिया का जन्म तीसरे मंदिर के निर्माण से पहले होगा। यह बछिया विशेष प्रकार की धार्मिक शुद्धिकरण प्रक्रिया में काम आती है और इसके बाद यहूदी मसीहा का प्रकट होना तय माना जाता है।

लाल बछिया और बाइबिल का संबंध

बाइबिल में लिखा गया है कि जब पृथ्वी पर पहली बार पूर्णतः लाल बछिया का जन्म होगा, तब एक ऐसी आध्यात्मिक घड़ी शुरू होगी जिसमें यरुशलम का तीसरा मंदिर बनेगा और फिर दुनिया का अंत आरंभ हो जाएगा।

 वैज्ञानिक परीक्षण और संस्थान की प्रतिक्रिया

यरुशलम स्थित Temple Institute ने इस लाल बछिया के जन्म की आधिकारिक घोषणा यूट्यूब चैनल के माध्यम से की है। उनके अनुसार, यह बछिया पूरी तरह लाल प्रतीत हो रही है लेकिन अभी इसका डीएनए परीक्षण और फिजिकल एनालिसिस जारी है। संस्थान का कहना है कि यदि यह बछिया धार्मिक मानकों पर खरी उतरी तो यह दुनिया की एक ऐतिहासिक और निर्णायक घटना बन सकती है।

 वैश्विक प्रतिक्रिया: डर, चिंता और अंधविश्वास

लाल बछिया के जन्म के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। जहां कुछ लोग इसे दुनिया के अंत का स्पष्ट संकेत मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे सिर्फ एक अंधविश्वास कहकर खारिज कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर डर की लहर

ट्विटर (अब X), फेसबुक और यूट्यूब पर इस बछिया की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं। कई लोग इसे ‘End of the World’ ट्रेंड के साथ शेयर कर रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह अमेरिका-ईरान, इज़रायल-हिज़्बुल्ला और रूस-नाटो जैसे बढ़ते संघर्षों की पृष्ठभूमि में भविष्य की किसी महायुद्ध की आहट हो सकती है।

 2012 जैसी भविष्यवाणियों की याद ताज़ा

यह घटना लोगों को साल 2012 की उस अफवाह की याद दिला रही है जब माया सभ्यता के कैलेंडर को लेकर यह दावा किया गया था कि 21 दिसंबर 2012 को दुनिया समाप्त हो जाएगी। उस वक्त भी दुनियाभर में भय, अफवाह और तैयारी का माहौल बन गया था। लेकिन वह भविष्यवाणी झूठी साबित हुई।

क्या यह भी है एक और झूठी चेतावनी?

वर्तमान परिस्थिति में भी कुछ वैज्ञानिकों और धर्मनिरपेक्ष विचारधाराओं के लोगों का कहना है कि यह लाल बछिया मात्र एक जैविक उत्पत्ति है जिसे धार्मिक चश्मे से देखने की कोई जरूरत नहीं। उनका मानना है कि यदि दुनिया को खतरा है तो वह जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध और वैश्विक असमानता से है, न कि किसी गाय के रंग से।

 धार्मिक लेखों में लाल बछिया का महत्व

यहूदी रिवायतों में “Parah Adumah” (Red Heifer) का विशेष स्थान है। इसे धार्मिक रूप से पूर्ण रूप से शुद्ध जानवर माना गया है जो यरुशलम के मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक होता है। वहीं, ईसाई धर्मग्रंथों में इसे ‘End Times Prophecy’ का प्रतीक बताया गया है।

बाइबिल के ‘Book of Numbers’ में इसका उल्लेख है कि यह लाल बछिया शुद्धिकरण के लिए जलाई जाएगी और इसकी राख से पवित्र जल बनाया जाएगा।

 लाल बछिया और आधुनिक युद्ध का डर

लोगों की आशंका यह भी है कि यह संकेत सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि भविष्य के एक सर्वनाशकारी युद्ध की आहट भी हो सकता है। दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध की आशंकाएँ पहले ही मंडरा रही हैं। इज़रायल-ईरान तनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध, और अमेरिका-चीन टकराव जैसी घटनाएँ दुनिया को एक बड़ी जंग की ओर धकेल रही हैं।

आस्था, विज्ञान और आशंका के बीच फंसी दुनिया

लाल बछिया का जन्म निश्चित रूप से एक रहस्यमयी और ऐतिहासिक घटना है, लेकिन क्या यह वाकई दुनिया के अंत का संकेत है या फिर सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक? इस सवाल का उत्तर फिलहाल किसी के पास नहीं है। लेकिन एक बात तो तय है कि जब-जब ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं, पूरी दुनिया एक बार फिर से अस्तित्व, भविष्य और विनाश जैसे प्रश्नों में उलझ जाती है।

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