82 साल की महिला, एक वीडियो कॉल… और ₹80 लाख उड़ गए! ‘मुंबई साइबर अधिकारी’ निकला हाईटेक ठग

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हाइलाइट्स

  • साइबर क्राइम के नाम पर 82 वर्षीय बुजुर्ग महिला से ₹80 लाख की ठगी
  • व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर खुद को मुंबई साइबर सेल अधिकारी बताया
  • पीड़िता को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का डर दिखाकर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला गया
  • राशि को 150 से अधिक खातों में ट्रांसफर कर क्रिप्टो में बदलने की कोशिश
  • राजस्थान साइबर क्राइम पुलिस ने मुख्य आरोपी को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया

साइबर क्राइम: तकनीक के सहारे ठगी की नई दुनिया

साइबर क्राइम एक ऐसा अपराध बनता जा रहा है जो तकनीक की आड़ में इंसानी भावनाओं और डर का फायदा उठाकर लोगों को लाखों-करोड़ों का नुकसान पहुँचा रहा है। राजस्थान के अजमेर जिले से सामने आई एक ताजा घटना ने फिर से यह साबित कर दिया कि उम्र, समझ या सामाजिक स्थिति — साइबर अपराधियों के लिए कोई मायने नहीं रखते।

बुजुर्ग महिला को बनाया शिकार: डर का फायदा उठाकर ₹80 लाख की ठगी

मुंबई साइबर सेल अधिकारी बन रची गई चौंकाने वाली साजिश

राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई इस एफआईआर ने पुलिस महकमे में भी सनसनी फैला दी है। पीड़िता, जो अजमेर की निवासी हैं और उम्रदराज हैं (82 वर्ष), को आरोपियों ने 23 से 30 नवंबर 2024 के बीच लगातार व्हाट्सएप वीडियो कॉल किए। इन कॉल्स में आरोपी खुद को मुंबई साइबर क्राइम सेल का अधिकारी बता रहे थे।

उन्होंने महिला को यह कहते हुए भयभीत कर दिया कि उनके खिलाफ डिजिटल गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और उन्हें जेल भेजा जा सकता है अगर उन्होंने ₹80 लाख तत्काल ट्रांसफर नहीं किए। डर और उम्र के चलते महिला ने बिना किसी जांच-पड़ताल के बताई गई बैंक डिटेल्स पर पूरी राशि ट्रांसफर कर दी।

ट्रांजैक्शन का हाईटेक जाल: 150 खातों में पैसा घुमाया

क्रिप्टो करेंसी में बदलने की कोशिश, ट्रैकिंग मुश्किल

जांच में सामने आया कि इस राशि को ठगों ने एक नहीं बल्कि 150 से अधिक बैंक खातों में ट्रांसफर किया, ताकि पैसा ट्रेस न हो सके। इस राशि को बाद में यूएसडीटी (Tether) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में बदलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। साइबर क्राइम यूनिट ने इन खातों की पहचान करते हुए फंड मूवमेंट को फ्रीज करने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं।

साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि ठग अब क्रिप्टो का सहारा ले रहे हैं जिससे पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए रिकवरी लगभग असंभव हो जाती है।

मुख्य आरोपी गिरफ्तार: पश्चिम बंगाल से हुई गिरफ्तारी

आरोपी सोवन मंडल की गिरफ्तारी, गिरोह का बड़ा पर्दाफाश

राजस्थान साइबर क्राइम टीम ने कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी सोवन मंडल, जो पश्चिम बंगाल के हावड़ा का निवासी है, को धरदबोचा। सोवन मंडल के बैंक खाते से ही रकम का पहला ट्रांजैक्शन हुआ था। इस गिरफ्तारी के बाद पुलिस को उम्मीद है कि गिरोह के बाकी सदस्यों और इस जाल में छिपे हुए लिंक को उजागर किया जा सकेगा।

पहले भी हुई थी गिरफ्तारी: 18 आरोपी पहले से सलाखों के पीछे

भारी मात्रा में नकद, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, और डॉक्यूमेंट बरामद

राजस्थान साइबर पुलिस ने इस साइबर क्राइम मामले की पहले की जांच में 18 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था। उनके पास से जो सामग्री बरामद हुई, वह इस गिरोह की साजिश और जीवनशैली दोनों को उजागर करती है:

  • ₹13 लाख नकद
  • 27 मोबाइल फोन
  • 43 डेबिट कार्ड, 19 बैंक पासबुक, 15 चेकबुक
  • 16 सिम कार्ड, 13 पैन/आधार कार्ड
  • 1 लैपटॉप और 1 स्विफ्ट कार

इन सबका इस्तेमाल केवल धोखाधड़ी नहीं, बल्कि पूरे देश में फैले हुए नेटवर्क के संचालन में किया जाता था।

साइबर क्राइम की चुनौती: बुजुर्ग और अकेले लोग निशाने पर

विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर क्राइम के मामलों में अधिकतर बुजुर्ग, अकेले या तकनीक से कम जुड़े लोग आसान निशाना बनते हैं। इस केस में भी महिला के अकेले रहने और साइबर कानूनों की जानकारी न होना अपराधियों के लिए फायदा बन गया।

राजस्थान साइबर पुलिस की अपील

राजस्थान साइबर क्राइम एसपी शांतनु कुमार सिंह ने जनता से अपील करते हुए कहा है कि:

  1. किसी भी संदिग्ध कॉल, ईमेल या वीडियो कॉल पर सतर्क रहें।
  2. खुद को सरकारी अधिकारी बताने वालों से संबंधित जानकारी पुलिस से तुरंत साझा करें।
  3. बिना सत्यापन किसी खाते में रकम ट्रांसफर न करें।
  4. कोई डिजिटल धमकी मिले तो 1930 या 112 पर कॉल करें या निकटतम पुलिस स्टेशन जाएं।
  5. साइबर क्राइम को लेकर समाज में जागरूकता फैलाना जरूरी है।

जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार

आज के डिजिटल युग में जहां सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं साइबर क्राइम जैसी चुनौतियां भी तेज़ी से बढ़ रही हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि तकनीक का जितना उपयोग है, उतना ही उसमें खतरा भी छिपा है। विशेषकर बुजुर्गों और तकनीकी रूप से कमजोर वर्गों को जागरूक करना समय की मांग है।

जब तक नागरिक खुद सतर्क नहीं होंगे, तब तक कानून और पुलिस की भूमिका सीमित ही रहेगी। ऐसे में साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सरकार या पुलिस की नहीं, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की है।

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