कक्षा में हुआ खूनी खेल: होमवर्क नहीं किया तो टीचर ने मासूम को पीटा, खून से लथपथ हुआ बच्चा!

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हाइलाइट्स

  • मासूम बच्चे की पिटाई का मामला आया सामने, टीचर ने बेरहमी से की पिटाई
  • बांदा के सरकारी स्कूल में घटा दिल दहला देने वाला घटनाक्रम
  • डंडे से की गई मारपीट के कारण बच्चे की पीठ और हाथों पर गंभीर चोटें
  • परिजनों ने टीचर के खिलाफ पुलिस में दर्ज कराई शिकायत
  • जिला अस्पताल में इलाज जारी, पुलिस जांच में जुटी

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से दिल दहला देने वाली एक घटना सामने आई है, जहां एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने होमवर्क न करने की सजा के तौर पर मासूम बच्चे की पिटाई कर दी। यह घटना इतनी वीभत्स थी कि बच्चा खून से लथपथ हो गया और परिजनों को उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

घटना के सामने आने के बाद इलाके में आक्रोश है और शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। पीड़ित परिवार ने आरोपी शिक्षक के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई है, वहीं पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।

 क्या है पूरा मामला?

घटना बांदा जिले के नरैनी ब्लॉक के एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय की है। कक्षा तीन में पढ़ने वाला 8 वर्षीय छात्र रोज की तरह स्कूल गया था। शिक्षक ने बच्चों से होमवर्क मांगा, और जब उक्त छात्र होमवर्क नहीं दिखा सका तो मासूम बच्चे की पिटाई शुरू कर दी गई।

गवाहों के अनुसार, शिक्षक ने डंडे से लगातार छात्र को पीटा। मार इतनी बेरहमी से की गई कि छात्र की पीठ पर गहरे जख्म हो गए और वह खून से लथपथ हो गया।

 परिजनों का आरोप और पुलिस की प्रतिक्रिया

बच्चे के रोते हुए घर पहुंचने पर जब परिजनों ने उसकी हालत देखी तो उनके होश उड़ गए। वे उसे तुरंत लेकर नजदीकी थाने पहुंचे और टीचर के खिलाफ शिकायत दी।

पीड़ित छात्र की मां ने मीडिया को बताया,

“मेरा बेटा होमवर्क भूल गया था, पर इस बात की इतनी बड़ी सजा? उसके शरीर पर डंडों के निशान हैं, पीठ से खून निकल रहा था। यह अन्याय है।”

थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी शिक्षक के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 504 और जेजे एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

 बच्चा जिला अस्पताल में भर्ती

मासूम बच्चे की पिटाई के बाद उसकी हालत खराब हो गई थी, जिसे देखकर डॉक्टरों ने तत्काल जिला अस्पताल रेफर कर दिया।

अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया,

“बच्चे की पीठ, हाथ और जांघों पर कई जगह गंभीर चोटें हैं। प्राथमिक इलाज के बाद उसे ऑब्जर्वेशन में रखा गया है।”

अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस भी मेडिकल साक्ष्य जुटा रही है।

 शिक्षा विभाग की चुप्पी

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी शिक्षा विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

ग्रामीणों का कहना है कि उक्त शिक्षक पहले भी छात्रों पर हाथ उठाने के लिए बदनाम रहा है, लेकिन उसके खिलाफ कभी ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा,

मासूम बच्चे की पिटाई को लेकर अगर अब भी विभाग चुप बैठा रहा, तो ऐसी घटनाएं बढ़ती जाएंगी। हमें बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करनी चाहिए।”

 बच्चों पर हिंसा का मनोवैज्ञानिक असर

बच्चों पर इस प्रकार की शारीरिक हिंसा उनके मानसिक स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक असर डालती है। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि शिक्षक के द्वारा की गई मार न केवल बच्चे के आत्मविश्वास को तोड़ती है, बल्कि उसमें डर और अवसाद भी पैदा कर सकती है।

विशेषज्ञों के अनुसार,

“शिक्षा में अनुशासन जरूरी है, लेकिन उसका अर्थ कभी भी हिंसा नहीं होना चाहिए। शिक्षक का काम बच्चों को समझाना है, सज़ा देना नहीं।”

 क्या कहता है कानून?

भारत में बच्चों के खिलाफ शारीरिक दंड पर सख्त प्रतिबंध है। ‘राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009’ की धारा 17 के तहत छात्रों को किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हिंसा देना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद मासूम बच्चे की पिटाई जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जो कानून की धज्जियां उड़ाने जैसा है।

 ग्रामीणों में आक्रोश, शिक्षक निलंबित करने की मांग

घटना के बाद गांव में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने विद्यालय के सामने धरना प्रदर्शन कर आरोपी शिक्षक को तत्काल निलंबित करने की मांग की है।

ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन उचित कार्रवाई नहीं करता, तो वे जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करेंगे।

कब थमेगा शिक्षकों का हिंसक व्यवहार?

मासूम बच्चे की पिटाई केवल एक बच्चा नहीं सहता, बल्कि पूरी व्यवस्था की नाकामी की कहानी बयां करता है। स्कूल को बच्चों की सुरक्षा का स्थान माना जाता है, लेकिन जब वहीं उनका खून बहाया जाए, तो सवाल उठना स्वाभाविक है।

सरकार, शिक्षा विभाग और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों पर कभी भी हाथ न उठे। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि आगे से कोई मासूम बच्चा डंडे का शिकार न बने।

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