जनता कॉलेज में छात्र पर टूटा डंडों का कहर, कैमरे में कैद हुई हैवानियत — कौन है ये बेरहम शिक्षक?

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हाइलाइट्स

  • बेरहम शिक्षक ने छात्र को खुले मैदान में डंडे से बेरहमी से पीटा, वीडियो हुआ वायरल
  • छात्र ने हाथ जोड़कर माफी मांगी, लेकिन शिक्षक ने पिटाई जारी रखी
  • घटना उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के थाना कपूरपुर क्षेत्र की है
  • पीड़ित छात्र जनता कॉलेज का बताया जा रहा है, हालत चिंताजनक
  • सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही लोगों में गुस्सा, प्रशासन हरकत में

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक बेरहम शिक्षक की शर्मनाक करतूत का वीडियो सामने आया है, जिसमें एक शिक्षक खुले मैदान में एक छात्र को डंडे से बेरहमी से पीटता दिखाई दे रहा है। घटना थाना कपूरपुर क्षेत्र के जनता कॉलेज की बताई जा रही है। वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने प्रदेशभर में आक्रोश फैला दिया है।

क्या है पूरी घटना?

यह वायरल वीडियो 1 मिनट 48 सेकंड का है, जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक शिक्षक छात्र को ज़मीन पर गिराकर लगातार डंडे बरसा रहा है। छात्र रोते हुए हाथ जोड़ता है, माफी मांगता है लेकिन बेरहम शिक्षक की पिटाई थमती नहीं। एक अन्य व्यक्ति वीडियो बना रहा होता है, जिससे साफ है कि घटना जानबूझकर सार्वजनिक की गई।

कहां की है घटना?

इस अमानवीय घटना का स्थान जनता इंटर कॉलेज, थाना कपूरपुर क्षेत्र, हापुड़ (उत्तर प्रदेश) बताया जा रहा है। स्कूल प्रांगण के खुले मैदान में सैकड़ों की संख्या में छात्र मौजूद हैं, लेकिन कोई भी उस बेरहम शिक्षक को रोकने की हिम्मत नहीं करता।

पीड़ित छात्र की स्थिति गंभीर

सूत्रों के अनुसार, पीड़ित छात्र कक्षा 10वीं का बताया जा रहा है। पिटाई के कारण उसकी पीठ और जांघों पर गंभीर चोटें आई हैं। अभिभावकों द्वारा उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। चिकित्सकों ने बताया कि अत्यधिक मारपीट के कारण उसे ट्रॉमा और आंतरिक चोटें आई हैं।

कैसे हुआ वीडियो वायरल?

घटना के तुरंत बाद किसी छात्र ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया, जिसके बाद यह पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया। वीडियो में बेरहम शिक्षक की पहचान साफ दिखाई दे रही है। वीडियो में आवाजें भी सुनाई देती हैं, जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य शिक्षकों को घटना की जानकारी थी, फिर भी किसी ने छात्र की मदद नहीं की।

प्रशासन ने क्या कार्रवाई की?

हापुड़ जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने वीडियो वायरल होते ही संज्ञान लिया। बेरहम शिक्षक को तुरंत निलंबित कर दिया गया है और जांच के आदेश दे दिए गए हैं। कपूरपुर थाना पुलिस ने शिक्षक के खिलाफ धारा 323, 506 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है।

जिला शिक्षा अधिकारी, अर्चना त्रिपाठी ने कहा:

“हम इस अमानवीय व्यवहार को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। शिक्षक का कार्य विद्यार्थियों को मारना नहीं, बल्कि उन्हें मार्गदर्शन देना है। दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

स्थानीय लोगों में आक्रोश

घटना के बाद स्थानीय लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। ग्रामीणों और अभिभावकों ने स्कूल के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और आरोपी बेरहम शिक्षक की गिरफ्तारी की मांग की। कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से मना कर दिया है।

सामाजिक प्रतिक्रिया और मनोवैज्ञानिक नजरिया

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी घटनाएं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं। बेरहम शिक्षक द्वारा की गई यह पिटाई छात्र के मन में न केवल डर बैठाती है, बल्कि उसके आत्म-सम्मान को भी चोट पहुंचाती है।

बाल अधिकार कार्यकर्ता, नीरा बंसल कहती हैं:

“भारत में बाल संरक्षण कानून बहुत मजबूत हैं, लेकिन स्कूलों में आज भी कुछ बेरहम शिक्षक ऐसे हैं जो छात्रों को अपना गुलाम समझते हैं। यह सोच बदलनी होगी।”

क्या कहता है कानून?

भारतीय कानून के अनुसार—

  • किसी भी शिक्षक को छात्र को शारीरिक दंड देना अपराध है।
  • 2009 के शिक्षा का अधिकार अधिनियम की धारा 17 के तहत शारीरिक दंड निषेध है।
  • दोषी पाए जाने पर शिक्षक को निलंबन, वेतन कटौती, सेवा समाप्ति, और यहां तक कि जेल भी हो सकती है।
  • बेरहम शिक्षक के खिलाफ यदि छात्र के अभिभावक बाल अधिकार आयोग में शिकायत करें तो मामला राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच सकता है।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे, प्रशिक्षित काउंसलर और बाल अधिकार शिक्षा की अनिवार्यता की मांग तेज हो गई है।

इस घटना ने यह साबित कर दिया कि भारत के कई हिस्सों में आज भी बेरहम शिक्षक शिक्षा के नाम पर बच्चों के साथ हिंसक व्यवहार कर रहे हैं। यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को अंधकार में धकेलता है। ज़रूरत है ऐसे शिक्षकों को सिस्टम से बाहर करने की और शिक्षा को वास्तव में ‘विद्या का मंदिर’ बनाने की।

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