हाइलाइट्स
- चंदौली जिले के धपरी गांव में नींव खुदाई के दौरान प्राचीन शिवलिंग मिलने से फैली सनसनी
- मुस्लिम परिवार की जमीन से शिवलिंग निकलने को ग्रामीणों ने चमत्कार बताया
- सावन माह में शिवलिंग मिलने से ग्रामीणों में गहरी धार्मिक आस्था और उत्साह
- प्रशासन ने शिवलिंग को अस्थायी रूप से पास के मंदिर में स्थापित कराया
- पुरातत्व विभाग करेगा जांच, शिवलिंग की प्राचीनता व ऐतिहासिक महत्व का होगा मूल्यांकन
चंदौली में सावन के महीने में चमत्कार: मुस्लिम परिवार की ज़मीन से निकला प्राचीन शिवलिंग
उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले का धपरी गांव (जिसे कुछ लोग धर्मपुरी भी कहते हैं) शनिवार शाम को एक अभूतपूर्व चमत्कार का गवाह बना। यहां एक मुस्लिम परिवार अपनी जमीन पर जब बाउंड्री वॉल के लिए खुदाई करवा रहा था, तभी जमीन के भीतर से प्राचीन शिवलिंग निकल आया।
यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई और कुछ ही देर में ग्रामीणों की भारी भीड़ घटनास्थल पर जमा हो गई। सावन माह की इस धार्मिक बेला में इस तरह प्राचीन शिवलिंग का मिलना लोगों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था।
खुदाई के दौरान मिला आस्था का प्रतीक
अंसार की जमीन पर हो रही थी बाउंड्री की नींव खुदाई
धपरी गांव के स्थानीय निवासी अंसार अपनी जमीन पर चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) के लिए नींव खुदवा रहे थे। मजदूर जैसे-जैसे गहराई में खुदाई कर रहे थे, उन्हें एक विशेष आकृति नजर आई।
जब आसपास की मिट्टी को हटाया गया तो वहां से प्राचीन शिवलिंग निकला। देखते ही देखते गांव में हर-हर महादेव के जयघोष गूंजने लगे। कई ग्रामीणों ने इसे शिव की इच्छा बताया और मौके पर ही पूजा-पाठ शुरू कर दिया।
शिवलिंग को अस्थायी तौर पर मंदिर में स्थापित किया गया
प्रशासन ने लिया संज्ञान, आगे की जांच में जुटा
घटना की सूचना मिलते ही एसडीएम अनुपम मिश्रा सहित प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे।
स्थानीय लोगों के सहयोग से प्राचीन शिवलिंग को पास के ही एक मंदिर में अस्थायी रूप से स्थापित कर दिया गया।
एसडीएम ने बताया कि इस भूमि की राजस्व विभाग द्वारा नापी करवाई जाएगी और पुरातत्व विभाग इसकी प्राचीनता की जांच करेगा।
एसडीएम अनुपम मिश्रा ने कहा, “ग्रामीणों की आस्था का पूरा सम्मान किया जाएगा। शिवलिंग की ऐतिहासिकता व स्थान की पृष्ठभूमि को परखने के बाद ही अगला कदम तय किया जाएगा।”
ग्रामीणों की मांग: यहीं बने भव्य शिव मंदिर
“जहां प्रकट हुआ शिवलिंग, वहीं हो स्थायी स्थापना”
ग्रामीणों का मानना है कि प्राचीन शिवलिंग की स्थापना उसी स्थल पर की जानी चाहिए जहां वह प्रकट हुआ।
स्थानीय सच्चिदानंद पांडेय और संजय सिंह जैसे ग्रामीणों ने बताया कि यह क्षेत्र 84 कोसी परिक्रमा के अंतर्गत आता है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है।
धपरी गांव का प्राचीन नाम धर्मपुरी है, जो पहले से ही एक आध्यात्मिक पहचान रखता है। ग्रामीण चाहते हैं कि प्रशासन गांव में ही एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाए ताकि प्राचीन शिवलिंग की विधिवत पूजा होती रहे।
मुस्लिम परिवार ने दिखाई सौहार्द की मिसाल
“हम गांव में शांति चाहते हैं, जो ग्रामीण कहेंगे, वही होगा”
इस पूरे घटनाक्रम में जिस बात ने सभी को भावुक कर दिया, वह थी भूमि स्वामी अंसार की सोच।
अंसार ने न केवल प्राचीन शिवलिंग के मिलने की जानकारी अधिकारियों को दी, बल्कि खुद आगे आकर कहा कि –
“गांव में शांति और सौहार्द बना रहे, यही सबसे ज़रूरी है। जो गांव के लोग कहेंगे, हम वैसा ही करेंगे।”
इस प्रकार एक धार्मिक सौहार्द की मिसाल सामने आई जहां हिंदू-मुस्लिम एकता की छवि उभर कर आई।
पुरातत्व विभाग करेगा जांच: कितने वर्ष पुराना है शिवलिंग?
हो सकता है प्राचीन मंदिर रहा हो यहां
प्रशासन ने यह तय किया है कि पुरातत्व विभाग से प्राचीन शिवलिंग की जांच करवाई जाएगी।
जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि यह शिवलिंग कितने वर्ष पुराना है और क्या इस स्थान पर कभी कोई प्राचीन धर्मस्थल मौजूद था। यदि यह तथ्य सिद्ध होता है, तो यह स्थान धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में भी उभर सकता है।
आस्था और इतिहास का संगम बना चंदौली का धपरी गांव
यह घटना सिर्फ एक धार्मिक चमत्कार नहीं, बल्कि भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल भी बन गई है।
जहां एक ओर सावन में शिवलिंग का प्रकट होना सनातन श्रद्धा को पुष्ट करता है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम परिवार द्वारा सौहार्द का उदाहरण पेश करना समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
इस घटना ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि प्राचीन शिवलिंग केवल एक मूर्ति नहीं, बल्कि संवेदनाओं, आस्था, इतिहास और भाईचारे का प्रतीक है।
चंदौली का धपरी गांव आज केवल एक गांव नहीं रहा, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता की मिसाल बन चुका है। प्राचीन शिवलिंग के मिलने से गांव में एक नई उम्मीद जगी है — एक भव्य मंदिर, आस्था का केंद्र और गंगा-जमुनी तहजीब का जीवंत प्रतीक।
अब सबकी नजरें प्रशासन और पुरातत्व विभाग की कार्रवाई पर टिकी हैं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि जल्द ही इस चमत्कारी शिवलिंग की विधिवत स्थापना होगी और गांव का नाम एक धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित हो जाएगा।