हाइलाइट्स
- राजस्थान के उदयपुर में सरकारी स्कूल की छत गिर गई, आज छुट्टी होने से टल गया बड़ा हादसा
- हादसे के वक्त स्कूल खाली था, नहीं तो बच्चों की जान को हो सकता था गंभीर खतरा
- ग्रामीणों का आरोप—स्कूल की मरम्मत की मांग लंबे समय से की जा रही थी
- हादसे के बाद प्रशासन हरकत में आया, लेकिन ग्रामीणों का गुस्सा फूटा
- लोग बोले—अगर बच्चे घायल होते तो मंत्री जी को मिलने आना पड़ता, सड़क भी तभी बनती
राजस्थान के उदयपुर में सरकारी स्कूल की छत गिर गई, टला बड़ा हादसा
उदयपुर, राजस्थान।
राजस्थान के उदयपुर ज़िले के एक सरकारी स्कूल में रविवार को सरकारी स्कूल की छत गिर गई, लेकिन सौभाग्यवश उस दिन छुट्टी होने की वजह से स्कूल में कोई छात्र मौजूद नहीं था। यह घटना न सिर्फ ग्रामीणों के लिए झकझोर देने वाली रही, बल्कि यह राज्य में सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
हादसा कैसे हुआ: स्कूल में छत गिरने की पूरी घटना
पुरानी बिल्डिंग, कई बार दी गई सूचना
ग्राम पंचायत नाया के राजकीय प्राथमिक विद्यालय की बिल्डिंग पिछले 30 वर्षों से खस्ताहाल स्थिति में थी। स्थानीय ग्रामीणों और स्कूल के शिक्षकों ने कई बार प्रशासन को इस बारे में लिखा था कि छत से सीलन टपकती है, दीवारें दरारों से भरी हैं और छत की प्लास्टर परतें गिरती रहती हैं।
लेकिन दुर्भाग्यवश, सरकारी स्कूल की छत गिर गई तब जाकर प्रशासन जागा।
रविवार को थी छुट्टी, नहीं आए थे बच्चे
हादसा रविवार सुबह करीब 11 बजे का है, जब अचानक स्कूल की मुख्य कक्षा की छत पूरी तरह भरभराकर गिर गई। चूंकि रविवार को अवकाश था, इसलिए शिक्षक और छात्र स्कूल में मौजूद नहीं थे, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया।
ग्रामीणों का गुस्सा: “छत तो गिरी, अब मंत्री जी की कमर बच गई”
सरकार पर तंज: हादसा होता तो बनती सड़क और आते मंत्री
स्थानीय ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए कहा,
“अगर बच्चे स्कूल में होते तो सरकार को अस्पताल तक सड़क बनवानी पड़ती, ताकि मंत्री जी घायल बच्चों से मिलने आ सकें और खराब सड़क की वजह से उनकी कमर न लचक जाए। अब तो मंत्री जी की कमर लचकने से भी बच गई।”
यह तंज न केवल प्रशासनिक लापरवाही पर करारा व्यंग्य था, बल्कि यह ग्रामीणों की हताशा को भी दर्शाता है।
अब राजस्थान के उदयपुर में सरकारी स्कूल की छत गिर गई. आज छुट्टी थी तो बच्चे स्कूल नहीं आए थे.
वरना बड़ा हादसा होता और सरकार को अस्पताल तक सड़क बनवानी पड़ती.
ताकि मंत्री जी घायल बच्चों से मिलने जा सकें और खराब सड़क की वजह से उनकी कमर न लचक जाए.
मंत्री जी की कमर लचकने से बच गई pic.twitter.com/2jQ2KPHYHu
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) July 27, 2025
अधिकारी मौके पर पहुंचे, जांच के आदेश
हादसे के कुछ घंटे बाद जिला शिक्षा अधिकारी, उपखंड अधिकारी और पंचायत समिति के अधिकारी स्कूल पहुंचे और सरकारी स्कूल की छत गिर गई हादसे की जांच शुरू की। एक जांच समिति गठित कर दी गई है, जो 5 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी।
कब बदलेगा सरकारी स्कूलों का चेहरा?
सरकारी रिपोर्ट्स बनाम जमीनी हकीकत
राज्य सरकार द्वारा हर साल शिक्षा पर भारी बजट का ऐलान किया जाता है, लेकिन सरकारी स्कूल की छत गिर गई जैसी घटनाएं इस दावे की पोल खोल देती हैं। ग्रामीण इलाकों में आज भी कई स्कूल ऐसे हैं, जहां शौचालय नहीं है, छत टपकती है, बिजली नहीं है और शिक्षक भी समय पर नहीं आते।
शिक्षक बोले—कई बार लिखा, किसी ने नहीं सुनी
स्कूल के प्रधानाध्यापक रमेश चंद्र ने बताया,
“हमने DEO और पंचायत समिति को तीन बार लिखित में छत की जर्जर हालत के बारे में बताया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब जाकर सब हरकत में आए हैं।”
छात्र-छात्राओं की सुरक्षा पर लटका सवाल
शिक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावा?
यह हादसा भले ही किसी जान-माल के नुकसान का कारण नहीं बना, लेकिन यह स्पष्ट संकेत है कि अगर समय रहते मरम्मत न की जाए, तो अगली बार ऐसी लापरवाही कई मासूम जिंदगियों को निगल सकती है।
सरकार और शिक्षा विभाग के लिए यह समय है गंभीर आत्ममंथन का—क्या हम सिर्फ विद्यालय खोलकर और बजट आवंटित कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते हैं?
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्ष का हमला: “राज्य की शिक्षा व्यवस्था खुद गिर चुकी है”
विपक्षी पार्टी के नेता और पूर्व शिक्षा मंत्री गुलाब सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा:
“सरकारी स्कूल की छत गिर गई और सरकार की आंख तब खुली जब कोई चमत्कारवश जान नहीं गई। यह बताता है कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था भी अब ढहने के कगार पर है।”
उन्होंने मांग की कि सभी जर्जर स्कूलों की इमरजेंसी ऑडिट कराई जाए और एक महीने के भीतर मरम्मत कार्य शुरू हो।
हादसा नहीं चेतावनी है यह
उदयपुर में सरकारी स्कूल की छत गिर गई, लेकिन किसी जान की क्षति नहीं हुई—यह राहत की बात जरूर है, लेकिन इसे भूलकर आगे बढ़ना अपराध होगा। यह घटना पूरे राज्य और देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए एक चेतावनी है कि अगर अब भी ध्यान न दिया गया तो अगली बार हालात ज्यादा भयानक होंगे।