हाइलाइट्स
- फोकस कीवर्ड: इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की 2023 में केरल रैली के भड़काऊ नारों से उठा सियासी तूफान
- राहुल गांधी द्वारा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को ‘कम्प्लीटली सेक्युलर पार्टी’ कहने पर उठा विवाद
- कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की साझेदारी पर खड़े हुए गंभीर सवाल
- हिंदू धर्म और मंदिरों को लेकर आपत्तिजनक नारेबाज़ी की कड़ी आलोचना
- सत्ता में आने पर ‘I.N.D.I.A. गठबंधन’ की सोच और मंशा पर उठने लगे देशव्यापी सवाल
केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की रैली और भड़काऊ नारे
2023 में केरल की सड़कों पर निकली एक रैली ने पूरे देश की राजनीति को झकझोर कर रख दिया। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग द्वारा आयोजित इस रैली में जो नारे लगाए गए, उन्होंने न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत किया, बल्कि देश की साम्प्रदायिक सौहार्द पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया।
रैली के दौरान कथित रूप से यह नारे लगाए गए:
“हिंदुओं हम तुम्हें रामायण नहीं पढ़ने देंगे, हिंदुओं हम तुम्हें मंदिर के सामने जिंदा जलाएंगे, हिंदुओं हम तुम्हें मंदिर के गेट पर फांसी लटका देंगे, हिंदुओं तुम होश में आओ।”
इन नारों ने आम नागरिकों को स्तब्ध कर दिया और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने तुरंत आग पकड़ ली।
राहुल गांधी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग: क्या यह ‘सेक्युलरिज़्म’ है?
जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वे इस तरह की मानसिकता रखने वाली पार्टी को समर्थन देना उचित मानते हैं, तो उनका जवाब था—“इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग कम्पलीटली सेक्युलर पार्टी है।”
उनके इस बयान ने एक और विवाद खड़ा कर दिया। जनता और सोशल मीडिया यूज़र्स ने सवाल उठाया कि क्या इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसी पार्टी को ‘सेक्युलर’ कहना लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का मज़ाक नहीं है?
कांग्रेस और I.N.D.I.A. गठबंधन की विचारधारा पर सवाल
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सिर्फ कांग्रेस की ही नहीं, बल्कि पूरे विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की भी अहम सहयोगी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या विपक्षी गठबंधन में शामिल अन्य दल भी इस रैली और नारों की निंदा करेंगे?
या फिर सत्ता की लालसा में वे चुप्पी साध लेंगे?
क्या यह गठबंधन सिर्फ वोट बैंक की राजनीति तक सीमित है, या वास्तव में वह देश को एकजुट रखने में सक्षम है?
क्या सत्ता में आकर बदल जाएगा भारत का धर्मनिरपेक्ष चरित्र?
यदि I.N.D.I.A. गठबंधन, जिसमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसी पार्टियां शामिल हैं, सत्ता में आता है, तो क्या देश में धार्मिक कट्टरता को और अधिक बल मिलेगा?
क्या हिंदू मंदिर, आस्था और धार्मिक ग्रंथों पर हमला होगा?
इन सवालों को नज़रअंदाज़ करना अब नामुमकिन होता जा रहा है।
राजनीति अब केवल विकास या बेरोज़गारी जैसे मुद्दों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह अब धर्म, संस्कृति और अस्तित्व के प्रश्नों से जुड़ती जा रही है।
सोशल मीडिया पर उबाल: #BanIUML ट्रेंड में
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की इस रैली के बाद सोशल मीडिया पर #BanIUML और #IUMLExposed जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लाखों लोगों ने ट्विटर (अब X), फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इस मुद्दे को उठाया और पार्टी पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।
यूज़र्स का कहना था कि ऐसे दल भारत की अखंडता के लिए ख़तरा हैं और इनके विरुद्ध सख़्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
सरकार की प्रतिक्रिया और सख्त कार्रवाई की मांग
अब सवाल यह है कि इस गंभीर मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार की क्या प्रतिक्रिया रही?
हालांकि केरल सरकार इस मामले में चुप्पी साधे हुए है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस रैली के फुटेज और नारों की जांच की जा रही है।
देश में धार्मिक उन्माद फैलाने वाले संगठनों पर पहले भी कड़ी कार्रवाई की गई है, और अब जनता की मांग है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को भी उसी कठघरे में खड़ा किया जाए।
2023 में केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने एक रैली निकाली थी
और इस रैली में नारे लगाए हिंदुओं हम तुम्हें रामायण नहीं पढ़ने देंगे हिंदुओं हम तुम्हें मंदिर के सामने जिंदा जलाएंगे हिंदुओं हम तुम्हें मंदिर के गेट पर फांसी लटका देंगे हिंदुओं तुम होश में आओ
इसी इंडियन यूनियन… pic.twitter.com/bskvmbs6km
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) July 26, 2025
क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है?
भारत एक बहुधार्मिक, बहुसांस्कृतिक राष्ट्र है। ऐसे में किसी भी धर्म या समुदाय के विरुद्ध हिंसा की बात करना लोकतंत्र और संविधान का खुला उल्लंघन है।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की रैली में जो कुछ भी हुआ, अगर वह सत्य है, तो यह हमारे संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला है।
राहुल गांधी द्वारा इस पार्टी को ‘सेक्युलर’ कहने से यह सवाल उठता है—क्या सत्ता पाने के लिए सब कुछ जायज़ हो गया है?
देश को तय करना होगा कि वह किस ओर जाना चाहता है
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले चुनाव केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं होंगे, बल्कि भारत की आत्मा और उसकी धर्मनिरपेक्ष पहचान को लेकर भी होंगे।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग जैसी पार्टी की सोच और गठबंधन में उसकी भागीदारी, आने वाले वर्षों में देश के स्वरूप को किस दिशा में मोड़ेगी, यह चिंतन का विषय है।
देश को तय करना होगा कि वह कट्टरता और धार्मिक नफरत की राह पर चलेगा या सहिष्णुता और संविधान की राह पर।