हाइलाइट्स
- स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय पटल पर रचा इतिहास, लखनऊ को 7‑Star Garbage‑Free सिटी रेटिंग मिली।
- वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ, अलीगढ़ ने टॉप‑30 सूची में जगह बनाकर स्वच्छ सर्वेक्षण में राज्य की पकड़ मजबूत की।
- मुरादाबाद देश का 10वां सबसे स्वच्छ शहर, गोरखपुर को मिला ‘सफाईमित्र सुरक्षित शहर’ सम्मान; ये उपलब्धियाँ स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश की व्यापक भागीदारी को दर्शाती हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ‘मिशन स्वच्छता’ को बूस्ट, नागरिक सहभागिता ने स्वच्छ सर्वेक्षण स्कोर को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुँचाया।
- नीति‑निर्धारकों का लक्ष्य: 2026 तक प्रदेश के सभी नगर निगमों को 5‑Star या उससे ऊपर की रेटिंग दिलाना और स्वच्छ सर्वेक्षण में स्थायी अग्रणी रहना।
पृष्ठभूमि: स्वच्छ भारत मिशन से स्वच्छ सर्वेक्षण तक
स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत 2014 में हुई थी, लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण वह वार्षिक कसौटी है जिस पर शहरों‑प्रदेशों की सफाई प्रतिबद्धता परखा जाता है। इसी स्वच्छ सर्वेक्षण 2024‑25 में उत्तर प्रदेश ने न सिर्फ अपना, बल्कि देश का भी मान बढ़ाया। वर्तमान अध्ययन में 4500 से अधिक शहरों ने हिस्सा लिया, जिनमें कचरा प्रबंधन, वार्ड‑वार्ड सफाई, नवाचार और नागरिक प्रतिक्रिया जैसे 46 संकेतकों पर मूल्यांकन हुआ।
उत्तर प्रदेश ने लिया स्वच्छता का प्रण
बढ़ गया हरित एवं स्वच्छ वातावरण 🌏 🌳प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के यशस्वी मार्गदर्शन और #UPCM श्री @myogiadityanath जी के कुशल नेतृत्व में 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25' में उत्तर प्रदेश को अभूतपूर्व सफलता मिली है।
🥉 10 लाख से अधिक… pic.twitter.com/FL5tP6fUox
— Government of UP (@UPGovt) July 20, 2025
क्या है स्वच्छ सर्वेक्षण?
स्वच्छ सर्वेक्षण आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित सबसे व्यापक शहरी स्वच्छता मूल्यांकन है। हर वर्ष डेटा कलेक्शन, फिजिकल ऑडिट और ‘सिटिजन फीडबैक’ की त्रि‑स्तरीय प्रक्रिया से शहरों को रैंक दिया जाता है। 2024‑25 के चक्र में ‘गार्बेज‑फ्री सिटी’ प्रोटोकॉल का वज़न बढ़ा, जिसने लखनऊ को 7‑Star क्लब में प्रवेश दिलाया।
संकेतक और स्कोरिंग
इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण स्कोर 9500 अंकों का था, जिसमें 30% अंक ‘सर्विस‑लेवल प्रोग्रेस’, 40% ‘सिटिजन वॉयस’, 30% ‘ऑन‑ग्राउंड अस्सेसमेंट’ को दिए गए।
उत्तर प्रदेश की छलांग: आँकड़ों में सफलता
राज्य ने कुल 46 नगरीय निकायों को गार्बेज‑फ्री सर्टिफिकेशन दिलाकर स्वच्छ सर्वेक्षण इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया। लखनऊ का स्कोर 7,869 रहा, जो पिछले साल के 6,310 से 24% अधिक है।
लखनऊ: 7‑Star उड़ान
‘नमामि गंगे’ डंप‑साइट रेमेडिएशन और ‘थ्री‑बिन’ सिस्टम लागू करने से स्वच्छ सर्वेक्षण में लखनऊ का परफॉर्मेंस छलांग लगा सका। नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह के मुताबिक, “हर मोहल्ले में लोग अब कचरा स्रोत‑स्तर पर अलग कर रहे हैं; यही स्वच्छ सर्वेक्षण की असली जीत है।”
वाराणसी से अलीगढ़ तक
वाराणसी ने स्वच्छ सर्वेक्षण में 28वाँ, प्रयागराज 18वाँ, कानपुर 22वाँ स्थान पाया। गाजियाबाद 25वें पायदान पर, जबकि आगरा ने 32वीं रैंक लेकर ताजमहल की गरिमा को स्वच्छता से जोड़ा। मेरठ और अलीगढ़ की प्रगति भी स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट में उल्लेखनीय रही।
मुरादाबाद व गोरखपुर का विशेष ज़िक्र
मुरादाबाद ने ‘डॉमेस्टिक वेस्ट‑टू‑आर्ट’ मॉडल से शहर को सजाया और स्वच्छ सर्वेक्षण में टॉप‑10 में आ गया। गोरखपुर का ‘सफाईमित्र सुरक्षित शहर’ मॉडल रेजर‑एज टेक्नोलॉजी से लैस है, जिसने कचरा उठाने वाले कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपकरण अनिवार्य किए।
नेतृत्व की भूमिका: नीति और क्रियान्वयन
प्रधानमंत्री मोदी की ‘जीरो वेस्ट’ अवधारणा और मुख्यमंत्री योगी की निगरानी‑प्रधान कार्यशैली ने स्वच्छ सर्वेक्षण में निर्णायक लाभ दिया। हर महीने वीडियो कॉन्फ्रेंस समीक्षा और ‘100‑डे चैलेंज’ ने नगर निगमों को समय‑सीमा में परिणाम देने के लिए प्रेरित किया।
नागरिक सहभागिता का महत्त्व
सिर्फ नीति नहीं, लोगों की भूमिका भी विराट रही। ‘सेल्फी विद क्लीन स्ट्रीट’ अभियान में 15 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने तस्वीरें अपलोड कर स्वच्छ सर्वेक्षण पोर्टल पर पॉज़िटिव फीडबैक दिया।
फंडिंग मॉडल
राज्य सरकार ने PPP मॉडल से 540 करोड़ रुपये जुटाए, जिससे अपशिष्ठ‑प्रसंस्करण संयंत्र और आधुनिक ट्रांसफर स्टेशन बने। इसका सीधा असर स्वच्छ सर्वेक्षण स्कोर पर दिखा।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि स्वच्छ सर्वेक्षण में प्रगति उल्लेखनीय है, किन्तु प्लास्टिक वेस्ट और ग्रामीण‑शहरी सीमा क्षेत्रों का कचरा अब भी चुनौती बने हुए हैं।
तकनीकी नवाचार की ज़रूरत
AI‑आधारित रूट ऑप्टिमाइज़ेशन से कलेक्शन गाड़ियों के फेरे घटे; यही मॉडल सभी नगर पालिकाओं में लागू करने की योजना है ताकि स्वच्छ सर्वेक्षण में लगातार ऊँची रैंक बरक़रार रहे।
व्यवहार परिवर्तन अभियानों की भूमिका
“मेरा कूड़ा, मेरी ज़िम्मेदारी” अभियान अगले दो वर्षों तक जारी रहेगा। लक्ष्य है कि हर नागरिक प्रतिदिन कचरा अलग‑अलग डिब्बों में जमा करे, जिससे स्वच्छ सर्वेक्षण मानक स्वतः ही पूरा हो।
स्वच्छता से उभरता ब्रांड उत्तर प्रदेश
आँकड़ें, रैंकिंग और नागरिक उत्साह—तीनों बताते हैं कि स्वच्छ सर्वेक्षण ने उत्तर प्रदेश की छवि को पुनर्परिभाषित किया है। यदि योजनाबद्ध निवेश और सामूहिक प्रयास जारी रहे, तो 2026 में उत्तर प्रदेश न सिर्फ स्वच्छ सर्वेक्षण का अग्रणी राज्य होगा, बल्कि ‘जीरो‑वेस्ट इकोसिस्टम’ का राष्ट्रीय मॉडल भी पेश करेगा।