जुड़वा बच्चों के दो अलग-अलग पिता! एक ही दिन दो….. बनाकर मां बनी 19 साल की लड़की, विज्ञान भी रह गया हैरान

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हाइलाइट्स

  • Heteroparental Super fecundation का यह दुर्लभ मामला पुर्तगाल के गोयस राज्य के मिनेरोस शहर से सामने आया
  • महिला ने एक ही दिन दो अलग-अलग पुरुषों से संबंध बनाए, जिससे जुड़वा बच्चे पैदा हुए, लेकिन दोनों के पिता अलग निकले
  • DNA टेस्ट में एक ही दिन में हुए दो संबंधों का विज्ञान सामने आया, डॉक्टर भी रह गए दंग
  • पूरी दुनिया में ऐसे केवल 20 मामले दर्ज, जिसमें जुड़वा बच्चों के पिता अलग-अलग पाए गए हैं
  • बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट पर एक ही व्यक्ति का नाम, वही दोनों बच्चों की परवरिश भी कर रहा है

Heteroparental Super fecundation: फिल्मी नहीं, असल जीवन की अविश्वसनीय घटना

फिल्म ‘गोपी किशन’ में एक फेमस डायलॉग था—”मेरे दो-दो बाप!”। ये डायलॉग भले ही हँसी का पात्र रहा हो, लेकिन पुर्तगाल से आया मामला इस डायलॉग को वास्तविकता में बदलता नजर आता है।

पुर्तगाल के गोयस राज्य के मिनेरोस शहर में रहने वाली 19 वर्षीय एक महिला ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। मामला तब चौंकाने वाला बन गया जब DNA टेस्ट में यह सामने आया कि दोनों बच्चों के जैविक पिता अलग-अलग हैं। इस दुर्लभ जैविक घटना को विज्ञान की भाषा में Heteroparental Super fecundation कहा जाता है।

घटना कैसे उजागर हुई: DNA रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

जब महिला के बच्चों की उम्र आठ महीने हुई, तो किसी कानूनी प्रक्रिया के चलते उनका DNA टेस्ट करवाया गया। महिला ने अपने पार्टनर के DNA सैंपल दिए, जिसमें से एक बच्चे का डीएनए पिता से मेल खा गया, लेकिन दूसरा पूरी तरह अलग निकला।

यह देखकर महिला भी हैरान रह गई। फिर उसे याद आया कि उसने उसी दिन किसी अन्य पुरुष के साथ भी संबंध बनाए थे। इसके बाद जब उस दूसरे पुरुष का डीएनए टेस्ट हुआ, तो वह दूसरे बच्चे से मैच कर गया।

Heteroparental Super fecundation के वैज्ञानिक आधार

दो अंडाणु, दो पिता
डॉक्टर टुलियो जॉर्ज फ्रेंको, जो असामान्य गर्भावस्था पर शोध करते हैं, बताते हैं कि Heteroparental Super fecundation तब होता है जब एक महिला के शरीर में दो अंडाणु एक ही मासिक चक्र में निकलते हैं और अलग-अलग पुरुषों के शुक्राणु से फर्टिलाइज हो जाते हैं।

दुनिया में सिर्फ 20 ऐसे मामले

डॉ. फ्रेंको कहते हैं कि पूरी दुनिया में अब तक Heteroparental Super fecundation के केवल 20 मामले रिपोर्ट हुए हैं। यह एक बेहद दुर्लभ जैविक घटना है और सामान्यतः डॉक्टरों को भी इसके लक्षण तुरंत समझ नहीं आते।

मेडिकल केस हिस्ट्री

महिला की डिलीवरी करने वाले डॉक्टर ने बताया कि दोनों बच्चे पूर्णतः स्वस्थ हैं और जन्म के समय कोई भी शारीरिक या मानसिक असामान्यता नहीं पाई गई। महिला की प्रेग्नेंसी पूरी तरह सामान्य रही और प्रसव भी बिना किसी जटिलता के संपन्न हुआ।

सामाजिक दृष्टिकोण: कौन है ‘पिता’?

बर्थ सर्टिफिकेट पर कौन होगा दर्ज?

कानूनी रूप से दोनों बच्चों के पिता अलग हैं, लेकिन जन्म प्रमाण पत्र पर एक ही व्यक्ति का नाम दर्ज किया गया है — वही जो महिला के साथ रिश्ते में बना रहा और दोनों बच्चों की परवरिश भी कर रहा है।

सामाजिक और पारिवारिक समर्पण

यह मामला न केवल वैज्ञानिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अनोखा है, जहाँ एक व्यक्ति ने दोनों बच्चों को अपना नाम और देखभाल दी, भले ही वह दोनों का जैविक पिता न हो।

Heteroparental Super fecundation से जुड़ी भ्रांतियाँ और सच्चाइयाँ

क्या यह अनैतिक है?

कई लोग इस पर नैतिक दृष्टिकोण से सवाल उठा सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक तौर पर यह संभव है और इसमें किसी भी प्रकार की नाजायज़ बात नहीं है। यह जैविक रूप से एक बेहद दुर्लभ परंतु सत्य घटना है।

भ्रूण विज्ञान की दृष्टि से

HeteroparentalSuperfecundation को मेडिकल साइंस में “Superfecundation” के अंतर्गत ही रखा जाता है। “Heteroparental” शब्द का अर्थ है — अलग-अलग पिताओं से उत्पन्न।

क्या भारत में कभी हुआ ऐसा मामला?

भारत में Heteroparental Super fecundation से जुड़ी कोई सार्वजनिक या पुष्टि की गई केस रिपोर्ट नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा हो सकता है, बस इसकी पहचान नहीं हो पाती या सामाजिक कलंक के डर से छुपा लिया जाता है।

डॉक्टर क्या कहते हैं?

डॉ. एना मारिया, पुर्तगाल के एक प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञ, बताती हैं कि “यह घटना महिला की शारीरिक क्षमता और पुरुष के शुक्राणु की जीवन अवधि पर भी निर्भर करती है। एक ही दिन में दो पुरुषों से संबंध बनाने पर यह संभावना बहुत कम होती है, परंतु कभी-कभी संभव हो जाती है।”

Heteroparental Super fecundation: एक वैज्ञानिक चमत्कार या समाज की चुनौती?

यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि विज्ञान किस हद तक शरीर के रहस्यों को उजागर कर सकता है। दूसरी ओर, समाज इन घटनाओं को कैसे स्वीकार करता है, यह भी एक बड़ा प्रश्न है।

महिला का साहस भी काबिले-तारीफ है, जिसने इस पूरी घटना को डॉक्टरों के साथ साझा किया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मामले को स्पष्ट किया।

Heteroparental Super fecundation — विज्ञान और समाज की टकराहट या संगम?

Heteroparental Super fecundation हमें सिखाता है कि हर असामान्य चीज़ अस्वीकार्य नहीं होती। कभी-कभी प्रकृति ऐसे चमत्कार दिखा देती है, जिसे विज्ञान भी हैरानी से देखता है और समाज सोच में पड़ जाता है।

यह मामला सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि पूरे मानव विज्ञान और सामाजिक सोच के बीच संतुलन साधने की मिसाल है। समय आ गया है कि हम ऐसी घटनाओं को केवल सनसनी के नजरिए से न देखें, बल्कि समझदारी और वैज्ञानिक विवेक से उसका विश्लेषण करें।

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