हाइलाइट्स
- “Pakistan Senate bill” के तहत महिलाओं के अपमान से जुड़े अपराधों में मौत की सज़ा हटाकर आजीवन कारावास किया गया।
- विधेयक को भारी बहुमत से पारित किया गया, लेकिन कई सीनेटरों ने इसका विरोध किया।
- कानून मंत्री ने कहा—कड़ी सज़ा से अपराध नहीं रुकते, यूरोप इसका उदाहरण है।
- विपक्षी सांसदों ने इसे महिलाओं के खिलाफ अपराध को बढ़ावा देने वाला बताया।
- सोशल मीडिया पर “Pakistan Senate bill” को लेकर तीखी बहस जारी है।
क्या है “Pakistan Senate bill”?
विधेयक की रूपरेखा
“Pakistan Senate bill” के तहत पाकिस्तान दंड संहिता 1860 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1898 में संशोधन किया गया है।
इस संशोधन के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का अपहरण करता है या सार्वजनिक रूप से उसके कपड़े उतारता है, तो अब उसे मौत की सज़ा नहीं मिलेगी। इसके स्थान पर आजीवन कारावास, जुर्माना और संपत्ति ज़ब्त करने की सज़ा दी जाएगी।
कानून मंत्री का पक्ष
आज़म नज़ीर तरार का तर्क
पाकिस्तान के कानून मंत्री आज़म नज़ीर तरार ने सीनेट में कहा:
“हमारे देश में 100 से अधिक अपराधों के लिए मौत की सज़ा है, फिर भी अपराध कम नहीं हो रहे। यूरोप में मौत की सज़ा नहीं है और वहाँ अपराध दर केवल 2% है।”
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार मामूली झगड़ों में महिलाओं के कपड़े उतारने का झूठा आरोप लगाकर किसी को मौत की सज़ा दिलाने की कोशिश की जाती है।
तरार ने इसे ज़िया-उल-हक के मार्शल लॉ काल की विरासत बताया, जिसे अब खत्म करना ज़रूरी है।
विरोध की आवाज़ें
सांसद अली ज़फ़र का बयान
अली ज़फ़र ने कहा:
“महिलाओं के साथ सार्वजनिक अपमान जैसे अपराधों के लिए मौत की सज़ा बनी रहनी चाहिए। यह अपराध समाज के खिलाफ है।”
समीना मुमताज़ का विरोध
समीना मुमताज़ ने कहा:
“हम महिलाओं को कमज़ोर बना रहे हैं। यह बदलाव विदेशी दबाव में किया गया है।”
अब्दुल क़ादिर की चिंता
उन्होंने आतंकवाद के बढ़ते मामलों का हवाला देते हुए पूछा—क्या यह सज़ा कम करने का सही समय है?
“Pakistan Senate bill” के सामाजिक प्रभाव
क्या सज़ा कम करने से अपराध बढ़ेंगे?
कानून मंत्री का तर्क है कि सज़ा की कठोरता से अपराध नहीं रुकते।
लेकिन विपक्ष का कहना है कि इससे अपराधियों को हिम्मत मिलेगी और महिलाएं असुरक्षित महसूस करेंगी।
पुलिस प्रणाली पर सवाल
तरार ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ पुलिस अधिकारी इस कानून का दुरुपयोग करते हैं।
उन्होंने कहा कि धारा 354A के तहत केस दर्ज करने के लिए रिश्वत ली जाती है, जिसकी दर लगभग ₹10 लाख तक होती है।
अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
मानवाधिकार संधियों का प्रभाव
पाकिस्तान ने ICCPR जैसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो मौत की सज़ा को हतोत्साहित करते हैं।
तरार ने कहा कि केवल चार अपराधों के लिए ही शरिया के अनुसार मौत की सज़ा होनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
“Pakistan Senate bill” को लेकर ट्विटर और फेसबुक पर तीखी बहस हो रही है।
कुछ लोग इसे न्यायिक सुधार मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे महिलाओं के खिलाफ अपराध को बढ़ावा देने वाला बता रहे हैं।
“Pakistan Senate bill” पर बहस अभी बाकी है
“Pakistan Senate bill” ने पाकिस्तान में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
जहां एक ओर सरकार इसे न्यायिक संतुलन की दिशा में कदम मान रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष और समाज का एक बड़ा वर्ग इसे महिलाओं के अधिकारों पर हमला मान रहा है।
अभी यह विधेयक नेशनल असेंबली में जाएगा, जहां इसकी अंतिम मंजूरी दी जाएगी।