हाइलाइट्स
- Viral Madrasa Video में बच्चों को सिर‑पैर पर रोटी रखकर देने का दावा, सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश
- घटना की लोकेशन अभी अज्ञात, लेकिन Viral Madrasa Video ने मदरसा भोजन व्यवस्था पर राष्ट्रीय बहस छेड़ी
- कई धार्मिक संगठनों ने Viral Madrasa Video को “भ्रामक” बताया, पुलिस से विस्तृत जांच की मांग
- राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने Viral Madrasa Video पर स्वतः संज्ञान लेकर संबंधित राज्य प्रशासन से रिपोर्ट मांगी
- नीतिगत बदलाव की मांग तेज, Viral Madrasa Video के बाद मदरसों में निगरानी को लेकर सख्त दिशा‑निर्देश संभव
Viral Madrasa Video: मदरसे में भोजन वितरण को लेकर उठा विवाद
मदरसों में दी जाने वाली शिक्षा और वहां के भोजन‑प्रबंधन पर देश‑विदेश में चर्चा कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल ही में सामने आए Viral Madrasa Video ने इस विमर्श को अचानक तेज कर दिया है। इस वीडियो में कथित तौर पर एक व्यक्ति बच्चों के सिर और पैरों पर रोटी रखते हुए दिखाई देता है। दृश्य इतना असहज है कि कुछ सेकंड के भीतर ही यह क्लिप फ़ेसबुक, एक्स (पूर्व ट्विटर) और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफ़ॉर्मों पर लाखों बार साझा की जा चुकी है। हालांकि वीडियो कहां का है, इसे किसने शूट किया, और इसकी समयावधि क्या है—इन सवालों के जवाब फिलहाल स्पष्ट नहीं हैं, फिर भी Viral Madrasa Video ने राष्ट्र‑व्यापी बहस को जन्म दे दिया है।
घटना का प्रारंभिक ब्यौरा
वीडियो की लंबाई मात्र 38 सेकंड है। इसमें एक तंग से कमरे में दर्जनों बच्चे फ़र्श पर पंक्तिबद्ध बैठे हैं। एक वयस्क व्यक्ति उनके पास पहुँचकर रोटी का एक बड़ा ढेर सिर और कंधों पर रखते हुए आगे बढ़ता है। कुछ बच्चे सिर झुकाकर रोटी को नीचे गिरा देते हैं तो कुछ इसके संपर्क से बचने के लिए पीछे हटते दिखते हैं। वीडियो के आखिरी फ्रेम में कुछ बच्चों के चेहरे पर स्पष्ट असहजता झलकती है। इन्हीं दृश्यों ने Viral Madrasa Video को राष्ट्रीय बहस का केंद्र बना दिया है।
सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रिया
घटना के प्रकाश में आते ही #ViralMadrasaVideo ट्रेंड करने लगा। कुछ यूज़र्स ने इसे “बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार” बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की, जबकि अन्य ने वीडियो को “संपादित” या “सांप्रदायिक एजेंडा” का हिस्सा बताया। Viral Madrasa Video पर प्रतिक्रियाओं का सुर इतना तीखा रहा कि कुछ घंटों के भीतर ही प्लेटफ़ॉर्मों ने कॉमेंट सेक्शन को मॉडरेशन वॉर्निंग से लैस कर दिया।
जांच की वर्तमान स्थिति
पुलिस और प्रशासन का रुख
दिल्ली पुलिस के साइबर सेल और उत्तर प्रदेश के एटीएस ने संयुक्त रूप से Viral Madrasa Video के सोर्स की जांच शुरू कर दी है। प्राथमिक स्तर पर वीडियो के मेटाडेटा से संकेत मिलता है कि फ़ाइल को कई बार री‑एन्कोड किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, मूल वीडियो संभवतः दो वर्ष पुराना हो सकता है। हालांकि यह पुष्टि नहीं हो पाई कि वीडियो किस राज्य के मदरसे का है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि Viral Madrasa Video भले ही पुराना हो, लेकिन यदि यह वास्तविक है तो ‘जुवेनाइल जस्टिस एक्ट’ के तहत कार्रवाई होगी।
राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग की दखल
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने स्वतः संज्ञान लेते हुए संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में पूछा गया है कि Viral Madrasa Video में दिख रही घटना कहाँ घटी और क्या किसी तरह के बाल अधिकारों का उल्लंघन हुआ। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के अनुसार, “बालकों के सम्मान से जुड़ा मामला है, इसलिए Viral Madrasa Video की प्रामाणिकता परस्पर जांच से ही तय होगी।”
मदरसा बोर्डों का पक्ष
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों ने कहा कि इस वीडियो को “भ्रामक” तरीके से साझा किया जा रहा है। बोर्ड के प्रवक्ता ने हमारे संवाददाता से बातचीत में कहा, “यदि Viral Madrasa Video वास्तविक है तो हम स्वयं दोषियों पर कार्रवाई चाहेंगे; पर यदि यह एडिटेड है तो नफ़रत फैलाने वालों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
विशेषज्ञों की राय और कानूनी पहलू
बाल मनोविज्ञान की दृष्टि से असर
बाल मनोविज्ञानी डॉ. गीता मेहता कहती हैं कि सिर और पैरों पर भोजन रखना बच्चों में ‘शेम ट्रिगर’ (लज्जा उत्पन्न करने वाले कारक) को सक्रिय कर सकता है। “Viral Madrasa Video में दिखाए गए व्यवहार से बच्चों के आत्मसम्मान पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है,” वे जोड़ती हैं। उनके अनुसार, इस प्रकार के सार्वजनिक अपमान से बच्चों में आक्रोश, अवसाद और सामाजिक आस्था‑भंग तक हो सकता है।
कानूनी प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 75 और 82 (बाल संरक्षण) तथा ‘जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015’ के सेक्शन 21 के तहत शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न पर सख्त सजा का प्रावधान है। यदि Viral Madrasa Video प्रमाणित होता है, तो दोषी को तीन से पाँच साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
मदरसों में बच्चों को इस तरह खाना दिया जाता है;
प्रकृति और संस्कृति के विपरीत चलने वाले यह लोग पैदा भी गलत जगह से हो गए हैं,
मदरसा छाप.!!👇🤪🤣🤣 pic.twitter.com/82o9fpc2a2
— 𝚂𝚑𝚒𝚟𝚊 📿 (@ShivaInSaffron) July 18, 2025
सांप्रदायिक कोण से बचने की अपील
राजनीतिक दलों ने Viral Madrasa Video को लेकर बयानबाज़ी शुरू कर दी है, लेकिन बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि बच्चों के हितों को सियासी रंग न दिया जाए। प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर कहते हैं, “फ़ोकस बच्चों की सुरक्षा पर होना चाहिए, न कि संप्रदाय पर। Viral Madrasa Video में जो दिखता है, वह यदि सत्य है तो सज़ा जरूर होनी चाहिए, लेकिन इस बहाने किसी समुदाय को निशाना बनाना नैतिक रूप से गलत है।”
मीडिया रिपोर्टिंग में सावधानी
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, बच्चों की पहचान उजागर करने से मीडिया को बचना चाहिए। कई न्यूज़ चैनलों ने Viral Madrasa Video के दौरान बच्चों के चेहरों को ब्लर कर नियमों का पालन किया, जबकि कुछ पोर्टल्स को स्टेट‑लाइन देने के लिए नोटिस भी जारी किया गया है।
मदरसों में भोजन‑प्रबंधन: एक व्यापक परिप्रेक्ष्य
एचआरडी मंत्रालय की 2023 की एक रिपोर्ट बताती है कि देश में मान्यता‑प्राप्त 23,000 मदरसे हैं, जिनमें से 68% में भोजन के लिए बाहरी सहायता पर निर्भरता है। Viral Madrasa Video ने इस संरचना की कमियों को उजागर किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 41% मदरसों में किचन‑गार्डन या स्व‑निर्भर रसोई नहीं है, जिससे भोजन की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि Viral Madrasa Video एक अपवाद हो सकता है, पर इससे व्यवस्थागत सुधार की आवश्यकता रेखांकित होती है।
सुधार के लिए सुझाए गए कदम
- स्वच्छता ऑडिट: हर मदरसा में त्रैमासिक स्वच्छता ऑडिट अनिवार्य किया जाए ताकि Viral Madrasa Video जैसी घटनाएं रोकी जा सकें।
- कम्युनिटी निगरानी: स्थानीय समाजसेवियों को भोजन वितरण प्रक्रिया की निगरानी का अधिकार दिया जाए।
- डिजिटल ट्रैकिंग: भोजन की गुणवत्ता और वितरण पर रीयल‑टाइम मॉनिटरिंग को बढ़ावा दिया जाए—यानी अगर फिर कभी Viral Madrasa Video जैसी स्थिति बने तो त्वरित कार्रवाई हो सके।
- बाल संरक्षण प्रशिक्षण: शिक्षकों और रसोई‑कर्मियों को बाल अधिकारों एवं संवेदनशीलता पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाए।
बच्चों का सम्मान सर्वोपरि
Viral Madrasa Video ने हमें यह याद दिलाया है कि किसी भी शिक्षण संस्थान—धर्मनिरपेक्ष हो या धार्मिक—में बच्चों का आत्मसम्मान और सुरक्षा सर्वोपरि है। वीडियो की प्रामाणिकता चाहे जो भी हो, इसका संदेश स्पष्ट है: भोजन सिर्फ पोषण नहीं, सम्मान भी है। यदि हम बच्चों को सम्मानजनक वातावरण नहीं दे पाए तो शिक्षा का उद्देश्य अधूरा रहेगा। अतः यह समय है कि Viral Madrasa Video को बहस का नहीं, सुधार का माध्यम बनाया जाए।