दोपहर की चीखें सुनकर भी सब चुप रहे! मौर्य समाज की दो बेटियों पर सरेआम हमला, आरोपी खुलेआम घूम रहे – क्या ‘शून्य सहिष्णुता’ सिर्फ भाषणों में है?

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हाइलाइट्स

  • Zero Tolerance नीति पर सवाल: बेटियों से मारपीट, अब तक गिरफ्तारी नहीं
  • मौर्य समाज की दो बेटियों को दिनदहाड़े गुंडों ने पीटा, गंभीर चोटें आईं
  • पीड़ित परिवार डरा-सहमा, पुलिस रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई शून्य
  • इलाके में तनाव, ग्रामीणों ने किया विरोध प्रदर्शन, प्रशासन मौन
  • सोशल मीडिया पर उठा जन आक्रोश, लोग बोले: अब चुप्पी नहीं, चाहिए इंसाफ

 घटना की पूरी तस्वीर: दातागंज की सड़क पर बेटियों की चीखें और समाज का मौन

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के दातागंज कस्बे में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। मौर्य समाज की दो नाबालिग बेटियों को दिनदहाड़े कुछ असामाजिक तत्वों ने बुरी तरह पीटा। यह वारदात सिर्फ एक परिवार पर हमला नहीं, बल्कि समाज की बेटियों की सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।

बताया जा रहा है कि दोनों बहनें बाजार से लौट रही थीं, तभी रास्ते में बाइक सवार तीन युवकों ने उन्हें रोका, गाली-गलौज की और विरोध करने पर मारपीट शुरू कर दी। इस दौरान राहगीरों ने भी चुप्पी साधे रखी।

 पीड़ित परिवार की आपबीती: “अब घर से निकलने में डर लगता है”

पीड़ित लड़कियों की मां ने रोते हुए बताया, “बेटियाँ पढ़ने जाती थीं, लेकिन अब सदमे में हैं। छोटी बेटी बार-बार कांप उठती है। पुलिस में रिपोर्ट कर दी गई, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।”

बेटियों ने बताया कि आरोपी अक्सर रास्ते में छेड़खानी करते थे। कई बार समझाया गया, लेकिन दबंगई बढ़ती गई। Zero Tolerance नीति की बात करने वाली योगी सरकार के प्रदेश में यह लापरवाही कितनी जायज़ है?

 पुलिस की चुप्पी और प्रशासन की निष्क्रियता

@budaunpolice और @Uppolice को टैग कर स्थानीय लोगों ने सोशल मीडिया पर इंसाफ की गुहार लगाई है। DGP उत्तर प्रदेश को भी ट्वीट कर मामले में हस्तक्षेप की मांग की गई है।

दातागंज थाना प्रभारी का कहना है कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है, लेकिन अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। इससे Zero Tolerance नीति की गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं।

Zero Tolerance: नारा बनकर रह गया है?

उत्तर प्रदेश सरकार अक्सर महिला सुरक्षा को लेकर Zero Tolerance नीति की बात करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंचों से अपराधियों पर सख्ती की बात करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

इस मामले में:

  • पीड़ित परिवार डरा-सहमा है
  • आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं
  • कोई सख्त प्रशासनिक बयान नहीं आया है
  • मीडिया में कवरेज बेहद सीमित है

समाज में बढ़ रहा असुरक्षा का भाव

इस घटना के बाद मौर्य समाज में भारी नाराज़गी है। स्थानीय संगठन “मौर्य युवा संगठन” ने धरना प्रदर्शन की चेतावनी दी है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर 24 घंटे में गिरफ्तारी नहीं हुई तो सड़क जाम कर आंदोलन किया जाएगा।

क्या बेटियों की सुरक्षा के लिए सिर्फ नारे काफी हैं?

Zero Tolerance सिर्फ नीति में लिखा रह गया है या वास्तव में उस पर कोई अमल भी हो रहा है? यह घटना इस बहस को एक बार फिर से केंद्र में ले आई है।

राजनीति और वोट बैंक का भी असर?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि आरोपी एक प्रभावशाली वर्ग से आते हैं, इसलिए पुलिस उन्हें छूने से भी डर रही है। अगर यही हाल रहा तो आम नागरिक न्याय की उम्मीद कहाँ से करेगा?

प्रशासनिक जवाबदेही तय कब होगी?

Zero Tolerance नीति तभी सफल मानी जाएगी जब दोषियों पर समय पर, निष्पक्ष और सख्त कार्रवाई हो। अन्यथा यह नारा भी महज एक जुमला बनकर रह जाएगा।

 बेटियों की चुप्पी नहीं, अब प्रतिरोध चाहिए

आज जब समाज शिक्षित हो रहा है, बेटियाँ आगे बढ़ रही हैं, तब उनके साथ इस तरह की हिंसात्मक घटनाएँ सभ्य समाज पर धब्बा हैं। पीड़िता की बड़ी बहन कहती है, “हम पढ़ना चाहती थीं, पर अब स्कूल जाने से डर लगता है। जब कोई सुनता नहीं तो जीने का क्या मतलब?”

Zero Tolerance की परीक्षा

बदायूं की यह घटना Zero Tolerance नीति की असल परीक्षा है। जब बेटियाँ सरेआम पिटती हैं, और पुलिस कार्रवाई तक नहीं करती, तो जनता का भरोसा कैसे बनेगा?

सरकार को चाहिए कि वह इस घटना को गंभीरता से ले, दोषियों को सजा दिलवाए और पीड़ित परिवार को सुरक्षा दे। Zero Tolerance सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, वह जमीन पर दिखना चाहिए।

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