हाइलाइट्स
- Kanwar Yatra 2025 को लेकर दो मुस्लिम युवकों ने पेश की धर्म और आस्था की अनोखी मिसाल
- 151 किलो गंगाजल उठाकर भगवान शिव की भक्ति में लीन हुए साजिद और सनी
- “हम पहले सनातनी हैं, मुस्लिम बाद में” – बोले श्रद्धालु, श्रद्धा ने तोड़ी मजहब की दीवारें
- गंगा घाट से बटेश्वर तक की पैदल यात्रा, बिना थके कर रहे शिव के लिए समर्पण
- माता-पिता के सपनों को साकार करने निकले बेटे, भावुक कर देने वाली यात्रा की शुरुआत
धर्म की दीवारों को तोड़ती Kanwar Yatra 2025 की प्रेरक कहानी
उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले के दो मुस्लिम युवकों – साजिद खान और सनी खान – ने जो किया, वह न सिर्फ़ आस्था का प्रतीक है, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी देता है। इन्होंने 151 किलो गंगाजल से भरी कांवड़ उठाकर भगवान शिव के लिए पदयात्रा शुरू की है, जो इस वर्ष की सबसे चर्चित Kanwar Yatra 2025 घटनाओं में से एक बन चुकी है।
इनकी यात्रा का उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से भी गहराई लिए हुए है। उन्होंने यह कदम न केवल अपनी व्यक्तिगत श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए उठाया, बल्कि अपने माता-पिता की वर्षों पुरानी इच्छा को भी पूरा करने के लिए किया है।
कहां से शुरू हुई यह ऐतिहासिक Kanwar Yatra 2025?
लहरा घाट से उठाई कांवड़, बटेश्वर धाम है अंतिम पड़ाव
साजिद और सनी, आगरा के बाह क्षेत्र के गांव कृषा के निवासी हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के एतिहासिक लहरा घाट से गंगाजल भरकर कांवड़ यात्रा की शुरुआत की है। इनका लक्ष्य है – बटेश्वर धाम, जहाँ वे 14 जुलाई 2025 को भगवान शिव का विधिवत जलाभिषेक करेंगे।
इस पूरी Kanwar Yatra 2025 में उनके साथ करीब 10 लोगों का जत्था है, जिसमें उनके रिश्तेदार और मित्र भी शामिल हैं। सबने मिलकर गंगा घाट पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा की, और पुरोहितों ने उन्हें आशीर्वाद देकर यात्रा के लिए विदा किया।
“हम पहले सनातनी हैं, मुस्लिम बाद में” – श्रद्धा का ऐसा रूप विरल है
धर्म नहीं, भावना से जुड़ी होती है Kanwar Yatra 2025
जब उनसे पूछा गया कि एक मुस्लिम होते हुए भी Kanwar Yatra 2025 पर क्यों निकले हैं, तो साजिद ने बड़ी विनम्रता और स्पष्टता से कहा –
“हम पहले सनातनी हैं, मुस्लिम बाद में। भगवान शिव की भक्ति में कोई धर्म आड़े नहीं आता। ये यात्रा केवल आस्था की है।”
सनी ने आगे कहा –
“आस्था न तो मजहब देखती है और न जात। यह तो दिल की आवाज़ होती है। भगवान शिव को मानना, उनके लिए कुछ करना, हमारे लिए गर्व की बात है।”
उनकी यह सोच न सिर्फ़ अपने गांव में बल्कि पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन चुकी है। गांव के लोगों ने भी उनकी इस पहल को सराहा है और उन्हें शुभकामनाएं दी हैं।
थकान नहीं, भक्ति है साथ – अद्भुत ऊर्जा के साथ जारी है यात्रा
भारी कांवड़, लंबी दूरी लेकिन नहीं है कोई शिकायत
151 किलो गंगाजल वाली कांवड़ उठाना कोई आसान काम नहीं होता। लेकिन साजिद और सनी मानते हैं कि जो शक्ति भगवान शिव देते हैं, वही उन्हें इस यात्रा में आगे बढ़ने की ऊर्जा दे रही है।
“जब दिल में श्रद्धा हो तो शरीर खुद मज़बूत बन जाता है। हमें कोई थकान महसूस नहीं होती,” – ऐसा कहना है साजिद का।
वे हर कुछ किलोमीटर पर रुकते ज़रूर हैं, लेकिन गंगाजल से भरी कांवड़ को ज़मीन पर नहीं रखते। उनका मानना है कि
“यह मां गंगा और भगवान शिव का प्रसाद है, इसे धरती पर रखना उचित माता-पिता के सपनों को किया साकार
“जब हमने इच्छा जताई, तो माता-पिता की आंखों में चमक आ गई”
साजिद और सनी ने बताया कि यह Kanwar Yatra 2025 सिर्फ़ उनका निजी संकल्प नहीं, बल्कि उनके माता-पिता की इच्छा भी थी। वर्षों से उनके माता-पिता चाहते थे कि उनके बेटे एक बार कांवड़ यात्रा करें।
जब इस बार उन्होंने यह इच्छा जाहिर की, तो घरवालों की आंखें नम हो गईं, लेकिन वह आंसू खुशी के थे। परिवार ने न सिर्फ़ उनका समर्थन किया, बल्कि यात्रा की पूरी तैयारी में भी साथ दिया।
भक्ति में एकता: यह है Kanwar Yatra 2025 का असली संदेश
धर्मों से ऊपर उठकर मिली श्रद्धा की पहचान
साजिद और सनी की यह Kanwar Yatra 2025 इस बात का जीवंत प्रमाण है कि भक्ति किसी एक धर्म या जाति की सीमाओं में नहीं बंधी होती। जब मन में सच्ची आस्था होती है, तब हर दीवार गिर जाती है।
आज देश जिस समय में धार्मिक ध्रुवीकरण से जूझ रहा है, ऐसे में यह पहल एक प्रकाश पुंज की तरह है जो बताती है कि
“जहां श्रद्धा है, वहां भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं।”
क्या कहती है यह कांवड़ यात्रा समाज को?
“Faith is the bridge” – यही है Kanwar Yatra 2025 का सार
यह कहानी सिर्फ़ दो युवकों की नहीं है, यह उस भारत की है जो अनेकता में एकता का प्रतीक है। जहां एक मुस्लिम युवक भगवान शिव के लिए कांवड़ उठाता है और कहता है –
“यह मेरा सौभाग्य है कि मैं शिव की सेवा कर रहा हूं”
— वहीं भारत को यह सीखने की ज़रूरत है कि अगर श्रद्धा सच्ची हो तो किसी Focus Keyword की भी आवश्यकता नहीं होती, परंतु Kanwar Yatra 2025 आज के दौर में एक ऐसा keyword बन गया है जो आस्था, ऊर्जा और एकता का पर्याय है।