क्या पुणे सच में बन गया है कत्लखाना मुक्त शहर? या अब भी छिपे हैं गैरकानूनी कत्लखानों के राज़?

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हाइलाइट्स 

  • पुणे में Illegal Slaughterhouse बंद होने से हिंदू संगठनों में खुशी की लहर
  • मिलिंद एकबोटे बोले – “शहर का पुराना सपना पूरा हुआ”
  • प्रशासन की उदासीनता पर गौरक्षकों का फूटा गुस्सा
  • अब भी 25 से 30 Illegal Slaughterhouse चलने का दावा
  • पुणे को पूरी तरह Illegal Slaughterhouse मुक्त बनाने की अपील

पुणे में Illegal Slaughterhouse पर पड़ी ताला, हिंदुत्व संगठनों ने जताई राहत

पुणे के कोंढवा क्षेत्र में चल रहा था विवादित कत्लखाना, सालों से हो रही थी बंद कराने की मांग

महाराष्ट्र के पुणे शहर में एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई के तहत कोंढवा इलाके में स्थित एक विवादित Illegal Slaughterhouse को आखिरकार बंद कर दिया गया है। इस खबर से शहर के हिंदुत्ववादी संगठनों और गौ रक्षा से जुड़े कार्यकर्ताओं में गहरी खुशी देखने को मिल रही है।

गुरुवार को हिंदू जनजागृति समिति और श्री शिवप्रतिष्ठान हिंदुस्थान के प्रमुख कार्यकर्ता मिलिंद एकबोटे ने इस पर खुलकर बयान दिया और इस निर्णय को “पुणे की वर्षों पुरानी भावना” की पूर्ति बताया।

एकबोटे बोले – “पुणे अब कत्लखाना मुक्त होने की राह पर”

संविधान के उल्लंघन का लगाया आरोप, प्रशासन को घेरा

मिलिंद एकबोटे ने कहा, “यह केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि पुणेवासियों की आस्था की जीत है। वर्षों से लोग चाहते थे कि शहर Illegal Slaughterhouse मुक्त हो, और अब जाकर यह सपना साकार हुआ है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि इस कत्लखाने में लंबे समय से गैरकानूनी गतिविधियां हो रही थीं, जो संविधान की मूल भावना और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ हैं। उनका दावा है कि अनेक बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी।

25 से 30 और Illegal Slaughterhouse की मौजूदगी का दावा

महानगरपालिका और पुलिस पर गंभीर आरोप

एकबोटे ने यह भी दावा किया कि पुणे शहर में अब भी 25 से 30 Illegal Slaughterhouse सक्रिय हैं। उन्होंने पुणे महानगरपालिका (PMC) और स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए।

उनका कहना है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से ये कत्लखाने फल-फूल रहे हैं। इन जगहों पर गोकशी और भैंसों की हत्या जैसे कार्य खुलेआम हो रहे हैं, जो न केवल अवैध हैं बल्कि धार्मिक रूप से भी आहत करने वाले हैं।

पुलिस अधिकारियों को चेतावनी – “विटामिन M नहीं, विटामिन N पर चलो”

गोरक्षकों पर झूठे केस लगाने वालों को बताया अपराधी

गौरक्षा से जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे कार्यकर्ताओं पर पुलिस की कार्रवाई को लेकर एकबोटे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि, “जितना दोष कसाई का है, उतना ही दोषी वह पुलिसकर्मी भी है जो गोरक्षक पर झूठा केस दर्ज करता है।”

अपने बयान में उन्होंने पुलिस अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे ‘विटामिन M’ यानी पैसे के प्रभाव में आकर काम न करें, बल्कि ‘विटामिन N’ यानी राष्ट्रवाद के आधार पर अपने कर्तव्यों का पालन करें।

लोगों की प्रतिक्रिया – पुणे में छाई संतोष की लहर

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की कार्रवाई का स्वागत किया

कोंढवा में Illegal Slaughterhouse बंद होने के बाद स्थानीय निवासियों में संतोष का माहौल है। कई नागरिकों का कहना है कि आसपास के इलाकों में गंदगी, दुर्गंध और पशु अवशेषों की वजह से बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा था।

अब जब प्रशासन ने इस कत्लखाने को बंद किया है, तो लोगों को स्वच्छता और सुरक्षित पर्यावरण की उम्मीद है।

क्या यह सिर्फ शुरुआत है?

पुणे को पूरी तरह Illegal Slaughterhouse मुक्त बनाने की योजना

एकबोटे का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआत है। वे चाहते हैं कि पुणे का हर कोना Illegal Slaughterhouse से मुक्त हो और किसी भी प्रकार की अवैध गोकशी पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।

उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया कि ऐसे क्षेत्रों की जिम्मेदारी क्षेत्रीय पुलिस पर डाली जाए, और यदि उनके क्षेत्र में कत्लखाना पाया जाए तो अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई हो।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं – सियासी गलियारों में हलचल

कुछ नेताओं ने समर्थन, तो कुछ ने उठाए सवाल

इस मुद्दे ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। बीजेपी और हिंदू संगठनों से जुड़े नेता इस कार्रवाई को “जनभावना का सम्मान” बता रहे हैं, वहीं विपक्षी नेताओं ने इसे “धार्मिक ध्रुवीकरण” का प्रयास कहा है।

NCP और कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रशासन को सभी कानूनों का पालन करते हुए कार्य करना चाहिए और धार्मिक भावना को भड़काने से बचना चाहिए।

प्रशासन का पक्ष – “कार्रवाई नियमों के अनुसार हुई”

नगर निगम और पशुपालन विभाग ने दिए जवाब

पुणे महानगरपालिका की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि Illegal Slaughterhouse के खिलाफ यह कार्रवाई नियमों और पशु क्रूरता निषेध अधिनियम के तहत की गई है। अधिकारियों ने पुष्टि की कि उक्त कत्लखाना कई बार निरीक्षण में दोषी पाया गया था।

पुणे में बदलते परिदृश्य की शुरुआत?

प्रशासन की कार्रवाई से लोगों में भरोसा जगा

कोंढवा क्षेत्र में Illegal Slaughterhouse के बंद होने से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि यदि जनता और सामाजिक संगठन सतत प्रयास करें, तो व्यवस्था को जवाबदेह बनाया जा सकता है।

अब देखना यह है कि प्रशासन अन्य गैरकानूनी कत्लखानों पर कब और कैसे कार्रवाई करता है। एकबोटे और उनके जैसे कार्यकर्ताओं की नजर अब पूरे शहर को Illegal Slaughterhouse मुक्त बनाने पर टिकी है।

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