जब मां-बेटी बनीं कातिल: मुस्लिम आशिक और दलित प्रेमी के लिए पिता का कत्ल, मेरठ में सामने आई सनसनीखेज साजिश

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हाइलाइट्स

  • Interfaith Love Murder केस में मां-बेटी ने मिलकर पति की हत्या कर दी, जुड़ा था मुस्लिम युवक और दलित प्रेमी से अफेयर
  • मेरठ के जानी थाना क्षेत्र में किसान की हत्या, आरोपी पत्नी, बेटी और दोनों के प्रेमी गिरफ्तार
  • बेटी सोनम के दलित युवक से रिश्ते का पिता कर रहा था विरोध
  • मां कविता का भी मुस्लिम युवक गुलजार से चल रहा था प्रेम संबंध
  • कुल पांच आरोपी गिरफ्तार, हत्या की वजह बना जातीय और धार्मिक मतभेद

 जब प्रेम ने ले ली जान: मेरठ में Interfaith Love Murder का सनसनीखेज मामला

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जिसने समाज में रिश्तों की जटिलता और बदलते मूल्यों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। Interfaith Love Murder की इस वारदात में एक बेटी और उसकी मां ने अपने प्रेम संबंधों के चलते पति की हत्या करवा दी। चौंकाने वाली बात यह है कि मां का अफेयर एक मुस्लिम युवक से था जबकि बेटी का प्रेमी एक दलित युवक था।

पिता इन दोनों रिश्तों के सख्त खिलाफ था, और यही उसकी मौत की वजह बनी।

 कहां का है मामला?

यह पूरा मामला जानी थाना क्षेत्र के एक गांव का है, जहां किसान सुभाष उपाध्याय की बेरहमी से हत्या कर दी गई। जांच में जो खुलासा हुआ, उसने पुलिस से लेकर पूरे गांव को झकझोर दिया। Interfaith Love Murder केस में बेटी सोनम, उसकी मां कविता, मां का प्रेमी गुलजार, बेटी का प्रेमी विपिन और उसका दोस्त असगर—all पांचों आरोपी अब सलाखों के पीछे हैं।

 दो प्रेम कहानियों का दुखद अंत

बेटी सोनम और दलित युवक विपिन की मोहब्बत

सोनम, BA फाइनल ईयर की छात्रा थी और मेरठ के कनौहर लाल PG कॉलेज में पढ़ती थी। उसकी दोस्ती विपिन, जो कि एक दलित युवक है और कंकरखेड़ा में दूध की दुकान पर काम करता था, से दो साल पहले हुई। सोशल मीडिया पर हुई शुरुआत कब मोहब्बत में बदल गई, किसी को भनक तक नहीं लगी।

हालांकि, Interfaith Love Murder की वजहों में यह प्रेम कहानी मुख्य भूमिका में रही क्योंकि सोनम के पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे।

मां कविता और मुस्लिम युवक गुलजार का संबंध

इसी बीच सोनम की मां कविता का अफेयर एक मुस्लिम युवक गुलजार से चल रहा था। कविता अपने प्रेमी के साथ नया जीवन शुरू करना चाहती थी, लेकिन उसका पति सुभाष रोड़ा बन गया था। यही वजह थी कि मां-बेटी ने अपने-अपने प्रेमियों के साथ मिलकर हत्या की साजिश रच डाली।

 कैसे रची गई हत्या की साजिश?

पिता के विरोध से तंग आ चुकी थी बेटी

मार्च 2025 में सोनम की बड़ी बहन डॉली ने भी एक दलित युवक से भागकर शादी कर ली थी। पिता सुभाष तब भी राजी नहीं थे। जब सोनम का अफेयर सामने आया तो उन्होंने बेटी को जमकर डांटा और चेतावनी दी कि वह उसकी शादी अपनी बिरादरी में ही करेगा।

सोनम को लगा कि पिता के रहते वह कभी विपिन से शादी नहीं कर पाएगी।

मां-बेटी ने मिलकर रचा Interfaith Love Murder

अप्रैल 2025 में जब सारी उम्मीदें टूट गईं, तब सोनम ने अपनी मां कविता से साझा किया कि वह विपिन के साथ ही जीना चाहती है। कविता ने भी अपनी मजबूरी जताई कि वह गुलजार से शादी करना चाहती है। फिर दोनों ने मिलकर Interfaith Love Murder की खौफनाक प्लानिंग शुरू की।

हत्याकांड की योजना

  • सोनम ने अपने प्रेमी विपिन को शामिल किया
  • कविता ने अपने प्रेमी गुलजार से संपर्क किया
  • फिर योजना में विपिन का दोस्त असगर भी शामिल हो गया
  • 28 अप्रैल को मौका देखकर पांचों ने सुभाष की हत्या कर दी

हत्या के बाद शव को खेत में फेंक दिया गया और लापता होने का नाटक किया गया। लेकिन कुछ ही दिनों में पुलिस ने कॉल डिटेल्स और सीसीटीवी की मदद से पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।

 पुलिस की जांच और गिरफ्तारी

पुलिस ने जब Interfaith Love Murder मामले की परतें खोलीं, तो यह साबित हुआ कि यह हत्या पूरी तरह से पूर्व नियोजित थी। सभी आरोपी—कविता, सोनम, विपिन, गुलजार और असगर—को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।

SP (ग्रामीण) ने बताया कि,

“यह मामला सामाजिक जटिलताओं और जातीय-धार्मिक भेदभाव की उपज है। बेटी और मां ने अपने-अपने प्रेम संबंधों को बचाने के लिए यह घिनौनी साजिश रची।”

सामाजिक संदेश और सवाल

इस Interfaith Love Murder केस ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं—

  • क्या आज का युवा समाज की रूढ़ियों से इतना तंग आ चुका है कि वह अपने ही परिवार का खून करने को तैयार है?
  • क्या प्रेम के नाम पर हत्या जायज़ ठहराई जा सकती है?
  • क्या जातीय और धार्मिक दीवारें अब भी समाज को बांध रही हैं?

मेरठ की यह Interfaith Love Murder कहानी सिर्फ एक हत्या की दास्तां नहीं है, यह सामाजिक ताने-बाने, रिश्तों की उलझन और आधुनिकता की अंधी दौड़ में मूल्यों के पतन की करुण कथा है।

जहां एक ओर मां-बेटी ने प्रेम को लेकर हिंसा का रास्ता चुना, वहीं दूसरी ओर यह सवाल छोड़ गई कि क्या हम आज भी अपने समाज में जाति और धर्म के नाम पर रिश्तों को कुर्बान करने को तैयार हैं?

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