हाइलाइट्स
- Sanatan Dharma की समावेशी सोच ने मुस्लिम लड़कियों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी
- मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर अब भी कई जगहों पर रोक
- वाराणसी के एक मंदिर में मुस्लिम लड़कियों का स्वागत कर चर्चा में आया मामला
- देशभर में Sanatan Dharma की सहिष्णुता और उदारता पर हो रही बहस
- सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो, युवतियों ने मंदिर में बजाया घंटा
मस्जिद से निकलीं मुस्लिम लड़कियां, मंदिर में मिला खुला द्वार
वाराणसी में हाल ही में एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने पूरे देश में Sanatan Dharma की सहिष्णुता और सुंदरता को उजागर कर दिया। कुछ मुस्लिम लड़कियां जब पास की मस्जिद में नमाज पढ़ने गईं तो उन्हें वहां से वापस भेज दिया गया। लेकिन यही लड़कियां जब एक पास के Sanatan Dharma मंदिर में पहुंचीं, तो न केवल उन्हें प्रवेश की अनुमति मिली, बल्कि उनका स्वागत भी हुआ।
यह घटना ना केवल धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि Sanatan Dharma कितनी व्यापक सोच रखने वाला धर्म है जो किसी को भी उसकी जाति, धर्म या लिंग के आधार पर नहीं परखता।
मुस्लिम महिलाओं पर पाबंदियां, लेकिन Sanatan Dharma में खुली छूट
इस्लामी परंपराओं में महिलाओं के लिए मस्जिद में प्रवेश अब भी विवाद का विषय
भारत में कई मस्जिदें ऐसी हैं जहां महिलाओं के प्रवेश की इजाजत नहीं है। हालांकि कुछ प्रगतिशील इस्लामी संस्थान इसे बदलने की कोशिश कर रहे हैं, फिर भी बड़े पैमाने पर महिलाएं अब भी मस्जिदों में प्रवेश से वंचित हैं। खासकर ग्रामीण और पारंपरिक क्षेत्रों में यह प्रतिबंध और भी सख्त है।
Sanatan Dharma में हर किसी का स्वागत
वहीं दूसरी ओर Sanatan Dharma यह कहता है — “अहं ब्रह्मास्मि” — यानी हर जीव में ईश्वर का वास है। मंदिर किसी एक जाति, समुदाय या लिंग के लिए नहीं होते। मंदिर की सोच यह है कि जो भी ईश्वर से जुड़ना चाहता है, उसके लिए द्वार खुले हैं।
यही कारण है कि जब मुस्लिम लड़कियां मंदिर पहुंचीं, तो वहां न तो किसी ने उनसे धर्म पूछा, न हिजाब देखा और न पहचान पत्र। पुजारी ने उन्हें आमंत्रित किया और उन्होंने मंदिर में पूजा भी की।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो, देशभर में हुई बहस
मंदिर की तस्वीरों और वीडियो ने छेड़ी सामाजिक चर्चा
इस पूरी घटना का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें 4 मुस्लिम लड़कियां मंदिर में घंटा बजाते और दीपक जलाते हुए दिख रही हैं। वीडियो में मंदिर के पुजारी उन्हें आशीर्वाद देते दिखाई देते हैं।
इस वीडियो के साथ कैप्शन था – “Sanatan Dharma welcomes everyone.”
एक तरफ आलोचना, दूसरी तरफ प्रशंसा
इस घटना पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं – कुछ लोगों ने इसे ‘धार्मिक अपवित्रता’ कहा, तो वहीं अधिकतर लोगों ने इसे Sanatan Dharma की “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना बताया।
सनातन की यह उदारता आज के समय में क्यों महत्वपूर्ण है?
जब धर्म बन रहा है राजनीति का उपकरण
आज के समय में जब धर्म का उपयोग ध्रुवीकरण और वोट बैंक के लिए हो रहा है, Sanatan Dharma का यह व्यवहार बेहद महत्वपूर्ण बन जाता है। यह न केवल धार्मिक स्वतंत्रता की मिसाल है, बल्कि सामाजिक समरसता की भी।
Sanatan Dharma का मूल संदेश — सभी एक हैं
Sanatan Dharma केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है। यह कहता है कि सभी प्राणी परमात्मा के अंश हैं। यही वजह है कि यहां मंदिर में किसी के नाम, धर्म या वेशभूषा से प्रवेश तय नहीं होता।
क्या यह उदाहरण बाकी धर्मों के लिए एक प्रेरणा बन सकता है?
कई लोगों का मानना है कि यह घटना मुस्लिम समुदाय के लिए आत्ममंथन का अवसर है। अगर मंदिर में कोई मुस्लिम लड़की प्रवेश कर सकती है, तो मस्जिद में महिला क्यों नहीं?
वहीं कई विद्वानों का कहना है कि Sanatan Dharma का यह उदाहरण न केवल सहिष्णुता की मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे धर्म को मानवता से जोड़ा जाना चाहिए न कि उससे अलग किया जाना चाहिए।
मुस्लिम युवतियों की प्रतिक्रिया: “हमने पहली बार अनुभव किया अपनापन”
दिल को छू गई मंदिर की शांति
एक लड़की ने कहा, “जब हमें मस्जिद से बाहर कर दिया गया, तो लगा जैसे हम कहीं के नहीं रहे। लेकिन जब मंदिर पहुंचे, वहां की शांति और अपनापन दिल को छू गया।”
“Sanatan Dharma ने हमें अपनाया”
दूसरी युवती ने कहा, “किसी ने हमसे नहीं पूछा कि हम कौन हैं, बस हमें प्रेम से देखा और अपनाया। यही तो Sanatan Dharma की सुंदरता है।”
Sanatan Dharma सिर्फ धर्म नहीं, जीवन मूल्य है
इस पूरी घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि Sanatan Dharma सिर्फ एक धार्मिक व्यवस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। जहां दूसरों को सम्मान, समानता और अपनत्व दिया जाता है।
आज जब समाज में दीवारें खड़ी की जा रही हैं, तब Sanatan Dharma की यह दीवारों को तोड़ने वाली सोच बेहद जरूरी हो जाती है।