हाइलाइट्स
- नवीन रोहेजा और नीतू रोहेजा को ‘Religious Conversion’ में फंसा कर अरबों की संपत्ति हड़पी गई
- हाजी अली दरगाह के बाहर टोना-टोटका करने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा बना साजिशकर्ता
- सिंधी दंपत्ति को दुबई ले जाकर इस्लाम कबूल कराया गया, नाम बदलकर बनाए गए जियाउद्दीन और नसरीन
- 160 करोड़ की संपत्ति बिकवा कर रखेल बनाकर बलरामपुर लाया गया
- धार्मिक आस्था का फायदा उठाकर की गई संगठित लूट, मामला यूपी एसटीएफ के संज्ञान में
धर्म के नाम पर ब्रेनवॉश और ‘Religious Conversion’ की खौफनाक दास्तान
उत्तर प्रदेश के सिंधी मूल के कारोबारी नवीन रोहेजा और उनकी पत्नी नीतू रोहेजा की जिंदगी एक भयानक मोड़ पर उस वक्त पहुंच गई, जब एक तथाकथित तांत्रिक ने उन्हें टोना-टोटका और भूत-प्रेत के नाम पर भयभीत कर ‘Religious Conversion’ की गहरी साजिश में फंसा लिया। यह मामला न सिर्फ मानवाधिकार हनन का है, बल्कि करोड़ों की संपत्ति की संगठित लूट और धार्मिक विश्वास के साथ खिलवाड़ का भी है।
कैसे हुई शुरुआत?
हाजी अली दरगाह के बाहर की मुलाकात से शुरू हुआ बर्बादी का सिलसिला
मुंबई के मशहूर हाजी अली दरगाह के सामने चटाई बिछाकर नग-रत्न और तंत्र-मंत्र का धंधा करने वाला जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, रोज़ाना आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को टोने-टोटकों के झांसे में फंसाया करता था। यहीं पर उसकी मुलाकात हुई अरबपति दंपत्ति नवीन रोहेजा और नीतू रोहेजा से। धर्म में आस्था रखने वाला यह सिंधी दंपत्ति इस बाबा के झांसे में ऐसा फंसा कि अपनी सोच, संपत्ति और धर्म—तीनों खो बैठा।
दुबई की यात्रा बनी ‘Religious Conversion’ का केंद्र
अभी-अभी यूपी एसटीएफ में बड़े खतरनाक खुलासे किए हैं
उत्तर प्रदेश मूल का सिंधी परिवार नवीन रोहेजा और उसकी पत्नी नीतू रोहेजा जिसका बिजनेस उत्तर प्रदेश और मुंबई में फैला था
नवीन रोहिजा और उसकी पत्नी नीतू अक्सर हाजी अली दरगाह पर जाते थे
उस वक्त जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा… pic.twitter.com/MyAIDdwsKL
— 🇮🇳Jitendra pratap singh🇮🇳 (@jpsin1) July 9, 2025
धर्म परिवर्तन के बाद नाम बदला, पहचान छीन ली गई
छांगुर बाबा ने पहले भय का माहौल बनाकर इस दंपत्ति को यह यकीन दिलाया कि उनके पीछे बुरी आत्माएं लगी हैं। फिर उन्हें बचाने के नाम पर दुबई ले गया, जहां उन्होंने इस्लाम कबूल किया। नवीन रोहेजा अब जियाउद्दीन और नीतू अब नसरीन बन चुकी थीं। यह पूरी प्रक्रिया एक योजनाबद्ध ‘Religious Conversion’ का हिस्सा थी, जहां मानसिक रूप से तोड़कर पीड़ितों को धर्म बदलने पर मजबूर किया गया।
करोड़ों की संपत्ति कैसे बिकवाई गई?
‘Religious Conversion’ के बाद छांगुर बना मालिक, पीड़ित बना नौकर
धर्म परिवर्तन के बाद छांगुर बाबा ने मुंबई स्थित नवीन-नीतू की 160 करोड़ रुपये की संपत्ति बिकवा दी। पैसों का एक हिस्सा भी उन्हें नहीं मिला। यह सब ‘Religious Conversion’ के नाम पर हुआ मानसिक शोषण का ही परिणाम था।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि नीतू उर्फ नसरीन को छांगुर बाबा ने अपनी रखेल बना लिया और बलरामपुर ले आया। वहीं नवीन उर्फ जियाउद्दीन को अपना घरेलू नौकर बना दिया।
बलरामपुर में सत्ता तक पहुंच
नसरीन बनी गांव की प्रधान, जियाउद्दीन बना सेवक
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में छांगुर बाबा की पूरी पकड़ बनाई गई। नसरीन को दो बार गांव का प्रधान बनाया गया, जबकि जियाउद्दीन को सार्वजनिक रूप से केवल सेवक के तौर पर प्रस्तुत किया गया। यह सब उस शख्स के साथ हुआ जो कभी मुंबई का बड़ा कारोबारी था।
छांगुर बाबा की अय्याशी
बलरामपुर में बंगला और लखनऊ में फाइव स्टार लाइफस्टाइल
छांगुर बाबा खुद बलरामपुर में आलीशान बंगले का मालिक बन गया और नसरीन के साथ अक्सर लखनऊ के फाइव स्टार होटलों में मौज-मस्ती करता रहा। जियाउद्दीन यानी नवीन वहीं बंगले की देखरेख में जुटा रहा। ‘Religious Conversion’ की इस साजिश ने किसी की पूरी जिंदगी की मेहनत और पहचान को मिटा दिया।
एसटीएफ जांच में बड़ा खुलासा
‘Religious Conversion’ मामले में नेटवर्क की तलाश
उत्तर प्रदेश एसटीएफ इस मामले की तह में जाकर जांच कर रही है कि क्या छांगुर बाबा अकेला था या उसके पीछे एक संगठित नेटवर्क है जो हिंदू परिवारों को डराकर धर्म परिवर्तन कराता है। जांच अधिकारी मानते हैं कि यह मामला एक ‘Religious Conversion Racket’ से जुड़ा हो सकता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन तक हो सकते हैं।
क्या कहता है समाज?
धार्मिक स्थलों की आड़ में बढ़ रही ‘Religious Conversion’ की घटनाएं
यह मामला उन सभी श्रद्धालुओं के लिए चेतावनी है जो आस्था के नाम पर हर किसी पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेते हैं। जब धार्मिक स्थानों पर विश्वास का फायदा उठाकर लोगों को उनकी पहचान, संपत्ति और आत्मसम्मान से वंचित किया जाए, तो यह सिर्फ एक अपराध नहीं बल्कि सामाजिक त्रासदी बन जाता है।
कानून और सजगता की ज़रूरत
‘Religious Conversion’ के खिलाफ सख्त कदम जरूरी
सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसे मामलों के खिलाफ एकजुट होना होगा। साथ ही आम लोगों को भी जागरूक रहना होगा कि धर्म और विश्वास के नाम पर कोई भी उन्हें भावनात्मक या मानसिक रूप से ब्लैकमेल न कर सके। ‘Religious Conversion’ को सिर्फ धार्मिक मुद्दा न मानकर सामाजिक सुरक्षा और मानसिक शोषण का पहलू भी समझना ज़रूरी है।
नवीन और नीतू की कहानी एक खौफनाक चेतावनी है—यह दर्शाने के लिए कि किस तरह ‘Religious Conversion’ की आड़ में न सिर्फ धर्म बदला जाता है, बल्कि पूरी ज़िंदगी छीन ली जाती है। सवाल यह भी है कि कब तक धार्मिक आस्था का फायदा उठाकर निर्दोषों को ऐसे जाल में फंसाया जाएगा?