मोहर्रम में लगी आग या साज़िश? ‘हिंदू राष्ट्र’ बैनर जलने से मचा बवाल, अब NSA और बुलडोज़र की तैयारी!

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हाइलाइट्स

  • Hindu Rashtra के बैनर को आग लगने पर चार मुस्लिम युवकों के खिलाफ एफआईआर

  • मोहर्रम जुलूस के दौरान पेट्रोल से निकाली गई आग से हुआ बैनर क्षतिग्रस्त

  • बजरंग दल और विहिप ने बाजार बंद करवाकर थाने का घेराव किया

  • पुलिस ने दबाव में आरोपियों को हिरासत में लिया, आरोप लगे थर्ड-डिग्री टॉर्चर के

  • अब प्रशासन NSA लगाने और घर गिराने की योजना में सक्रिय

 घटना का पूरा विवरण: सैलाना में भड़का नया सांप्रदायिक विवाद

मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के सैलाना कस्बे में एक बार फिर Hindu Rashtra से जुड़ा विवाद भड़क गया है। 6 जुलाई 2025 की रात को मोहर्रम के जुलूस के दौरान एक खतरनाक करतब ने बड़े सांप्रदायिक तनाव को जन्म दे दिया। मस्जिद चौक पर लगे एक बैनर—जिस पर “हिंदू राष्ट्र” लिखा हुआ था—को आग लग गई, जिससे इलाके में हिंदू संगठनों में भारी नाराज़गी फैल गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जुलूस के दौरान एक युवक ने अपने मुंह से पेट्रोल उड़ाकर आग की लपटें निकालीं। यह करतब जुलूस का हिस्सा था, लेकिन उससे निकली आग बगल में लगे Hindu Rashtra बैनर तक पहुंच गई, जिससे वह आंशिक रूप से जल गया।

 सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, हिंदू संगठनों ने उठाई मांग

जैसे ही इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता भड़क उठे। उन्होंने इसे न केवल एक बैनर जलाने की घटना, बल्कि Hindu Rashtra और भगवा ध्वज का अपमान करार दिया। अगले ही दिन 7 जुलाई को बाजार बंद करवाया गया और मस्जिद के सामने हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया।

हिंदू संगठनों ने सैलाना थाने का घेराव कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। दबाव में आकर प्रशासन ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए चार युवकों के खिलाफ मामला दर्ज किया।

 चार आरोपियों पर FIR, NSA की तैयारी

पुलिस ने जिन चार युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उनके नाम हैं:

  • शहजाद मेव
  • बबलू शाह
  • भय्यू खान पठान
  • अज्जू शाह

इन पर IPC की धारा 295-A (धार्मिक भावनाओं को आहत करना) और IPC 153 (सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लेने के बाद थर्ड डिग्री ट्रीटमेंट दिया। यह भी सामने आया है कि इन चारों का 7 जुलाई को सरेआम जुलूस निकाला गया ताकि समाज को “संदेश” दिया जा सके।

अब प्रशासन NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने और आरोपियों के घरों को गिराने की योजना बना रहा है। जिले के कलेक्टर और एसपी इस मामले में उच्चस्तरीय बैठक कर चुके हैं।

 घर गिराने की तैयारी: मध्य प्रदेश का नया ट्रेंड?

पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश में जिस तरह से संप्रदायिक आरोपियों के घर गिराने की कार्रवाइयां बढ़ी हैं, यह घटना भी उसी कड़ी में जुड़ती दिख रही है। पहले खरगोन, फिर उज्जैन और अब सैलाना—हर बार आरोप लगते ही बुलडोजर कार्रवाई की तैयारी हो जाती है।

Hindu Rashtra को लेकर उपजे विवाद को शासन “गंभीर अपराध” मान रहा है और “जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने वालों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस” नीति अपनाई जा रही है।

 विपक्ष का हमला: ‘यह कानून नहीं, बदले की कार्रवाई है’

कांग्रेस, एसडीपीआई और अन्य विपक्षी दलों ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता गोविंद सिंह ने कहा—

“अगर कोई बैनर अनजाने में जला है तो इसे धार्मिक उन्माद का नाम देकर जुलूस निकालना, थर्ड डिग्री देना और घर गिराने की धमकी देना संविधान का अपमान है।”

Hindu Rashtra के नाम पर की जा रही कार्रवाइयों को विपक्ष ने “राजनीतिक एजेंडा” करार दिया है।

 अल्पसंख्यक मंत्री का विवादित बयान

इस बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने अपने सोशल मीडिया पर एक विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने लिखा:

“सब चंगा सी।”

उनकी इस टिप्पणी को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जा रहा है, और इसे Hindu Rashtra समर्थक समूहों द्वारा तंज समझा जा रहा है।

 कानून व्यवस्था बनाम धार्मिक ध्रुवीकरण

Hindu Rashtra से जुड़ा यह विवाद केवल एक जले हुए बैनर का मामला नहीं रह गया है। यह अब प्रशासनिक कार्रवाई, धार्मिक ध्रुवीकरण, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम सामूहिक चेतना का मुद्दा बन चुका है।

क्या यह घटना महज एक दुर्घटना थी? या सचमुच यह Hindu Rashtra और हिंदू आस्थाओं का अपमान था? इस सवाल का जवाब पुलिस जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन इतना तय है कि यह विवाद अब राजनीतिक रंग ले चुका है।

सांप्रदायिक संतुलन की कसौटी पर प्रशासन

Hindu Rashtra से जुड़ी यह घटना केवल रतलाम या सैलाना तक सीमित नहीं रही। इसने पूरे देश में बहस छेड़ दी है कि धार्मिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बीच सीमा रेखा कैसे खींची जाए।

प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल, विपक्ष का हमला, और सोशल मीडिया पर उभरे भावनात्मक पोस्ट्स—यह सब दर्शाता है कि यह एक सामान्य कानूनी मामला नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाला मुद्दा बन चुका है।

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