हाइलाइट्स
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कर्नाटक में Obscene Video Scandal का बड़ा खुलासा, हिंदू संगठन नेता के मोबाइल से 50 से अधिक आपत्तिजनक वीडियो बरामद
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दक्षिण कन्नड़ के समित राज धारेगुड्डे के खिलाफ नया मामला दर्ज, पहले ही पथराव केस में थी गिरफ्तारी
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वीडियो में कई स्थानीय राजनेताओं की पहचान होने की आशंका, पुलिस कर रही डिजिटल फॉरेंसिक जांच
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पुत्तूर में नाबालिग लड़के और लड़की के उत्पीड़न का वीडियो वायरल, आरोपी दो व्यक्ति गिरफ्तार
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Obscene Video Scandal की जांच में जुटी पुलिस, साम्प्रदायिक उकसावे और अश्लीलता दोनों में शामिल हैं आरोपी
कर्नाटक में Obscene Video Scandal से मचा हड़कंप
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले से सामने आए Obscene Video Scandal ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में खलबली मचा दी है। हिंदू जागरण वेदिके के सह-संयोजक समित राज धारेगुड्डे को पहले एक निजी बस पर पथराव के मामले में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब उनके मोबाइल से 50 से अधिक अश्लील वीडियो मिलने के बाद मामला गंभीर होता जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो इन वीडियो में न केवल अश्लील दृश्य हैं, बल्कि इनमें कुछ स्थानीय राजनेताओं के चेहरे भी साफ़ तौर पर पहचाने जा रहे हैं। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इन वीडियो का निर्माण खुद समित ने किया या ये उसे कहीं और से भेजे गए।
पथराव से शुरू हुआ मामला, Obscene Video Scandal तक पहुंची जांच
फोन की जांच में चौंकाने वाले खुलासे
समित को पथराव के मामले में जमानत मिल चुकी थी, लेकिन पुलिस ने जांच के तहत जब उनका मोबाइल जब्त कर उसकी डिजिटल जांच की, तब Obscene Video Scandal का यह मामला उजागर हुआ।
फोन में करीब 50 वीडियो पाए गए हैं, जिनमें से कई वीडियो को पुलिस ने आपत्तिजनक करार दिया है। पुलिस का कहना है कि कई वीडियो को देखकर प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि ये निजी पलों के रिकॉर्डिंग हैं, जिन्हें या तो गुप्त रूप से फिल्माया गया या फिर सहमति के बिना वायरल किया गया।
वीडियो की उत्पत्ति को लेकर जांच जारी
पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि इन वीडियो की उत्पत्ति कहां से हुई। क्या समित ने खुद इन वीडियो को रिकॉर्ड किया? या उसे किसी नेटवर्क के माध्यम से ये फॉरवर्ड किए गए? पुलिस ने साइबर सेल और डिजिटल फॉरेंसिक टीम को इस Obscene Video Scandal के हर पहलू की गहनता से जांच के लिए लगाया है।
FIR दर्ज, राजनेताओं की भूमिका पर भी संदेह
राजनीतिक कनेक्शन का संदेह
इन वीडियो में दिख रहे चेहरों को पहचानने का काम भी चल रहा है। कुछ चेहरों की पहचान स्थानीय राजनीतिक हस्तियों के रूप में हो रही है, हालांकि पुलिस ने अभी तक किसी भी राजनेता का नाम सार्वजनिक नहीं किया है।
इस मामले में एक नई FIR दर्ज की गई है, जिसमें अश्लील सामग्री रखने, प्रसारित करने और निजता के उल्लंघन की धाराएं लगाई गई हैं। Obscene Video Scandal अब केवल व्यक्तिगत नहीं रहा, यह राजनीतिक मोड़ भी लेता दिख रहा है।
पुत्तूर में नाबालिगों के उत्पीड़न का वीडियो भी सामने आया
सांप्रदायिक टिप्पणी और धमकी का मामला
इस मामले से अलग, लेकिन गंभीर रूप से संबंधित एक और घटना पुत्तूर से सामने आई है। यहां दो नाबालिगों—एक लड़का और एक लड़की—को सार्वजनिक स्थान पर बैठने के दौरान कुछ युवकों ने न केवल गालियां दीं बल्कि उनका वीडियो भी बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में 43 वर्षीय पुरुषोत्तम और 38 वर्षीय रामचंद्र को गिरफ्तार कर लिया है। इन पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं 354 (महिला की गरिमा का अपमान), 506 (आपराधिक धमकी), और 295A (धार्मिक भावनाओं को आहत करने) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
वीडियो में सांप्रदायिक टिप्पणियां भी की गई थीं, जिससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बन गई थी।
समाज में बढ़ती डिजिटल अपराधों की चुनौती
Obscene Video Scandal ने खोली डिजिटल नैतिकता की पोल
इस Obscene Video Scandal ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग किस हद तक बढ़ चुका है। जहां एक तरफ यह साधन अभिव्यक्ति और संपर्क के लिए जरूरी हैं, वहीं दूसरी ओर इनका प्रयोग अब अश्लीलता, मानसिक उत्पीड़न और राजनीतिक हथियार के रूप में हो रहा है।
डिजिटल साक्ष्य की वैधानिकता का मुद्दा
अब पुलिस के सामने यह चुनौती भी है कि कैसे इन वीडियो को अदालत में वैध साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाए। ऐसे मामलों में डिजिटल प्रमाण जुटाना, उन्हें सुरक्षित रखना और कानूनी प्रक्रिया में शामिल करना अत्यंत जटिल कार्य होता है।
जब वीडियो बना अपराध का औज़ार
Obscene Video Scandal न केवल कर्नाटक में बल्कि पूरे देश में एक चेतावनी के रूप में सामने आया है। यह स्पष्ट संकेत है कि किस तरह डिजिटल साधनों का गलत प्रयोग न केवल व्यक्तिगत जीवन को बर्बाद कर सकता है, बल्कि समाज और राजनीति की नींव को भी हिला सकता है।
पुलिस की जांच जारी है, लेकिन यह मामला आने वाले समय में और भी बड़े खुलासे कर सकता है। सवाल यह भी उठता है—क्या ऐसे वीडियो बनाना और साझा करना अब सत्ता का हथियार बन गया है?