15 फीट लंबे अजगर को बच्चों ने बनाया खिलौना, सड़कों पर घुमाया और जंगल में छोड़ आए – वायरल वीडियो ने उड़ाए होश

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हाइलाइट्स 

  • Python Rescue ऑपरेशन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
  • बच्चों ने 15 फीट लंबे अजगर को खिलौने की तरह सड़क पर घुमाया
  • 3 किलोमीटर तक अजगर के साथ बनाए सेल्फी और इंस्टाग्राम रील
  • वन विभाग को जानकारी दिए बिना बच्चों ने अजगर को जंगल में छोड़ा
  • घटना ने सुरक्षा व वन्यजीव संरक्षण पर कई गंभीर सवाल खड़े किए

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले से एक अजीबो-गरीब लेकिन चिंताजनक मामला सामने आया है, जिसने Python Rescue जैसे गंभीर मुद्दे को चर्चा में ला दिया है। बच्चों के एक समूह ने 15 फीट लंबे एक अजगर (Indian Rock Python) को सड़क पर घुमाया, रील बनाई, सेल्फी ली और फिर उसे जंगल में छोड़ दिया – यह सब कुछ बिना किसी वयस्क या प्रशासनिक हस्तक्षेप के।

यह घटना न सिर्फ बच्चों की जान को जोखिम में डालती है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और कानून व्यवस्था पर भी प्रश्न चिह्न लगाती है।

Python Rescue या सोशल मीडिया स्टंट?

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ किशोरों का समूह एक भारी-भरकम अजगर को रस्सी से पकड़कर सड़क पर घुमा रहा है। बच्चे उसे उठाते हैं, उसके गले में हाथ डालते हैं, कुछ मुस्कराते हैं तो कुछ उसे अपने कंधे पर रखकर Python Rescue के नाम पर वीडियो बनाते हैं।

यह घटना बुलंदशहर के शिकारपुर क्षेत्र की बताई जा रही है, जहाँ यह अजगर एक खेत से सड़क की ओर निकल आया था। बच्चों को जब यह मिला, तो उन्होंने वन विभाग या पुलिस को सूचना देने की बजाय उसे एक मज़ेदार खिलौना समझ लिया।

तीन किलोमीटर तक की गई ‘सैर’, फिर ‘जंगल में छोड़ना’

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बच्चों ने लगभग तीन किलोमीटर तक अजगर को घुमाया। इस दौरान राहगीरों की भीड़ लग गई, लेकिन किसी ने उन्हें रोका नहीं। बच्चे नाचते-गाते, मुस्कराते हुए ‘Python Rescue’ की तरह पेश कर रहे थे, जैसे कि वह कोई प्रशिक्षण प्राप्त बचाव दल हो।

कुछ घंटों बाद, बच्चों ने कथित तौर पर अजगर को पास के जंगल में छोड़ दिया। हालांकि, यह दावा अब तक पुष्टि नहीं हो सका है कि अजगर को वास्तव में सुरक्षित छोड़ दिया गया या नहीं।

वन विभाग और पुलिस प्रशासन की प्रतिक्रिया

जब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब वन विभाग और स्थानीय पुलिस हरकत में आए। बुलंदशहर वन विभाग के अधिकारी ने बताया:

“हमने वीडियो को संज्ञान में लिया है। Python Rescue एक प्रशिक्षित कार्य होता है जिसमें विशेषज्ञ ही शामिल होते हैं। बच्चों का इस तरह अजगर से खेलना न केवल उनकी जान के लिए खतरनाक है बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन भी हो सकता है।”

अधिकारियों ने बताया कि अजगर को पकड़ने और उसे जंगल में ले जाने जैसी प्रक्रिया के लिए अनुमति और प्रशिक्षण अनिवार्य है। बच्चों की इस गतिविधि में यदि अजगर घायल हुआ हो या बच्चों को कोई चोट लगी हो, तो यह गंभीर मामला बन सकता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि Python Rescue जैसे कार्य केवल ट्रेंड नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी है। अजगर विषहीन होते हैं लेकिन उनका आकार और बल बहुत खतरनाक हो सकता है।

वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट डॉ. राकेश त्रिपाठी कहते हैं:

“बच्चों को जानवरों के साथ सहानुभूति रखना सिखाना ज़रूरी है, लेकिन सोशल मीडिया रील्स के चक्कर में वे जिस तरह से जानवरों का दोहन कर रहे हैं, वह निंदनीय है। Python Rescue किसी मज़ाक का विषय नहीं है।”

क्या बच्चों को था Python Rescue का कोई प्रशिक्षण?

यह स्पष्ट नहीं है कि बच्चों को अजगर को पकड़ने और उसे जंगल में छोड़ने का कोई पूर्व प्रशिक्षण था या नहीं। वीडियो से लगता है कि यह सिर्फ एक सोशल मीडिया स्टंट था, जिसे Python Rescue के रूप में दिखाया गया। यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है जब यह कार्य बिना किसी समझदारी और सुरक्षा के किया गया हो।

सोशल मीडिया की भूमिका और खतरा

इस घटना में सोशल मीडिया की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। प्लेटफॉर्म्स जैसे Instagram, Facebook और YouTube पर Python Rescue टैग के साथ ऐसे वीडियो तेजी से वायरल होते हैं, जिनमें अक्सर लोग जंगली जानवरों के साथ स्टंट करते नजर आते हैं।

इसका असर यह हो रहा है कि किशोर और युवा ऐसे खतरनाक कार्यों को महज़ वायरल होने की चाहत में अंजाम दे रहे हैं, जो उनकी जान पर भारी पड़ सकता है।

Python Rescue की कानूनी दृष्टि से स्थिति

भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अजगर जैसे संरक्षित जीवों को पकड़ना, घुमाना या उनके साथ बिना अनुमति संपर्क करना दंडनीय अपराध है। बच्चों द्वारा अजगर को जंगल में छोड़ने का दावा, भले ही नेक लग रहा हो, लेकिन यह कानून का उल्लंघन है।

वन विभाग अब इस पूरे मामले की जांच कर रहा है और जरूरत पड़ी तो संबंधित बच्चों के परिजनों से पूछताछ भी की जाएगी।

समाज के लिए संदेश: रोमांच और जिम्मेदारी में फर्क समझें

Python Rescue केवल रोमांच नहीं बल्कि जिम्मेदारी और संवेदनशीलता की मांग करता है। बच्चों को वनों और जानवरों के प्रति जागरूक बनाना समाज का दायित्व है, लेकिन इसके लिए सही दिशा और मार्गदर्शन आवश्यक है।

बुलंदशहर की इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या Python Rescue जैसे संवेदनशील विषय अब सोशल मीडिया के स्टंट बनकर रह जाएंगे? बच्चों की जान, वन्यजीवों की सुरक्षा और कानून की अवहेलना – तीनों मुद्दे इसमें शामिल हैं।

समय आ गया है कि हम सोशल मीडिया के वायरल ट्रेंड्स से बाहर आकर पर्यावरण और जीवन के मूल्यों को समझें। Python Rescue सिर्फ एक वीडियो कंटेंट नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है – जिसे निभाने के लिए ज्ञान, प्रशिक्षण और समझदारी जरूरी है।

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