हाइलाइट्स
- कर्नाटक के धर्मस्थल में Mass Grave की आशंका, पूर्व सफाईकर्मी ने किया सनसनीखेज खुलासा
- आरोप: सैकड़ों बच्चियों और महिलाओं की क्रूर हत्या के बाद शवों को जलाया या दफनाया गया
- शिकायतकर्ता को पुलिस को सूचना देने पर दी गई थी जान से मारने की धमकी
- पुलिस ने दर्ज की FIR, अदालत से खुदाई की अनुमति लेने की तैयारी
- शक्तिशाली लोगों की संलिप्तता का दावा, शिकायतकर्ता को सुरक्षा मिलने पर नाम उजागर करने की चेतावनी
धर्मस्थल में ‘Mass Grave’ की सनसनी: पूर्व सफाईकर्मी का दावा हिला देगा दिल
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के धर्मस्थल से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। यहां एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने दावा किया है कि उसे करीब दो दशकों तक कई महिलाओं और बच्चियों के शवों को दफनाने और जलाने के लिए मजबूर किया गया। शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि यह कोई सामान्य अंतिम संस्कार नहीं थे, बल्कि ये Mass Grave थे—एक के बाद एक कई शवों को बिना किसी सम्मान के दफनाया गया।
शिकायत में दर्ज खौफनाक सच: ‘मैंने सैकड़ों शवों को मिट्टी में दबाया’
शिकायतकर्ता ने अपनी लिखित शिकायत में बताया कि वह 1995 से 2014 तक धर्मस्थल में सफाईकर्मी के रूप में कार्यरत था। इस दौरान उसे सैकड़ों शवों को दफनाने का आदेश मिला, जिनमें से अधिकांश लड़कियों और महिलाओं के थे।
उसने दावा किया,
“ये शव आम नहीं थे। इनमें से कई शवों को देखकर यह स्पष्ट था कि उनके साथ पहले यौन शोषण किया गया और फिर गला घोंट कर हत्या कर दी गई। यह एक सुनियोजित Mass Grave नेटवर्क जैसा था।”
Mass Grave के इर्द-गिर्द फैला डर और साजिशों का जाल
शिकायतकर्ता का दावा है कि धर्मस्थल क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर इन Mass Grave को छिपाया गया। कहीं डीजल से शव जलाए गए, तो कहीं उन्हें गहरे गड्ढों में दबा दिया गया। जब उसने 1998 में एक शव को दफनाने से इनकार किया और पुलिस को सूचना देने की धमकी दी, तो उसे बुरी तरह पीटा गया और जान से मारने की धमकी मिली।
Mass Grave में शामिल ‘शक्तिशाली लोग’ कौन?
शिकायत में यह भी कहा गया है कि इन अपराधों में कुछ ‘शक्तिशाली लोग’ शामिल थे—जिनकी वजह से पीड़ित को न केवल चुप रहना पड़ा, बल्कि अपने पूरे परिवार के साथ गांव छोड़कर जाना पड़ा। शिकायतकर्ता ने कहा:
“यदि मुझे पर्याप्त सुरक्षा दी जाती है, तो मैं इन लोगों के नाम उजागर कर सकता हूं जो इस Mass Grave रैकेट में शामिल हैं।”
2014 की घटना के बाद छोड़नी पड़ी थी गांव की ज़मीन
2014 में शिकायतकर्ता के परिवार की एक लड़की के साथ यौन उत्पीड़न हुआ, जिसके बाद पूरा परिवार धर्मस्थल छोड़कर दूसरे राज्य में जा बसा। कई सालों तक खामोश रहने के बाद अब शिकायतकर्ता ने आखिरकार अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और सामने आकर सबकुछ बयान किया।
वह लिखता है,
“मैंने सैकड़ों लाशों को दफनाया है, लेकिन अब मुझे पछतावा हो रहा है। हर किसी को मरने के बाद सम्मान मिलना चाहिए। मैंने जो किया, वह अपराध था। पर मैं मजबूर था।”
पुलिस ने दर्ज की FIR, अब अदालत से खुदाई की अनुमति मांगी जाएगी
धर्मस्थल पुलिस ने 3 जुलाई को मामले में FIR दर्ज की है और कहा है कि यह गंभीर मामला है, जिसकी गहराई से जांच की जाएगी।
पुलिस अधीक्षक ने बयान दिया:
“हमने शिकायत को गंभीरता से लिया है। Mass Grave के दावे की पुष्टि के लिए हम अदालत से खुदाई की अनुमति लेंगे। यदि जरूरत पड़ी तो फॉरेंसिक टीम की मदद ली जाएगी।”
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव: Mass Grave के रहस्य और सामूहिक अपराध
Mass Grave न केवल एक कानूनी मामला है, बल्कि इसका सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी बहुत गहरा होता है। ऐसे अपराधों के पीछे आमतौर पर धार्मिक अंधविश्वास, सत्ता का दुरुपयोग और महिलाओं के प्रति सामाजिक संवेदनहीनता छिपी होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह मामला सत्य साबित होता है, तो यह भारत में मानवाधिकार उल्लंघन का सबसे बड़ा उदाहरण बन सकता है।
जनता की मांग: Mass Grave के पीछे के राज़ सामने लाए जाएं
जैसे ही Mass Grave के इस चौंकाने वाले खुलासे की खबर मीडिया में फैली, आम जनता, सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी #MassGrave और #JusticeForVictims ट्रेंड कर रहा है।
क्या सच्चाई सामने आएगी या दफन रह जाएगी ये Mass Grave की परतें?
धर्मस्थल से आया यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की शिकायत नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक अपराध की गाथा हो सकती है। क्या यह सच में Mass Grave रैकेट था? क्या दोषी पकड़े जाएंगे? क्या पीड़ितों को न्याय मिलेगा?
इन सवालों के जवाब समय के गर्भ में छिपे हैं, लेकिन यदि प्रशासन ने निष्पक्ष जांच की, तो यह केस भारतीय न्याय व्यवस्था और मानवता के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।