हाइलाइट्स
- फेसबुक फ्रेंडशिप के बाद युवती पर Forced Conversion और गौ-मांस खाने का दबाव
- मध्य प्रदेश की आरती बनी आरुषि परवीन, बेगूसराय में हुई ज़बरदस्ती शादी
- आरोपी मोहम्मद शहबाज ने ₹1 लाख लेकर भी नहीं छोड़ा पीछा, करता रहा मारपीट
- आरती ने एसपी से लगाई न्याय की गुहार, महिला आश्रय गृह में दी गई शरण
- पुलिस ने शुरू की जांच, आरोपी की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल
फेसबुक से शुरू हुई दोस्ती, जो बन गई ज़ुल्म की कहानी
मध्य प्रदेश की रहने वाली आरती (बदला हुआ नाम) की जिंदगी उस समय पूरी तरह बदल गई, जब उसने फेसबुक पर बिहार के बेगूसराय निवासी मोहम्मद शहबाज से दोस्ती की। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लग रहा था। शहबाज ने आरती पर प्यार जताया, शादी का वादा किया और फिर उसे बहला-फुसलाकर बेगूसराय बुला लिया। यहां आकर जो कुछ भी हुआ, वह सिर्फ धोखा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित Forced Conversion की कोशिश थी।
जब प्यार बना धोखा: आरती से आरुषि परवीन बनने की मजबूरी
शहबाज ने न सिर्फ आरती से शादी की, बल्कि उस पर दबाव बनाया कि वह अपना धर्म बदले और इस्लाम स्वीकार करे। साथ ही, उससे यह भी कहा गया कि उसे गौ-मांस खाना पड़ेगा, जिससे आरती मानसिक रूप से टूट गई। धर्मांतरण के बाद आरती को “आरुषि परवीन” नाम दिया गया। शादी के बाद भी उसे ससुराल में मान-सम्मान नहीं मिला, बल्कि शहबाज और उसके परिवार की ओर से आए दिन मारपीट और शोषण झेलना पड़ा।
₹1 लाख में भी नहीं छूटी आज़ादी की डोर
जब आरती ने इस ज़बरदस्ती से पीछा छुड़ाने की कोशिश की, तब शहबाज ने उसे धमकाया कि वह उसे कभी आज़ाद नहीं होने देगा। आरती ने अपनी मेहनत की कमाई से शहबाज को ₹1 लाख दिए, ताकि वह उसे तलाक दे और जाने दे। लेकिन शहबाज ने पैसों के बाद भी उसे नहीं छोड़ा। उल्टा वह और अधिक हिंसक हो गया, आरती को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगा। यह एक और उदाहरण है कि Forced Conversion सिर्फ धर्म परिवर्तन तक सीमित नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक शोषण का साधन भी बन चुका है।
न्याय की तलाश: बेगूसराय SP के दरवाजे पर आरती की गुहार
शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से थक चुकी आरती ने आखिरकार बेगूसराय के पुलिस अधीक्षक से संपर्क किया। उसने अपनी आपबीती बताई, सबूत दिए और न्याय की मांग की। पुलिस ने आरती की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उसे एक बालिका आश्रय गृह में सुरक्षित स्थान दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने Forced Conversion एंगल से जांच शुरू कर दी है।
Mohammad Shahbaz befriended Aarti from MP via Facebook, tricked her into marriage, and forced her to convert to Islam and eat Gau-mans in Begusarai, Bihar.
After Aarti changed her identity to Aarushi Parveen, Shahbaz abused and beat her. She gave him ₹1 lakh to leave her, but… pic.twitter.com/fQGEM0uMyQ
— Treeni (@TheTreeni) July 6, 2025
पुलिस जांच के केंद्र में शहबाज और उसके नेटवर्क की भूमिका
इस पूरे मामले में केवल शहबाज ही नहीं, बल्कि उसके परिवार और अन्य सहयोगियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। क्या यह कोई संगठित धर्मांतरण गैंग का हिस्सा था? क्या और भी लड़कियों को इसी तरह फंसाया गया है? पुलिस इन सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। बेगूसराय पुलिस ने स्पष्ट किया है कि यदि आरोपी दोषी पाया गया, तो उस पर सख्त धाराएं लगाई जाएंगी।
बिहार और MP के बीच की क्रॉस-स्टेट चुनौती
मामले की एक खास बात यह भी है कि पीड़िता मध्य प्रदेश की है और आरोपी बिहार का। ऐसे मामलों में क्रॉस-स्टेट लीगल कोऑर्डिनेशन की ज़रूरत होती है। कई बार ऐसे केस कानूनी दायरों में फंसकर लंबा खिंचते हैं और न्याय मिलने में देर होती है। आरती के मामले में भी यही चिंता है कि कहीं यह मामला भी राजनीतिक दबाव या पुलिसिया उदासीनता में गुम न हो जाए।
Forced Conversion: एक सामाजिक और कानूनी चुनौती
भारत में Forced Conversion एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है। संविधान धर्म की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन जब किसी को धोखे, लालच या दबाव में धर्म बदलने को मजबूर किया जाता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। आरती का मामला दर्शाता है कि किस तरह युवा महिलाओं को सोशल मीडिया के ज़रिए फंसाकर धर्म परिवर्तन और शोषण के जाल में डाला जा रहा है।
क्या कहती है समाज और कानून?
भारत के कई राज्यों में Forced Conversion के विरुद्ध सख्त कानून बने हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों ने “लव जिहाद” को लेकर विशेष कानून बनाए हैं, जिनमें यदि किसी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाए, तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है।
हालांकि, बिहार में अब तक ऐसा कोई स्पष्ट कानून नहीं है, लेकिन इस घटना के बाद सरकार पर दबाव बढ़ सकता है कि वह भी इस दिशा में कानून बनाए।
आरती की गुहार: “किसी और की ज़िंदगी यूं तबाह न हो”
मीडिया से बात करते हुए आरती ने कहा, “मैं चाहती हूं कि मुझे इंसाफ मिले। लेकिन मैं ये भी चाहती हूं कि कोई और लड़की इस जाल में न फंसे। मैं टूटी हूं, लेकिन अब आवाज़ उठाऊंगी।”
आरती की कहानी उन हजारों लड़कियों की आवाज़ है, जो Forced Conversion और धोखाधड़ी का शिकार बनती हैं। सोशल मीडिया पर हो रही यह “डिजिटल जिहाद” जैसी प्रवृत्तियां गंभीर चिंता का विषय हैं। यह सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं, बल्कि समाज, कानून और सरकार के लिए चेतावनी है।
यदि समय रहते इसपर कठोर कदम न उठाए गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।