Missing Daughter Case

बेटी लापता… पिता ने रोते हुए लगाई पुलिस से फरियाद, जवाब आया – ‘तेरे जैसे चाय वाले की बेटी के पास जेवर?’… जब 18 घंटे बाद मिली तो खुला ऐसा राज, सब रह गए हैरान

Latest News

हाइलाइट्स

  • Missing Daughter Case के दौरान पुलिस की संवेदनहीनता ने तोड़े एक पिता के दिल के अरमान
  • 18 घंटे तक लापता रही 13 साल की नाबालिग, फिर भी दर्ज नहीं की गई Missing Daughter Case की FIR
  • बच्ची को मंदिर में भीख मांगते हुए बताकर पुलिस ने कर दी जांच बंद
  • पिता ने बताया- बेटी पहने थी सोने की बालियां, लेकिन पुलिस ने किया सवाल – “तेरे पास जेवर कहां से आएंगे?”
  • पूरे Missing Daughter Case में नहीं हुआ मेडिकल, न हुई न्याय की प्रक्रिया शुरू

उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में घटित इस दिल दहला देने वाली Missing Daughter Case ने न सिर्फ इंसानियत को झकझोरा है, बल्कि देश की पुलिस व्यवस्था पर भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक गरीब चायवाले की बेटी के अचानक लापता होने और फिर 18 घंटे बाद संदिग्ध परिस्थितियों में ‘मंदिर में भीख मांगते हुए’ मिलने की कहानी जितनी रहस्यमयी है, उतनी ही प्रशासन की बेरुखी भी निंदनीय है।

बेटी लापता, पिता की भागदौड़ और पुलिस की बेरुखी

पुलिस कंट्रोल रूम को किया गया कॉल

बेटी के अचानक गायब होने के बाद पिता ने जब 112 नंबर पर कॉल कर मदद की गुहार लगाई, तो उसे तानों और शक की निगाहों से देखा गया। पुलिसकर्मी का जवाब था —
“₹5 की चाय बेचता है, तेरे पास सोने की बालियां कहां से आएंगी?”

यह बयान न केवल Missing Daughter Case में संवेदनहीनता को दर्शाता है, बल्कि इस बात का प्रतीक भी है कि गरीब की सुनवाई आज भी कितनी कठिन है।

FIR दर्ज करने से भी इंकार

18 घंटे तक बच्ची का कोई अता-पता नहीं था। लेकिन पुलिस ने न तो FIR दर्ज की, न ही कोई लिखित रपट ली। जब परिजन थाने पहुंचे तो पुलिस का एक ही जवाब था —
“मंदिर में भीख मांग रही थी, मिल गई तो बात खत्म।”

यह रवैया इस Missing Daughter Case में सबसे बड़ा सवाल खड़ा करता है — क्या एक नाबालिग लड़की का 18 घंटे लापता रहना और संदिग्ध रूप से मिल जाना सामान्य घटना है?

क्या हुआ था उन 18 घंटों में? पुलिस ने क्यों नहीं की जांच?

न मेडिकल, न बयान

इस Missing Daughter Case में जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत थी — मेडिकल जांच और मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान — वह बिल्कुल नहीं हुआ। जबकि कानून स्पष्ट है कि यदि कोई नाबालिग लड़की लापता होकर संदिग्ध हालात में मिलती है, तो मेडिकल अनिवार्य है।

यहां तक कि पुलिस ने परिजनों से कोई पूछताछ तक नहीं की, न ही लड़की से यह जानने की कोशिश की कि वह मंदिर तक कैसे पहुंची।

CCTV फुटेज तक नहीं खंगाला गया

स्थानीय लोगों ने बताया कि उस क्षेत्र में कई CCTV कैमरे लगे हैं, लेकिन पुलिस ने इस Missing Daughter Case की गंभीरता को बिल्कुल नजरअंदाज करते हुए किसी भी फुटेज की जांच नहीं की।

सवाल यह है कि क्या बच्ची वास्तव में भीख मांग रही थी, या उसे वहां जबरन ले जाया गया?

मानवाधिकारों का उल्लंघन और गरीबों के लिए न्याय की दूर होती पहुंच

कानून क्या कहता है?

POCSO एक्ट और भारतीय दंड संहिता के तहत Missing Daughter Case में लड़की की सुरक्षा, मेडिकल परीक्षण और साइकोलॉजिकल काउंसलिंग ज़रूरी है। लेकिन यहां कुछ भी नहीं किया गया।

यह मामला यह भी उजागर करता है कि गरीब और वंचित वर्गों की बेटियों के मामले में न तो सिस्टम गंभीर होता है और न ही संवेदनशील।

स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

इस Missing Daughter Case पर न तो कोई जनप्रतिनिधि पीड़ित परिवार से मिला, न ही किसी सामाजिक संगठन ने आवाज उठाई।

मीडिया की भूमिका भी रही सीमित

स्थानीय चैनलों पर खबर थोड़ी देर के लिए चली, लेकिन राष्ट्रीय मीडिया ने इस Missing Daughter Case को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।

इससे साफ है कि ऐसे मामले तब तक चर्चा में नहीं आते, जब तक कोई बड़ा नाम या हाई-प्रोफाइल घटना न हो।

क्या यह मामला एक बड़े अपराध की परछाईं है?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस Missing Daughter Case में गहरी साजिश हो सकती है। बच्ची को 18 घंटे तक कहां रखा गया, क्या उसे मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया, या फिर किसी तस्करी रैकेट का हिस्सा बनाया गया — ये सब अब अनुत्तरित प्रश्न हैं।

बच्ची की चुप्पी भी है सवाल

मंदिर में भीख मांगने की बात भी पूरी तरह संदेहास्पद है, क्योंकि 13 साल की बच्ची बिना किसी पूर्व अनुभव के अकेले कैसे पहुंची? उसकी मानसिक स्थिति पर भी कोई चिकित्सकीय रिपोर्ट नहीं आई।

पुलिस सुधार की जरूरत और संवेदनशीलता की मांग

Missing Daughter Case जैसे मामलों से स्पष्ट है कि पुलिस को संवेदनशीलता, मानवाधिकारों और बच्चों के मामलों में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

क्या होना चाहिए था:

  • FIR तुरंत दर्ज होनी चाहिए थी
  • बच्ची का मेडिकल परीक्षण किया जाना चाहिए था
  • CCTV फुटेज खंगाले जाने चाहिए थे
  • परिवार को न्यायिक सहायता मिलनी चाहिए थी
  • मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान जरूरी था

Missing Daughter Case बना व्यवस्था की विफलता का प्रतीक

यह मामला सिर्फ एक बच्ची की गुमशुदगी का नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की असफलता का प्रमाण है जो आम आदमी की रक्षा का दावा करती है। जब एक गरीब बाप की फरियाद को चाय के दाम से तौला जाए, तब सवाल उठता है — क्या हमारे लोकतंत्र में सबकी आवाज बराबर है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *