हाइलाइट्स
- शहादा में Girls Safety पर फिर उठे सवाल, छात्राओं से सरेआम छेड़छाड़
- आरोपी बोले – “मेरे साथ लॉज में चलो”, सीसीटीवी में कैद हुआ पूरा मामला
- छात्राओं ने बनाया वीडियो, कॉलेज प्रबंधन ने पुलिस में शिकायत दर्ज करने से मना किया
- कॉलेज ने छात्राओं पर ही बनाया दबाव, उठे संस्थान की भूमिका पर गंभीर सवाल
- स्थानीय लोगों और परिजनों ने किया प्रदर्शन, प्रशासन से की दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग
नंदुरबार जिले के शहादा शहर में छात्राओं से छेड़छाड़ की हालिया घटना ने एक बार फिर से Girls Safety पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। विकास कॉलेज के बाहर दो युवकों द्वारा खुलेआम छात्राओं को अश्लील टिप्पणियों से परेशान करने और “मेरे साथ लॉज में चलो” जैसी भद्दी बातें कहने का मामला सामने आया है। यह घटना कॉलेज के सामने घटित हुई और न सिर्फ छात्राओं ने साहस दिखाते हुए इसका वीडियो बनाया, बल्कि कॉलेज परिसर के सीसीटीवी कैमरे में भी पूरा घटनाक्रम कैद हो गया है।
कॉलेज परिसर में बढ़ता असुरक्षा का माहौल
सीसीटीवी फुटेज में दिखी वारदात
इस मामले का सबसे हैरान करने वाला पहलू यह रहा कि आरोपी छात्राओं का पीछा करते हुए कॉलेज परिसर में घुस आए और फिर वहां उनसे छेड़छाड़ की। सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि दोनों आरोपी छात्राओं का पीछा कर रहे हैं, उन्हें रास्ता रोककर अश्लील टिप्पणियां कर रहे हैं। ऐसे में Girls Safety के लिए जिम्मेदार संस्थानों की निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है।
नंदुरबार : शहादामधील महाविद्यालयात विद्यार्थिनींची छेडछाड (Saamtv) pic.twitter.com/RDHW3LLhBb
— bharat jadhav (@bharatjadhav891) July 2, 2025
प्रशासनिक लापरवाही और दबाव
छात्राओं ने जब कॉलेज प्रिंसिपल से शिकायत की, तो उम्मीद थी कि प्रशासन त्वरित कार्रवाई करेगा। लेकिन इसके उलट, कॉलेज प्रशासन ने इस मामले को दबाने की कोशिश की और छात्राओं पर ही चुप रहने का दबाव डाला। यह रवैया बेहद चिंताजनक है क्योंकि इससे Girls Safety को खतरा और भी बढ़ता है।
स्थानीय जन और अभिभावकों में आक्रोश
अभिभावकों ने जताई चिंता
स्थानीय लोगों और छात्राओं के अभिभावकों ने इस घटना को लेकर गहरी नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि यदि कॉलेज परिसर में ही बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं, तो उनकी पढ़ाई कैसे संभव हो पाएगी? Girls Safety के नाम पर केवल नारेबाज़ी नहीं, वास्तविक कार्रवाई ज़रूरी है।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नंदुरबार प्रशासन और पुलिस विभाग से इस मामले में संज्ञान लेने और आरोपियों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की है। साथ ही, कॉलेज प्रशासन पर भी निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।
Girls Safety पर मौजूदा कानून और उनके पालन की स्थिति
कानून क्या कहता है?
भारत में Girls Safety के लिए कई कड़े कानून हैं, जैसे POSH एक्ट (2013), IPC की धारा 354 (छेड़छाड़), धारा 509 (शब्दों या इशारों द्वारा अपमान), लेकिन सवाल यह है कि इन कानूनों का ज़मीनी स्तर पर कितना पालन हो रहा है? शहादा की घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कई बार ये कानून सिर्फ किताबों तक ही सीमित रह जाते हैं।
कॉलेजों में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की निष्क्रियता
हर कॉलेज में एक ICC (Internal Complaint Committee) होनी चाहिए जो Girls Safety से जुड़े मामलों की जांच करे। लेकिन शहादा के विकास कॉलेज में इस समिति की भूमिका पूरी तरह से निष्क्रिय दिखी। छात्राओं की शिकायत पर कोई गंभीर संज्ञान नहीं लिया गया, बल्कि उन्हें ही चुप रहने को कहा गया।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
FIR दर्ज क्यों नहीं हुई?
इस घटना के कई दिन बीतने के बाद भी पुलिस ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। जब मीडिया में मामला उछला और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ, तभी प्रशासन हरकत में आया। Girls Safety को लेकर ऐसी ढिलाई निश्चित रूप से चिंताजनक है।
हेल्पलाइन और शिकायत तंत्र की मजबूती की ज़रूरत
छात्राओं के लिए 1091 जैसी हेल्पलाइन उपलब्ध तो है, लेकिन उनकी जानकारी और उपयोगिता को लेकर जागरूकता बेहद कम है। जरूरत है कि स्कूलों और कॉलेजों में नियमित रूप से Girls Safety को लेकर कार्यशालाएं आयोजित की जाएं।
मनोवैज्ञानिक पहलू: डर और पढ़ाई पर असर
छात्राओं के अनुसार, इस घटना के बाद वे कॉलेज आना तक बंद कर चुकी हैं। उनके मन में डर बैठ गया है कि अगर कॉलेज में भी सुरक्षित नहीं हैं, तो समाज में उनकी स्थिति क्या है? यह न सिर्फ उनकी शिक्षा बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है। Girls Safety के लिए समाज की सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि वह ऐसा वातावरण बनाए जिसमें बेटियाँ निडर होकर पढ़ सकें।
कब मिलेगा बेटियों को सुरक्षित भविष्य?
शहादा की घटना कोई एकाकी मामला नहीं है, बल्कि देशभर में Girls Safety को लेकर जो डर और चिंता बनी हुई है, उसकी एक और बानगी है। कॉलेज प्रशासन की लापरवाही, पुलिस की ढिलाई और समाज की चुप्पी – यह त्रिकोण मिलकर अपराधियों के हौसले बुलंद कर रहा है। ऐसे में ज़रूरत है कि हम सब मिलकर Girls Safety को लेकर ठोस कदम उठाएं, न सिर्फ कानूनों के ज़रिए, बल्कि मानसिकता में बदलाव लाकर भी।