Viral Video: हेलमेट नहीं पहना था… पुलिस ने पीट-पीटकर अधमरा कर दिया! वायरल वीडियो में दिखी ‘पुलिस बर्बरता’ की हदें

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हाइलाइट्स

  • Police Brutality का ताजा मामला सामने आया जब एक बाइक सवार को बिना हेलमेट चलने पर लाठियों से पीटा गया।
  • वीडियो में दिखा कि पुलिसकर्मी ने मानो कोई हिस्ट्रीशीटर पकड़ा हो, जबकि युवक का अपराध सिर्फ हेलमेट न पहनना था।
  • कानून में कहीं नहीं लिखा कि बिना हेलमेट पर पुलिस को आम जनता को पीटने का अधिकार है।
  • रिपोर्टर और पत्रकारों ने Police Brutality पर नाराज़गी जताते हुए सवाल उठाए– “क्या पुलिस कानून से ऊपर है?”
  • आम जनता मांग कर रही है कि ऐसे पुलिसकर्मी पर सस्पेंशन और FIR दर्ज हो।

भारत में सड़क सुरक्षा नियमों का पालन आवश्यक है, लेकिन जब कानून लागू करने वाले अधिकारी ही अपनी सीमाएं लांघ जाएं, तो सवाल उठाना लाजमी हो जाता है।
एक ताजा वायरल वीडियो में देखा गया कि उत्तर प्रदेश में Police Brutality का घिनौना चेहरा सामने आया—जहां एक युवक को महज बिना हेलमेट बाइक चलाने पर बेरहमी से लाठी डंडों से पीटा गया।

यह घटना जितनी शर्मनाक है, उतनी ही गंभीर बहस को जन्म देने वाली भी है।

घटना की शुरुआत: ‘हेलमेट नहीं पहना था बस’

घटना की शुरुआत तब हुई जब एक युवक बिना हेलमेट के बाइक चला रहा था। पुलिस ने उसे रोका—जो कि एक सामान्य और वैध कार्यवाही है। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने पूरे सोशल मीडिया को हिला कर रख दिया।
एक पुलिसकर्मी ने बिना किसी पूर्व चेतावनी या विरोध के, युवक पर लाठियां बरसानी शुरू कर दीं।

वीडियो में साफ देखा गया कि युवक न तो भाग रहा था, न ही पुलिस का विरोध कर रहा था, बावजूद इसके उस पर इस कदर लाठियों की बौछार हुई मानो वह कोई बड़ा अपराधी हो।

Police Brutality की लाइव रिकॉर्डिंग: जनता स्तब्ध

घटना का वीडियो एक राहगीर ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया, जो कुछ ही घंटों में Viral हो गया। वीडियो में पुलिसकर्मी बार-बार युवक को गालियां देते और मारते नजर आ रहे हैं।

“हेलमेट नहीं पहना है? चल तुझे कानून सिखाते हैं!” – पुलिसकर्मी की यह आवाज़ वीडियो में साफ सुनी जा सकती है।

यह Police Brutality का ज्वलंत उदाहरण बन गया, जिस पर हर तरफ से आलोचना हो रही है।

सवाल: क्या लाठीचार्ज कानून के दायरे में आता है?

सड़क सुरक्षा अधिनियम और मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति बिना हेलमेट गाड़ी चलाता है तो पुलिस को अधिकतम निम्नलिखित कार्य करने का अधिकार होता है:

  • चालान काटना
  • वाहन जब्त करना (यदि अन्य कागजात भी अधूरे हों)
  • लाइसेंस जब्त कर कोर्ट भेजना

लेकिन लाठीचार्ज?
किसी भी कानून में यह नहीं लिखा गया है कि ऐसे मामलों में पुलिस को मारने का हक है। यह सीधा-सीधा Police Brutality है।

पत्रकारों और नागरिकों का गुस्सा: ‘आप कानून हैं या गुंडा?’

रिपोर्टर संदीप मेहरा ने इस मामले पर तीखा सवाल उठाते हुए लिखा:

“साहब… लाठी तो ऐसे भांज रहे हैं मानो बिना हेलमेट का चालक नहीं, कोई हिस्ट्रीशीटर पकड़ लिया हो।”

दैनिक भास्कर के पत्रकार ने लिखा:

“ऐसे पुलिसकर्मी पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए, जिससे वह दोबारा किसी पर हाथ न उठा सके।”

सोशल मीडिया पर हैशटैग #PoliceBrutality और #UPPolice ट्रेंड करने लगे हैं।

प्रशासन का रुख: ‘मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं’

वीडियो वायरल होने के बाद जिला पुलिस अधीक्षक ने बयान जारी किया कि:

“हमने वीडियो देखा है, जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। यदि पुलिसकर्मी दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।”

हालांकि आम जनता का कहना है कि सिर्फ जांच नहीं, बल्कि सीधी सस्पेंशन और एफआईआर होनी चाहिए।

Police Brutality: क्या यही “जन सेवा” है?

पुलिस का काम जनता की रक्षा करना है, न कि कानून की आड़ में आम नागरिकों की पिटाई करना।
यह घटना केवल एक वीडियो नहीं है, यह उस व्यवस्था का चेहरा है जिसमें अधिकारों का घमंड कर्तव्यों पर भारी पड़ जाता है।

यदि इस Police Brutality पर कड़ी कार्यवाही नहीं की गई, तो यह आने वाली पीढ़ियों में पुलिस के प्रति डर और अविश्वास का कारण बन सकता है।

न्यायिक दृष्टिकोण: कानून के खिलाफ है लाठीचार्ज

एडवोकेट पूजा तिवारी कहती हैं:

“किसी भी नागरिक को बिना उचित कारण या कोर्ट के आदेश के शारीरिक चोट पहुँचाना IPC की धारा 323 और 504 के तहत अपराध है। यह मामला भी Police Brutality के अंतर्गत आता है और पुलिसकर्मी पर आपराधिक मुकदमा दर्ज होना चाहिए।”

ऐसे मामलों में आम नागरिक क्या करें?

यदि आप भी Police Brutality के शिकार होते हैं, तो तुरंत निम्नलिखित कदम उठाएं:

  1. घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखें।
  2. नजदीकी थाने या पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत करें।
  3. मानवाधिकार आयोग में लिखित आवेदन दें।
  4. मीडिया की सहायता लें।

 Police Brutality पर अब चुप्पी नहीं, जवाब चाहिए

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, हर उस नागरिक की है जो कानून का सम्मान करता है लेकिन पुलिस के अत्याचार का शिकार बनता है।
अब समय आ गया है कि जनता Police Brutality के खिलाफ आवाज़ उठाए, ताकि कानून की रक्षा करने वाली संस्था खुद कानून न तोड़े।

पुलिस को सख्त अनुशासन और जवाबदेही के दायरे में लाना होगा, वरना जनता का भरोसा टूटता जाएगा।

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