हाइलाइट्स
- Mohammed Shami Alimony केस में कोर्ट ने हसीन जहां को ₹4 लाख मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
- हसीन जहां ने कहा– “शमी की लाइफस्टाइल और स्टेटस के मुकाबले 4 लाख बहुत कम हैं, हम 10 लाख की मांग पर कायम हैं”।
- कोर्ट के आदेश के बाद हसीन जहां ने CAVEAT दाखिल करने की घोषणा की, कहा- “कानूनी लड़ाई अब तेज़ होगी”।
- मामला फिर चर्चा में, जहां एक तरफ हसीन की मांग पर बहस हो रही है, वहीं दूसरी तरफ शमी की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है।
- Mohammed Shami Alimony विवाद ने फिर क्रिकेटरों की निजी ज़िंदगी को सुर्खियों में ला दिया है।
भारतीय क्रिकेटर Mohammed Shami और उनकी पत्नी हसीन जहां के बीच चल रही कानूनी लड़ाई एक बार फिर सुर्खियों में है। हाल ही में अदालत ने मोहम्मद शमी को आदेश दिया है कि वे हर महीने ₹4 लाख का गुजारा भत्ता (alimony) अपनी पत्नी को दें। इस आदेश के बाद हसीन जहां ने साफ तौर पर कहा है कि यह राशि उनके लिए पर्याप्त नहीं है, और वे Mohammed Shami Alimony के खिलाफ कोर्ट में CAVEAT दाखिल करेंगी।
क्या है मामला?
हसीन जहां और Mohammed Shami के बीच का विवाद कोई नया नहीं है। 2018 से दोनों के रिश्ते विवादों में हैं। हसीन जहां ने शमी पर घरेलू हिंसा, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इसके बाद मामला कोर्ट में पहुंचा और अब Mohammed Shami Alimony को लेकर फैसला सामने आया है।
अदालत का आदेश: 4 लाख रुपये प्रतिमाह
पश्चिम बंगाल की एक अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शमी को अपनी पत्नी हसीन जहां को ₹4 लाख प्रति माह गुजारा भत्ता देना होगा। इसमें ₹1 लाख व्यक्तिगत खर्च के लिए और ₹3 लाख बेटी के पालन-पोषण के लिए तय किया गया है।
हसीन जहां की प्रतिक्रिया: “कम है ये रकम”
अदालत के इस फैसले के तुरंत बाद हसीन जहां ने मीडिया को बयान दिया:
“मोहम्मद शमी का जो स्टेटस है, जो लग्ज़री लाइफस्टाइल वो जीता है, उसके सामने ₹4 लाख बहुत कम है। हमने कोर्ट से ₹10 लाख प्रतिमाह की मांग की थी। अब हम CAVEAT दाखिल करेंगे और इस आदेश को चुनौती देंगे।”
हसीन का कहना है कि वह खुद एक पूर्व मॉडल हैं और उन्हें और उनकी बेटी को एक सम्मानजनक जीवन जीने के लिए पर्याप्त राशि चाहिए।
Mohammed Shami Alimony केस में आगे क्या?
हसीन जहां के CAVEAT दाखिल करने के बाद मामला अब उच्च अदालत में जा सकता है। यदि कोर्ट आदेश को बरकरार रखता है, तो शमी को तय राशि देनी होगी। वहीं, अगर अदालत हसीन की दलील मानती है, तो Mohammed Shami Alimony की राशि में बढ़ोतरी संभव है।
हसीन जहां और शमी का विवाद: एक नजर में
वर्ष | घटना |
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2014 | हसीन और शमी की शादी हुई |
2015 | एक बेटी का जन्म हुआ |
2018 | हसीन ने शमी पर गंभीर आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करवाई |
2019 | मामला कोर्ट में पहुंचा |
2024 | गुजारा भत्ते की मांग की गई |
2025 | Mohammed Shami Alimony पर कोर्ट का आदेश आया |
मो. शमी की चुप्पी पर उठे सवाल
जहां हसीन जहां हर मंच पर अपनी बात रख रही हैं, वहीं शमी ने अब तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। सोशल मीडिया से लेकर मीडिया चैनलों तक सब यही सवाल कर रहे हैं– क्या शमी कोर्ट के आदेश को मानेंगे या वो भी अपील में जाएंगे?
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
Mohammed Shami Alimony का मुद्दा सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करने लगा है। कई यूज़र्स हसीन जहां की मांग को “जायज” बता रहे हैं, तो कुछ इसे “ब्लैकमेलिंग” का नाम दे रहे हैं।
कुछ प्रमुख ट्वीट्स:
- @CricketFanatic: “अगर शमी करोड़ों कमा रहे हैं तो पत्नी और बच्ची के लिए ₹10 लाख भी कोई बड़ी बात नहीं।”
- @LegalEagle: “अदालत का आदेश ही सर्वोपरि होता है, CAVEAT दाखिल करना हसीन का हक है।”
क्या कहता है कानून?
भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के अंतर्गत, यदि पति पत्नी और बच्चों का पालन-पोषण करने में असफल रहता है, तो अदालत गुजारा भत्ता निर्धारित कर सकती है। Mohammed Shami Alimony का आदेश इसी धारणा पर आधारित है।
क्या हसीन की मांग वाजिब है?
हसीन जहां एक मॉडल रही हैं, उनकी जीवनशैली सामान्य से भिन्न है। उनका तर्क है कि शमी के अंतरराष्ट्रीय दर्जे के क्रिकेटर होने के कारण उनकी आमदनी करोड़ों में है। ऐसे में ₹4 लाख में उनका और उनकी बेटी का जीवन यथोचित नहीं चल सकता। दूसरी ओर, अदालत ने बेटी की शिक्षा, मेडिकल और खानपान को ध्यान में रखते हुए ही यह आंकड़ा तय किया है।
Mohammed Shami Alimony से उठे गंभीर सवाल
इस पूरे Mohammed Shami Alimony विवाद ने एक बार फिर से समाज में यह सवाल खड़ा कर दिया है—क्या पत्नी को गुजारा भत्ता पति की हैसियत के हिसाब से मिलना चाहिए या न्यूनतम जरूरतों के अनुसार?
हसीन जहां की कानूनी लड़ाई और शमी की चुप्पी इस विवाद को और भी पेचीदा बना रही है। अब देखना होगा कि CAVEAT के बाद यह मामला किस मोड़ पर पहुंचता है।