हाइलाइट्स
- Sajid Malik पर युवती रिया यादव का पीछा करने और दुष्कर्म की कोशिश करने का आरोप
- शिकायत दर्ज कराने गई रिया को कॉन्स्टेबल द्वारा धमकाए जाने का गंभीर दावा
- सोशल मीडिया पर ‘treeni’ द्वारा किया गया पोस्ट हुआ वायरल
- गाज़ियाबाद पुलिस की भूमिका को लेकर उठे सवाल
- महिला सुरक्षा पर फिर खड़े हुए गंभीर प्रश्नचिन्ह
घटना की पृष्ठभूमि: सोशल मीडिया से उठी आवाज
गाज़ियाबाद में सामने आया यह मामला सोशल मीडिया के ज़रिए सामने आया है, जिसमें “Sajid Malik” नाम के एक व्यक्ति पर युवती रिया यादव का पीछा करने और फिर दुष्कर्म की कोशिश करने का आरोप लगा है। ट्विटर पर @treeni नाम की यूज़र ने इस मामले को सार्वजनिक करते हुए लिखा कि “Sajid Malik has been stalking Riya Yadav daily, and yesterday he attempted to rape her in Ghaziabad. When she tried to file a complaint, a constable reportedly threatened her.”
इस पोस्ट के वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है, और अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर Sajid Malik को इतनी हिम्मत कैसे मिली कि वह खुलेआम एक युवती का शोषण करने की कोशिश करे?
पीड़िता की आपबीती: ‘डर और धमकी के साए में जी रही हूं’
❝हर रोज पीछा करता था… और अब जान लेने की धमकी❞
रिया यादव ने बताया कि Sajid Malik पिछले कई दिनों से उसका पीछा कर रहा था। शुरुआत में उसने इसे नज़रअंदाज़ किया, लेकिन जब यह रोज़ का सिलसिला बन गया, तब उसने इस बारे में अपने दोस्तों को बताया। पीड़िता के मुताबिक, आरोपी ने पहले दोस्ती की कोशिश की, और जब उसने मना किया, तो उसने धमकियां देनी शुरू कर दीं।
“कल शाम उसने मुझे अकेले में देखकर मेरी तरफ दौड़ लगा दी और जबरदस्ती करने की कोशिश की। मैंने किसी तरह खुद को बचाया और भागकर पुलिस स्टेशन गई, लेकिन वहां जो हुआ वह और भी भयावह था।”
पुलिस पर भी गंभीर आरोप: न्याय की जगह धमकी?
❝FIR दर्ज करने के बजाय धमकाया गया❞
रिया ने दावा किया कि जब वह थाना कोतवाली गाज़ियाबाद पहुंची, तो वहां मौजूद एक कॉन्स्टेबल ने न सिर्फ उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि उल्टा उसे धमकी दी कि अगर उसने दोबारा ऐसा आरोप लगाया, तो उसे झूठा केस दर्ज करने के जुर्म में बंद कर दिया जाएगा।
यह आरोप पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या महिला सुरक्षा सिर्फ दस्तावेज़ों तक सीमित है?
सोशल मीडिया की ताकत: ‘Justice for Riya’ बना ट्रेंड
❝ट्विटर पर उभरी जन आवाज़❞
ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर #JusticeForRiya और #SajidMalik ट्रेंड करने लगे हैं। लोगों ने रिया के साहस की तारीफ की है और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने ये भी कहा है कि यदि Sajid Malik के खिलाफ तुरंत कार्रवाई नहीं की गई, तो देशभर में विरोध प्रदर्शन होंगे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: अब तक का घटनाक्रम
❝DM और SSP से की गई शिकायत❞
मामले की गंभीरता को देखते हुए पीड़िता ने अब जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) को भी लिखित शिकायत दी है। गाज़ियाबाद पुलिस ने अपने ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी है कि मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है और Sajid Malik की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
हालांकि अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है।
क्या कहता है कानून?
Sajid Malik has been stalking Riya Yadav daily, and yesterday he attempted to rape her in Ghaziabad.
When she tried to file a complaint, a constable reportedly threatened her.
Hello @Uppolice @DCPRuralGZB look into this. pic.twitter.com/AO9tHe37Il
— Treeni (@TheTreeni) July 1, 2025
❝IPC की धारा 354 और 376 के तहत कठोर दंड❞
अगर Sajid Malik पर लगे आरोप सही साबित होते हैं, तो उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा का हनन) और धारा 376 (बलात्कार) के तहत केस दर्ज किया जा सकता है, जिसमें आजीवन कारावास तक की सज़ा का प्रावधान है।
पुलिसकर्मी द्वारा धमकी देने की स्थिति में धारा 506 और 166A भी लागू हो सकती है।
विश्लेषण: जब रक्षक ही बन जाए भक्षक
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारत में महिलाओं की सुरक्षा के दावे कितने खोखले हैं। Sajid Malik जैसे लोग तब तक हिम्मत करते रहेंगे, जब तक उन्हें सत्ता का या सिस्टम का डर नहीं होगा।
अगर पुलिस भी पीड़ित की मदद करने के बजाय उसे डराने लगे, तो सवाल उठता है कि महिलाओं के लिए न्याय का रास्ता किसके सहारे चले?
समाज और सिस्टम की जिम्मेदारी
महिला उत्पीड़न के मामलों में पुलिस को तत्काल और संवेदनशील कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, सरकार को ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।
यह मामला नहीं, चेतावनी है
“Sajid Malik” का मामला एक उदाहरण है कि कैसे आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, और कैसे सिस्टम में बैठे कुछ लोग इस असुरक्षा को और गहरा कर रहे हैं। यह वक्त है जागने का, सवाल उठाने का, और कार्रवाई की मांग करने का।