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30 साल सेवा के बाद नमाज़ ने दिलाई जेल की सलाखें: ब्रह्मदेव मंदिर के वायरल वीडियो ने खोले कई राज़

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हाइलाइट्स

  • Viral video में मुस्लिम व्यक्ति को ब्रह्मदेव मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ते हुए देखा गया
  • आरोपी की पहचान 60 वर्षीय अली मोहम्मद के रूप में हुई, जो 30 वर्षों से मंदिर में कर रहे थे सेवा
  • हिंदू संगठनों के विरोध के बाद पुलिस ने धारा 298 के तहत एफआईआर दर्ज की
  • पुलिस का दावा, Viral video 2-3 महीने पुराना, लेकिन हाल ही में सोशल मीडिया पर हुआ वायरल
  • पुलिस ने मंदिर परिसर में सुरक्षा बढ़ाई, लोगों से शांति बनाए रखने की अपील

विवाद की जड़ बना Viral video

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के दातागंज थाना क्षेत्र स्थित प्राचीन ब्रह्मदेव मंदिर इन दिनों एक Viral video के कारण सुर्खियों में है। इस वीडियो में एक मुस्लिम बुज़ुर्ग – अली मोहम्मद, मंदिर परिसर में पेड़ के नीचे नमाज़ अदा करते दिख रहे हैं। जैसे ही यह Viral video सोशल मीडिया पर फैला, इलाके में धार्मिक तनाव की आशंका गहराने लगी।

यह वीडियो सामने आने के बाद हिंदू संगठनों ने तीव्र विरोध जताया और प्रशासन से कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने बिना देरी किए Viral video की पुष्टि के बाद अली मोहम्मद के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 298 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया और उन्हें हिरासत में ले लिया।

मंदिर में वर्षों से सेवा के बावजूद माफ़ी नहीं

अली मोहम्मद: मंदिर के पुराने सेवक

जानकारी के मुताबिक, अली मोहम्मद डहरपुर कलां गांव के निवासी हैं और पिछले 25-30 वर्षों से ब्रह्मदेव मंदिर में साफ-सफाई, गौसेवा और परिसर की देखरेख का कार्य करते आ रहे थे। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि उन्होंने कभी किसी से दुर्व्यवहार नहीं किया और मंदिर से गहरा जुड़ाव रखा।

महंत की प्रतिक्रिया

मंदिर के महंत परमात्मा शरण ने इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा कि अली मोहम्मद को कभी मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई थी। उन्होंने इस कार्य को “धार्मिक मर्यादा के विरुद्ध” और “सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंचाने वाला” बताया और प्रशासन से कड़ी सजा की मांग की।

Viral video का समय और साजिश की आशंका

पुराना वीडियो, नई आग

दातागंज के क्षेत्राधिकारी कृष्ण कुमार तिवारी के अनुसार, Viral video लगभग दो-तीन महीने पुराना है। वीडियो में अली मोहम्मद मंदिर परिसर में एकांत में नमाज़ पढ़ते दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो तब रिकॉर्ड किया गया जब मंदिर में कोई धार्मिक आयोजन नहीं था।

प्रश्न उठता है कि यह वीडियो अब क्यों वायरल हुआ? क्या यह जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए किया गया? पुलिस इस एंगल से भी मामले की गहन जांच कर रही है।

पुलिस की प्रतिक्रिया और सुरक्षा के इंतज़ाम

त्वरित कार्रवाई

पुलिस ने Viral video के वायरल होते ही तत्काल एफआईआर दर्ज की और अली मोहम्मद को गिरफ्तार कर लिया। मामले की जांच अब दातागंज थाने की एक विशेष टीम को सौंपी गई है जो यह पता लगाने में जुटी है कि इस वीडियो को वायरल करने के पीछे कोई साजिश या उकसाने की योजना तो नहीं थी।

सुरक्षा व्यवस्था

संभावित सांप्रदायिक तनाव को देखते हुए मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। सीओ तिवारी ने बताया कि पुलिस लगातार गश्त कर रही है और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल को भी सक्रिय कर दिया गया है ताकि कोई भड़काऊ पोस्ट न फैले।

प्रशासन की अपील: सोशल मीडिया से दूरी रखें

अफवाहों से बचें, शांति बनाए रखें

बदायूं के जिला प्रशासन और पुलिस ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर क्षेत्र के लोगों से अफवाहों से दूर रहने और Viral video को आधार बनाकर कोई भड़काऊ टिप्पणी या पोस्ट साझा न करने की अपील की है। प्रशासन का कहना है कि कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सामाजिक तनाव से संवेदनशील क्षेत्र में नई बहस

इस घटना ने एक बार फिर से देश में धार्मिक स्थलों की मर्यादा और अंतरधार्मिक संवाद पर बहस छेड़ दी है। कुछ लोगों का मानना है कि यदि अली मोहम्मद मंदिर में वर्षों से सेवा कर रहे थे तो उन्हें थोड़ा सहानुभाव मिलनी चाहिए थी, जबकि दूसरी ओर कुछ लोगों का कहना है कि धार्मिक आस्था का उल्लंघन किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं हो सकता।

इस Viral video ने सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द, धार्मिक सहिष्णुता, और सोशल मीडिया के प्रभाव जैसे बड़े प्रश्नों को जन्म दिया है। आने वाले समय में इस केस की जांच से स्पष्ट होगा कि यह सीधा धार्मिक उल्लंघन था या किसी गहरी साजिश की एक कड़ी

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