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झाड़-फूंक से बेटी की चीखें दबाते रहे माता-पिता, लेकिन वायरल वीडियो ने खोल दी अंधविश्वास की पोल

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हाइलाइट्स

  • Viral वीडियो में सामने आया अंधविश्वास का खौफनाक चेहरा
  •  झोलाछाप डॉक्टरों और पाखंडी बाबाओं पर ग्रामीण क्षेत्र अब भी निर्भर
  •  सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने लोगों को झकझोरा
  •  शिक्षा और जागरूकता की कमी बन रही है ठगी का कारण
  •  प्रशासनिक कार्रवाई की उठ रही मांग, लेकिन प्रभाव अब भी सीमित

भारत में आज भी ऐसे कई मामले सामने आते हैं जो यह दिखाते हैं कि शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में हुई प्रगति के बावजूद समाज का एक बड़ा हिस्सा Viral अफवाहों और अंधविश्वास के जाल में फंसा हुआ है। हाल ही में सामने आए एक Viral वीडियो ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है।

यह वीडियो एक ग्रामीण क्षेत्र का है, जहां एक परिवार अपनी पेट दर्द से पीड़ित बेटी को किसी डॉक्टर या अस्पताल में ले जाने के बजाय एक कथित बाबा के पास ले गया। बाबा ने मंत्रोच्चार और झाड़-फूंक के माध्यम से इलाज का दावा किया, और इस दौरान बच्ची को शारीरिक यातनाएं भी दी गईं। इस Viral वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर नाराज़गी की लहर दौड़ पड़ी।

ऐसे मामले क्यों होते हैं Viral?

शिक्षा की कमी है सबसे बड़ा कारण

ग्रामीण इलाकों में आज भी एक बड़ा तबका ऐसा है, जिसे प्राथमिक चिकित्सा, बीमारियों के कारण और इलाज के वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी नहीं है। जब किसी बीमारी का इलाज डॉक्टरों से नहीं होता, तो लोग Viral अफवाहों या पड़ोसियों की सलाह पर चलकर पाखंडी बाबाओं के पास पहुंच जाते हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता

भारत के अनेक गांवों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) या योग्य MBBS डॉक्टरों की भारी कमी है। जब सरकारी अस्पताल तक पहुंचना मुश्किल होता है, तो लोग झोलाछाप डॉक्टरों या Viral बाबाओं पर विश्वास कर लेते हैं।

Viral वीडियो में क्या दिखा?

लड़की को झाड़-फूंक से “उपचार” देने की कोशिश

इस Viral वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि बाबा लड़की के पेट पर हाथ फेरते हुए मंत्र पढ़ रहे हैं और उसे बार-बार झटका दे रहे हैं। लड़की दर्द से कराह रही है, लेकिन परिवार के लोग चुपचाप बैठे हैं, मानो यही “इलाज” है। वीडियो में बाबा ने यह तक दावा किया कि लड़की पर किसी “ऊपरी शक्ति” का साया है।

वीडियो बनाकर जागरूकता फैलाने का प्रयास

जिस व्यक्ति ने यह वीडियो बनाया, उसने बताया कि वह इस तरह के अंधविश्वास को बेनकाब करना चाहता था। उसने इसे सोशल मीडिया पर Viral कर दिया ताकि लोग जागरूक हों और भविष्य में इस तरह की गलती न करें।

प्रशासन की भूमिका और निष्क्रियता

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति

Viral वीडियो सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन ने बाबा को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन कोई गंभीर कार्रवाई नहीं हुई। अधिकतर मामलों में ऐसे पाखंडी कुछ दिन चुप रहते हैं और फिर दूसरी जगह अपना “धंधा” शुरू कर देते हैं।

जागरूकता अभियान ज़रूरी

प्रशासन को चाहिए कि ऐसे Viral मामलों को गंभीरता से लेते हुए गांवों में मेडिकल कैंप, नुक्कड़ नाटक, और स्कूलों में हेल्थ एजुकेशन कार्यक्रम चलाए। जब तक आम जनता वैज्ञानिक सोच नहीं अपनाएगी, तब तक ऐसे Viral पाखंडी समाज का फायदा उठाते रहेंगे।

अंधविश्वास बनाम वैज्ञानिक सोच

अंधविश्वास कैसे जन्म लेता है?

  1. निराशा की स्थिति में इंसान जल्दी किसी “चमत्कार” पर विश्वास करता है।
  2. किसी पुराने अनुभव या बुजुर्ग की सलाह को “सत्य” मान लेना।
  3. जब लोग कहते हैं कि “उस बाबा से तो मेरे मामा ठीक हो गए थे”, तो वह कथित अनुभव Viral हो जाता है।

वैज्ञानिक सोच को कैसे बढ़ावा दें?

  • बच्चों को स्कूल से ही वैज्ञानिक सोच और प्रश्न पूछने की आदत डालनी चाहिए।
  • ग्रामीण स्तर पर हेल्थ वर्करों को प्रशिक्षित कर उन्हें पाखंडी मामलों की रिपोर्ट करने की ज़िम्मेदारी दी जाए।
  • Viral वीडियो के माध्यम से लोगों को यह बताया जाए कि ये घटनाएं मनोरंजन नहीं बल्कि चेतावनी हैं।

क्या केवल Viral वीडियो काफी हैं?

जवाबदेही तय होनी चाहिए

हालांकि ऐसे Viral वीडियो लोगों को जगाने का कार्य करते हैं, लेकिन केवल वीडियो से बदलाव नहीं होगा। जरूरी है कि सरकार, स्वास्थ्य मंत्रालय और मीडिया मिलकर इस तरह के बाबाओं के खिलाफ लगातार अभियान चलाएं।

समाज को खुद जिम्मेदारी लेनी होगी

जब तक समाज खुद यह ठान नहीं लेता कि वह किसी भी डॉक्टर के पास जाने से पहले उसकी योग्यता की जांच करेगा, तब तक ये Viral बाबा और झोलाछाप डॉक्टर अपना काम करते रहेंगे।

Viral वीडियो चेतावनी हैं, मज़ाक नहीं

यह घटना सिर्फ एक लड़की के दर्द की कहानी नहीं है, यह पूरे ग्रामीण भारत की उस मानसिकता की तस्वीर है जो आज भी अंधविश्वास और अफवाहों के आधार पर जीवन के फैसले लेती है। यह Viral वीडियो हमें एक सख्त संदेश देता है कि जागरूकता की लौ अब और प्रज्वलित करनी होगी।

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