हाइलाइट्स
- viral video को लेकर सोशल मीडिया पर उठे विवाद ने सबको चौंका दिया
- वायरल हो रहे वीडियो में एक महिला के पति के सीने पर कूदने का दावा
- दावा किया गया कि इस हरकत से पति की मौत हो गई है
- वीडियो बारीकी से देखने पर स्पष्ट होता है कि कूदने वाली एक छोटी बच्ची है
- वायरल वीडियो की असलियत जानने के बाद लोग हुए हैरान और नाराज़
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक viral video ने तहलका मचा रखा है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि एक महिला ने अपने पति के हाथ बांधकर उसके सीने पर बार-बार छलांग लगाई, जिससे उसकी मौत हो गई। इस सनसनीखेज दावे ने इंटरनेट पर हड़कंप मचा दिया है। लेकिन जब इस viral video की बारीकी से जांच की गई, तो कहानी कुछ और ही निकली।
इस खबर ने समाज में एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि viral video के नाम पर झूठे और भ्रामक दावे किस हद तक फैलाए जा सकते हैं, और इसका समाज पर क्या असर पड़ता है।
क्या है इस viral video की पूरी कहानी?
इस viral video में देखा जा सकता है कि एक व्यक्ति ज़मीन पर लेटा हुआ है, उसके हाथ संभवतः बंधे हुए प्रतीत होते हैं, और उसके ऊपर कोई व्यक्ति बार-बार कूद रहा है। वीडियो को पोस्ट करने वाले ने दावा किया कि यह व्यक्ति उसका पति है और उसके ऊपर कूदने वाली महिला उसकी पत्नी है। दावा किया गया कि पत्नी ने गुस्से में आकर यह घातक कदम उठाया और पति की जान चली गई।
लेकिन यह viral video सच्चाई से बहुत दूर है। वीडियो को ध्यान से देखने पर विशेषज्ञों और पत्रकारों ने पाया कि कूदने वाली महिला नहीं, बल्कि एक 5-6 साल की छोटी बच्ची है, जो शायद खेल रही थी।
यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, और वायरल करने वाले ने दावा किया है कि पत्नी अपने पति के हाथ बांधकर उसके सीने पर कूद रही है, दवा यहां भी है कि पति की मौत हो गई है !!
जबकि वीडियो देखने से प्रतीक हो रहा है की सीने पर कूदने वाली कोई औरत नहीं एक बच्ची है !!… pic.twitter.com/FnoiuQ8bgK— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) June 23, 2025
सोशल मीडिया पर कैसे हुआ वायरल?
जैसे ही इस viral video को किसी अज्ञात यूज़र ने पोस्ट किया, उसमें भावनात्मक और सनसनीखेज कैप्शन जोड़ा गया। “पत्नी ने पति को बेरहमी से मारा – कूदकर ली जान!” जैसी टैगलाइन ने लोगों को आक्रोशित कर दिया और वीडियो को हजारों बार शेयर किया गया। देखते ही देखते यह viral video फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर ट्रेंड करने लगा।
लोगों ने बिना सच्चाई जाने ही महिला के खिलाफ अभद्र टिप्पणियाँ कीं, कुछ लोगों ने तो महिला की गिरफ्तारी की मांग भी कर डाली।
जांच के बाद सामने आई सच्चाई
कुछ मीडिया संस्थानों और फैक्ट-चेकिंग संगठनों ने इस viral video की पड़ताल शुरू की। वीडियो को स्लो-मोशन में देखने और ज़ूम करने पर यह साफ हो गया कि:
- कूदने वाली एक महिला नहीं बल्कि छोटी बच्ची है
- बच्ची ने मस्ती में ऐसा किया था, कोई हिंसात्मक इरादा नहीं था
- वीडियो में कोई मृत्यु नहीं हुई है, व्यक्ति जीवित है
- किसी ने जानबूझकर वीडियो का गलत कैप्शन लगाकर भ्रम फैलाया
फैक्ट चेकिंग वेबसाइट “AltNews” और “BoomLive” ने भी इस वीडियो को झूठा बताया और इसके पीछे की सच्चाई को विस्तार से समझाया।
मानसिकता पर असर: क्यों फैलते हैं ऐसे वीडियो?
viral video के जरिए इस प्रकार की भ्रामक सूचनाएँ फैलाना आज के डिजिटल युग में आम बात होती जा रही है। लेकिन यह सिर्फ तकनीकी मुद्दा नहीं, एक गंभीर सामाजिक चिंता भी है। जब लोग बिना जांचे-परखे किसी वीडियो को सच मान लेते हैं, तो इससे निर्दोष लोगों की छवि खराब होती है, सामाजिक तनाव बढ़ता है और कभी-कभी तो हिंसा भी हो सकती है।
क्या कहता है साइबर कानून?
भारत के आईटी एक्ट के अनुसार, किसी भी भ्रामक या फर्जी सूचना को सोशल मीडिया पर फैलाना एक दंडनीय अपराध है। इस viral video के प्रसार ने यह सवाल खड़ा किया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को ऐसे मामलों में कितना जिम्मेदार ठहराया जाए।
यदि इस वीडियो को जानबूझकर गलत दावे के साथ फैलाया गया है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
सामाजिक प्रतिक्रिया: गुस्सा, चिंता और सवाल
इस viral video को लेकर आम जनता में दो तरह की प्रतिक्रियाएँ देखी गईं:
- गुस्सा – झूठ फैलाने वालों पर लोग भड़के
- चिंता – क्या हमारी डिजिटल समझदारी इतनी कमजोर है?
- सवाल – क्या हम सोशल मीडिया को सिर्फ सनसनी के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं?
वहीं कई लोगों ने सुझाव दिया कि ऐसे viral video को शेयर करने से पहले उनकी सच्चाई ज़रूर जांच लेनी चाहिए।
जिम्मेदारी किसकी? जनता या प्लेटफॉर्म?
viral video की असलियत सामने आने के बाद अब बहस इस बात पर केंद्रित है कि क्या फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसी कंपनियाँ ऐसे फर्जी वीडियो के लिए जिम्मेदार हैं?
क्या उन्हें कंटेंट की पहले से समीक्षा करनी चाहिए? क्या यूज़र्स को डिजिटल साक्षरता की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए?
वायरल से वैराग्य तक
यह viral video एक उदाहरण है कि कैसे अधूरी जानकारी के साथ फैलाया गया कंटेंट समाज में भ्रम फैला सकता है। सच्चाई यह है कि वीडियो में किसी की हत्या नहीं हुई थी, न ही कोई अपराध। लेकिन अफवाह ने कुछ समय के लिए पूरे इंटरनेट को हिला दिया।
हमें ज़रूरत है डिजिटल जागरूकता की, सटीक फैक्ट चेकिंग की और भावनाओं के बजाए विवेक से फैसले लेने की।