हाइलाइट्स
- Digital Crime से सतर्क करने वाली कॉलर ट्यून बनी लोगों की रोज़मर्रा की परेशानी
- हर कॉल से पहले बजने वाला अमिताभ बच्चन की आवाज़ में संदेश बना नया संकट
- सोशल मीडिया पर उठ रही है चेतावनी ध्वनि बंद करने की मांग
- कोरोना काल की कॉलर ट्यून की तरह अब यह भी बन गई है विवाद का कारण
- पुलिस अधिकारी ने बताया इसका तात्कालिक समाधान — ‘1’ दबाने से हट सकता है ट्यून
भारत में Digital Crime की घटनाएं हर दिन बढ़ रही हैं। आम जनता को जागरूक करने और ऑनलाइन फ्रॉड से बचाने के लिए सरकार ने एक अनूठा तरीका अपनाया — हर कॉल से पहले एक चेतावनी संदेश सुनाया जाता है, जिसमें अमिताभ बच्चन की आवाज़ में लोगों को डिजिटल धोखाधड़ी से सावधान रहने की सलाह दी जाती है।
इस पहल का उद्देश्य जितना अच्छा है, उसका कार्यान्वयन उतना ही विवादास्पद हो गया है।
क्या है यह Digital Crime कॉलर ट्यून?
लोगों को जागरूक करने की सरकारी कोशिश
सरकार के निर्देश पर सभी टेलीकॉम कंपनियों ने अपने उपभोक्ताओं के लिए यह साइबर सुरक्षा कॉलर ट्यून जोड़ी है। इस 30 सेकंड की ऑडियो क्लिप में यह बताया जाता है कि अजनबी कॉल, लिंक, या OTP शेयर न करें। यह संदेश हर आउटगोइंग कॉल से पहले आता है और उपयोगकर्ता इसे स्किप नहीं कर सकते।
जनता में बढ़ रही झुंझलाहट
हालांकि, जागरूकता फैलाने का यह प्रयास धीरे-धीरे एक बड़ी झुंझलाहट का कारण बन गया है। हर कॉल पर एक ही संदेश सुनना लोगों के लिए समय की बर्बादी बन चुका है। खासकर इमरजेंसी में यह कॉलर ट्यून गंभीर समस्याएं पैदा कर रही है।
सोशल मीडिया पर नाराजगी
ट्विटर-फेसबुक पर छिड़ी बहस
लाखों उपयोगकर्ता सोशल मीडिया पर इस कॉलर ट्यून को बंद करने की मांग कर रहे हैं। “#RemoveCyberTune” जैसे हैशटैग अब ट्रेंड करने लगे हैं।
एक यूज़र ने ट्विटर पर लिखा, “मेरी दादी को हार्ट अटैक आया और मैं एम्बुलेंस को कॉल कर रहा था, लेकिन कॉलर ट्यून के कारण समय बर्बाद हुआ।”
RTI भी हुई दाखिल
कई जागरूक नागरिकों ने इस चेतावनी ध्वनि के संबंध में RTI भी दाखिल की है। वे जानना चाहते हैं कि आखिरकार इस तरह की बाध्यता का आधार क्या है और किस अवधि तक इसे अनिवार्य रूप से रखा जाएगा।
कोरोना काल से तुलना — क्या कुछ बदला?
इतिहास दोहरा रहा है खुद को
कोरोना महामारी के दौरान भी सरकार ने लोगों को मास्क पहनने और हाथ धोने की सलाह देने वाली कॉलर ट्यून लागू की थी। वह ट्यून भी हर कॉल पर बजती थी, और लोगों की नाराजगी के बाद उसे हटाया गया था।
अब ठीक वैसी ही स्थिति फिर से बन गई है — सिर्फ विषय अलग है। इस बार Digital Crime मुख्य मुद्दा है, लेकिन जनता की प्रतिक्रिया वैसी ही है।
समाधान क्या है?
पुलिस अधिकारी का उपयोगी सुझाव
राजस्थान पुलिस की सब-इंस्पेक्टर आरती सिंह तंवर ने इस ट्यून को हटाने का एक तात्कालिक तरीका सोशल मीडिया पर साझा किया।
“जब कॉलर ट्यून शुरू हो, तो कीपैड खोलें और ‘1’ दबाएं। कुछ नेटवर्क पर 0 या 8 भी काम कर सकता है। इससे कॉल सीधे लग जाएगी और ट्यून स्किप हो जाएगी।”
हालांकि, यह उपाय सभी टेलीकॉम नेटवर्क पर काम नहीं करता, लेकिन अधिकतर मामलों में सफल पाया गया है।
विशेषज्ञों की राय
जागरूकता ज़रूरी, लेकिन तरीका सोच-समझकर
डिजिटल सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि Digital Crime के खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका समाधान ऐसा होना चाहिए जिससे आम जनता की असुविधा न हो।
“कॉलर ट्यून सिर्फ पहली कॉल या दिन में एक बार आए, तो जागरूकता भी बनी रहेगी और झुंझलाहट भी नहीं होगी।” — प्रो. राकेश त्रिपाठी, IIT दिल्ली
क्या कहती हैं टेलीकॉम कंपनियां?
नियामक का आदेश मानना मजबूरी
टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि वे सिर्फ सरकार के आदेश का पालन कर रही हैं। TRAI और गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार ही यह कॉलर ट्यून जोड़ी गई है। जब तक सरकार की ओर से नई गाइडलाइन नहीं आती, तब तक इसे हटाया नहीं जा सकता।
आगे क्या?
सरकार और संबंधित एजेंसियों को अब एक बार फिर से जनता की राय पर विचार करना होगा। अगर कोरोना काल की तरह यह कॉलर ट्यून भी व्यापक विरोध का कारण बनती है, तो संभव है कि इसमें बदलाव किया जाए या उसे वैकल्पिक बना दिया जाए।
Digital Crime की चुनौती के सामने देश को सजग करना जरूरी है, लेकिन ऐसा कोई उपाय नहीं होना चाहिए जिससे आम जनता को रोज़मर्रा में परेशानी उठानी पड़े। कॉलर ट्यून के इस मसले में सरकार को तत्काल समाधान देना चाहिए — जागरूकता के साथ-साथ सुविधा भी उतनी ही अहम है।