एटीएम में जमा, फिर निकाल लिए करोड़ों: मशीन की चाबी से हुआ ऐसा खेल कि पुलिस भी रह गई हैरान

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हाइलाइट्स

  • Cash Recycling Machine Fraud में 1.39 करोड़ रुपये की ठगी की गई, एटीएम में जमा कर तुरंत निकाल लेता था कर्मचारी
  • आरोपी कर्मचारी के पास मशीन की चाबी थी, इसलिए किसी को शक नहीं हुआ
  • हिटाची कंपनी के कस्टोडियन ने दो साथियों के साथ मिलकर इस फ्रॉड को अंजाम दिया
  • जालसाजी में तीन सगे भाइयों की भूमिका भी सामने आई, जो एटीएम कार्ड और योजना मुहैया कराते थे
  • पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर 19 लाख रुपये नकद और कार जब्त की

कैश रिसाइक्लिंग मशीन फ्रॉड से बैंकिंग सिस्टम में हड़कंप

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक Cash Recycling Machine Fraud ने बैंकिंग सिस्टम की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस जालसाजी की शुरुआत एक एटीएम कस्टोडियन द्वारा की गई, जो अपनी जिम्मेदारी का फायदा उठाकर कैश रिसाइक्लिंग मशीन (सीआरएम) में कैश जमा करता, फिर जैसे ही रकम खाते में दर्ज होती, वह मशीन खोलकर उतनी ही राशि निकाल लेता था। इस प्रक्रिया से उसने 1.39 करोड़ रुपये का फ्रॉड महज एक महीने में कर डाला।

कैमरे की नजर से खुला खेल

जांच में जुटी पुलिस को मिली अहम क्लू

बैंक ऑफ बड़ौदा, किदवई नगर (जी ब्लॉक) की Cash Recycling Machine से मार्च 21 से अप्रैल 24 तक ₹1.38 करोड़ से अधिक गायब थे। शुरुआती जांच में कोई तकनीकी खामी नहीं मिली, लेकिन जब ग्राहकों द्वारा कम कैश निकलने की शिकायतें बढ़ीं, तब हिटाची पेमेंट सर्विसेज के फ्रॉड एंड रिस्क डिपार्टमेंट ने मामले की तहकीकात शुरू की।

कैमरे की फुटेज खंगालने पर सामने आया कि एक युवक पहले मशीन में नकद जमा कर रहा है और कुछ ही पलों में चाबी से ट्रे खोलकर वो पैसे निकाल भी रहा है। शक की सुई बिठूर निवासी दीपक जायसवाल पर गई, जो खुद हिटाची में कस्टोडियन के पद पर कार्यरत था।

तीन गिरफ्तार, 19 लाख नकद और एटीएम कार्ड बरामद

कैश, कार और ज्वेलरी के साथ हुए गिरफ्तार

पुलिस ने दीपक को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की, जहां उसने पूरी साजिश कबूल ली। उसकी निशानदेही पर उसके दो साथी – विपिन दीक्षित और सुंधाशु जैसवार – को भी गिरफ्तार किया गया।

इनके पास से ₹19.15 लाख नकद, एक कार, आभूषण और एक एटीएम कार्ड बरामद हुआ। गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों के खिलाफ किदवईनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।

कैसे हुआ यह Cash Recycling Machine Fraud?

साजिश का पूरा खाका

दीपक जायसवाल ने बताया कि मशीन खोलने की चाबी उसके पास होती थी और कस्टोडियन होने के कारण उस पर किसी को शक नहीं होता था। वह मशीन में नकद जमा करता, सिस्टम में अपडेट होते ही चाबी से ट्रे खोलकर वही नकद वापस निकाल लेता था।

तीन सगे भाइयों की मास्टरमाइंडिंग

इस फ्रॉड की जड़ें CMS कंपनी में थीं, जहां दीपक पहले कार्यरत था। वहीं उसकी मुलाकात अंकित, मनीष और आशीष त्रिपाठी नामक तीन भाइयों से हुई, जिन्होंने उसे इस फ्रॉड का आइडिया दिया। वे खुद टेक्निकल डिपार्टमेंट में थे और एटीएम कार्ड, कार और टारगेट लोकेशन की व्यवस्था करते थे।

तकनीकी खामी नहीं, इंसानी लालच बना कारण

Cash Recycling Machine Fraud से सबक

यह घटना सिर्फ तकनीकी व्यवस्था की खामी नहीं, बल्कि इंसानी लालच का प्रतीक है। बैंक और भुगतान सेवाएं अब इस बात की समीक्षा कर रही हैं कि कस्टोडियन को कितनी पहुंच मिलनी चाहिए, और क्या ट्रांजैक्शन के तुरंत बाद कैश को निकालने पर कोई अलर्ट सिस्टम तैयार किया जा सकता है।

अब आगे क्या? पुलिस और बैंक की रणनीति

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी

तीनों सगे भाइयों की तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है। वहीं, Cash Recycling Machine Fraud को लेकर सभी बैंकों को अलर्ट जारी किया गया है।

डीसीपी दक्षिण दीपेन्द्र नाथ चौधरी ने बताया कि जल्द ही इस केस में चार्जशीट दाखिल की जाएगी और अन्य तकनीकी खामियों की भी समीक्षा की जाएगी।

बैंकिंग सेक्टर में विश्वास पर चोट

सुरक्षा उपायों की सख्त जरूरत

इस तरह की घटनाएं न केवल वित्तीय नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि आम जनता के बैंकिंग सिस्टम पर विश्वास को भी प्रभावित करती हैं। अब आवश्यकता है कि सीआरएम मशीनों की निगरानी और कस्टोडियन की भूमिका को सख्ती से रिव्यू किया जाए।

कानपुर में हुए इस Cash Recycling Machine Fraud ने देशभर के बैंकों को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की चेतावनी दी है। इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि आंतरिक कर्मचारियों की निगरानी, मशीन एक्सेस कंट्रोल और ट्रांजैक्शन अलर्ट जैसे उपाय तत्काल प्रभाव से लागू करने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह के जालसाजों को रोका जा सके।

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