हवा में ही फट गया था विमान! बोइंग 787 हादसे की वो सच्चाई जो अब तक छुपाई गई

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हाइलाइट्स

  • Air India Boeing 787 Crash ने भारत की विमानन सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं
  • दुर्घटना में 270 से अधिक लोगों की मौत, कई शवों की अभी तक नहीं हो पाई पहचान
  • DGCA ने सभी बोइंग 787 विमानों की विशेष सुरक्षा जांच के आदेश जारी किए
  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया
  • तकनीकी खामियों और एयर ट्रैफिक कंट्रोल में लापरवाही की आशंका जताई जा रही है

हादसा जिसने पूरे देश को झकझोर दिया

12 जून 2025 की सुबह, जब अधिकांश लोग अपने दिन की शुरुआत कर रहे थे, तब Air India Boeing 787 Crash की खबर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। अहमदाबाद के निकट एक रिहायशी इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हुआ यह विमान, दुबई से दिल्ली होते हुए मुंबई जा रहा था। इस हादसे में 270 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिनमें पायलट, केबिन क्रू, और आम यात्री शामिल थे।

शुरुआती जांच: इंजन फेलियर या तकनीकी चूक?

DGCA की त्वरित कार्रवाई

Air India Boeing 787 Crash की खबर मिलते ही नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने तत्काल सभी बोइंग 787 विमानों की विशेष सुरक्षा जांच का आदेश जारी कर दिया। शुरुआती जांच में सामने आया कि टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद विमान में अचानक से ऑटोमैटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम बंद हो गया। पायलट ने इमरजेंसी लैंडिंग की कोशिश की, लेकिन विमान आवासीय इलाके में जाकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

तकनीकी खराबी या रखरखाव में लापरवाही?

जांच दल यह भी देख रहा है कि कहीं विमान के रखरखाव में लापरवाही तो नहीं बरती गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस विमान के पिछले तीन महीनों में दो बार तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायत दर्ज की गई थी। Air India Boeing 787 Crash के इस पहलू पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

पीड़ित परिवारों की व्यथा और DNA पहचान प्रक्रिया

 शवों की पहचान बनी चुनौती

अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल में अब तक 270 शवों को लाया गया है, जिनमें से 60 से अधिक बुरी तरह जले हुए हैं और उनकी पहचान मुश्किल हो रही है। DNA सैंपलिंग की प्रक्रिया शुरू की गई है ताकि पीड़ित परिवारों को अंतिम संस्कार के लिए शव सौंपे जा सकें।

 परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल

मुंबई, दिल्ली, और लखनऊ से आए परिजनों का कहना है कि उन्हें हादसे की सूचना मीडिया के जरिए मिली, जबकि Air India Boeing 787 Crash जैसी बड़ी दुर्घटना में एयरलाइन की ओर से कोई आधिकारिक संपर्क नहीं किया गया।

भारत की विमानन सुरक्षा प्रणाली पर उठते सवाल

 क्या सिस्टमिक फेलियर है इसका जिम्मेदार?

यह कोई पहला मामला नहीं है जब भारत में इस तरह की गंभीर विमान दुर्घटना हुई हो। वर्ष 2020 में कालीकट में हुए विमान हादसे के बाद DGCA ने कई गाइडलाइंस जारी की थीं, लेकिन Air India Boeing 787 Crash ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा प्रक्रियाओं के अनुपालन में लापरवाही अब भी जारी है।

विशेषज्ञों की राय

एविएशन विशेषज्ञ कैप्टन रघुराज सिंह का मानना है, “भारत को अब विमानन सुरक्षा के मानकों को केवल कागजों तक सीमित नहीं रखना चाहिए। हादसों के बाद जांच होती है, लेकिन स्थायी सुधार नहीं होते।”

DGCA और केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

 उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद में बयान देते हुए कहा कि Air India Boeing 787 Crash की जांच के लिए एक पाँच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जो 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

बोइंग से भी मांगा गया जवाब

सरकार ने बोइंग कंपनी से इस विमान की तकनीकी डिटेल्स और सर्विस हिस्ट्री की कॉपी मांगी है। यह जांच करेगा कि क्या Air India Boeing 787 Crash किसी मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट का परिणाम था।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को नुकसान

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर असर

Air India Boeing 787 Crash के बाद अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के एविएशन सेफ्टी बोर्ड्स ने भारत आने वाली उड़ानों पर सख्ती बढ़ा दी है। कई एयरलाइनों ने अपने उड़ान पथ की समीक्षा शुरू कर दी है।

आगे की राह: क्या हैं सुधार के उपाय?

  1. सभी बोइंग 787 विमानों की गहन तकनीकी जांच
  2. एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम में ऑटोमेशन बढ़ाना
  3. पायलटों की नियमित साइकोलॉजिकल स्क्रीनिंग
  4. यात्रियों की सुरक्षा के लिए स्वतंत्र नियामक संस्था का गठन
  5. विमानन क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना

Air India Boeing 787 Crash सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है, यह भारत की विमानन व्यवस्था के प्रति हमारी लापरवाही का आईना है। यदि इस घटना से सबक नहीं लिया गया, तो भविष्य में और भी बड़े हादसों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अब समय है कि भारत अपनी विमानन सुरक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाए और यात्रियों का भरोसा फिर से अर्जित करे।

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