हाइलाइट्स:
- Insurance Company के माध्यम से पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा मिलेगा, न कि सीधे टाटा ग्रुप से।
- मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत हर मृतक के लिए तय है अंतरराष्ट्रीय मुआवज़ा राशि।
- टाटा AIG और विदेशी पार्टनर AIG मिलकर देंगी मुआवज़े की रकम।
- विमान की बीमा राशि 75-80 मिलियन डॉलर के बीच अनुमानित।
- पीड़ित परिवारों को मिल सकता है ₹2.8 करोड़ तक का मुआवज़ा।
अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस त्रासदी में एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से कुल 265 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें 231 यात्री और 10 क्रू मेंबर शामिल हैं। हादसे के बाद टाटा ग्रुप द्वारा एक करोड़ रुपये के मुआवज़े की घोषणा की गई, लेकिन अब यह सामने आ रहा है कि यह रकम Insurance Company द्वारा दी जाएगी, न कि टाटा ग्रुप की जेब से।
कौन देगा मुआवज़े की राशि? टाटा ग्रुप या Insurance Company?
हादसे के बाद उठे सबसे अहम सवालों में से एक है—आख़िर पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा कौन देगा? टाटा ग्रुप या कोई Insurance Company?
असल में, एयर इंडिया की बीमा पॉलिसी 20 बिलियन डॉलर की है, जिसे हाल ही में रिन्यू किया गया था। इस पॉलिसी का प्रमुख रीइंश्योरर है अमेरिका की प्रसिद्ध Insurance Company, AIG, और इसमें भारतीय बीमा कंपनियां जैसे टाटा AIG, ICICI Lombard, और न्यू इंडिया एश्योरेंस भी शामिल हैं।
टाटा ग्रुप की ओर से भले ही ₹1 करोड़ की घोषणा हुई हो, लेकिन वह राशि दरअसल Insurance Company द्वारा वहन की जाएगी।
मॉन्ट्रियल कन्वेंशन क्या कहता है?
Montreal Convention 1999:
भारत ने इस कन्वेंशन को 2009 में स्वीकार किया था। इसके अनुसार:
- हर मृतक यात्री के परिवार को 151,880 SDR (स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स) दिए जाते हैं।
- SDR की वैल्यू लगभग ₹120 होती है। यानी, हर परिवार को लगभग ₹1.8 करोड़ मिलने चाहिए।
- इसके अतिरिक्त, Airlines को तुरंत 16,000 SDR (₹18 लाख) अस्थायी मुआवज़ा भी देना होता है।
इस लिहाज से एयर इंडिया की जिम्मेदारी तय है और यह राशि Insurance Company से कवर की जाएगी।
विमान की बीमा राशि कितनी?
एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान VT-ABN, 2013 मॉडल का था। विशेषज्ञों के अनुसार:
- ड्रीमलाइनर की लिस्ट वैल्यू 248.3 मिलियन डॉलर है।
- लेकिन छूट के बाद इसकी बीमा राशि अनुमानित 75-80 मिलियन डॉलर है।
- इस राशि के आधार पर एयर इंडिया को इंश्योरेंस के तहत ₹680-980 करोड़ मिल सकते हैं।
यह भुगतान aviation hull all-risk section बीमा योजना के तहत आएगा जिसमें विमान, स्पेयर पार्ट्स और अन्य उपकरण शामिल हैं।
मुआवज़ा कब तक मिलेगा?
AIG की वेबसाइट के अनुसार:
- स्वामित्व और दुर्घटना की पुष्टि होते ही, Insurance Company 7 दिनों के भीतर कुल हिस्सेदारी का 50% भुगतान कर सकती है।
- अंतिम मुआवज़ा मॉन्ट्रियल कन्वेंशन की जांच और निष्कर्ष के आधार पर होगा, जिसमें समय लग सकता है।
इसीलिए, पीड़ित परिवारों को शुरुआत में ₹18 लाख और बाद में शेष मुआवज़ा मिलने की संभावना है।
टाटा ग्रुप की घोषणा और संवेदनशीलता
टाटा ग्रुप ने संवेदनशीलता दिखाते हुए पीड़ित परिवारों को ₹1 करोड़ अतिरिक्त सहायता की बात कही है, जो मॉन्ट्रियल कन्वेंशन से इतर है। यदि यह राशि भी Insurance Company वहन करती है, तो:
- कुल मुआवज़ा = ₹1.8 करोड़ (मॉन्ट्रियल कन्वेंशन) + ₹1 करोड़ (स्वैच्छिक सहायता)
- कुल संभावित मुआवज़ा: ₹2.8 करोड़ प्रति परिवार
पीड़ित परिवारों को कौन-कौन सी Insurance Company दे रही है मदद?
बीमा पॉलिसी में शामिल हैं:
- टाटा AIG General Insurance – 40% हिस्सेदारी
- ICICI Lombard
- New India Assurance
- AIG (USA) – मुख्य रीइंश्योरर
इन सभी Insurance Company मिलकर मुआवज़े की राशि की अदायगी करेंगी। अंतिम वित्तीय भार रीइंश्योरर्स पर होगा।
एयरलाइन पर तीसरे पक्ष की जिम्मेदारी
विमान एक मेडिकल कॉलेज की इमारत से टकराया, जिससे तीसरे पक्ष की संपत्ति और लोगों को भी नुकसान हुआ। ऐसे में एयर इंडिया पर:
- संपत्ति नुकसान का मुआवज़ा
- गैर-यात्री मृतकों के लिए भी भुगतान की जिम्मेदारी
यह जिम्मेदारी भी Insurance Company द्वारा ही कवर की जाएगी।
क्या यह मुआवज़ा पर्याप्त है?
विशेषज्ञों के अनुसार, Insurance Company द्वारा निर्धारित ₹1.8 करोड़ का मुआवज़ा वैश्विक मानकों के हिसाब से ठीक-ठाक है। हालांकि, परिवारों की व्यक्तिगत परिस्थितियों, जैसे कमाने वाले सदस्य की मृत्यु, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के मद्देनज़र यह राशि कुछ मामलों में कम भी लग सकती है।
Insurance Company का रोल सबसे अहम
अहमदाबाद विमान हादसे के बाद हुए मुआवज़े के मसले में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका Insurance Company की ही है। टाटा ग्रुप की संवेदनशीलता अपनी जगह है, लेकिन कानूनी रूप से बीमा कंपनियां ही यह मुआवज़ा देने के लिए बाध्य हैं।
पीड़ित परिवारों को उम्मीद है कि यह मुआवज़ा समय पर और बिना किसी कानूनी देरी के उन्हें मिल जाएगा। हालांकि, इस प्रक्रिया में आने वाले समय में कई और मोड़ आ सकते हैं जिन पर नजर बनाए रखना जरूरी होगा।